भारत में बसे, एशिया के सबसे साफ गाँव की सैर

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Photo of भारत में बसे, एशिया के सबसे साफ गाँव की सैर 1/10 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

'जहाँ स्वच्छता, वहाँ प्रभुता' यानी जहां स्वच्छता है वहींं पर भगवान का वास होता है। इस कहावत के हिसाब से तो पूरे एशिया के भगवान बड़ी खुशी से भारत में ही वास करते हैं, आखिर एशिया का सबसे साफ गाँव भारत में जो है! मेघालय के खासी हिल्स में बसे छोटे से गाँव मावलिनोंग को भगवान का बाग भी कहा जाता है और ये कहना बिल्कुल जायज़ है | सन 2003 में मावलिनोंग को एशिया के, और सन 2005 में भारत के सबसे साफ गाँव के खिताब से नवाज़ा गया था |

पूर्वी भारत के मावलिनोंग गाँव में साफ-सफाई के रिवाज़ को छोटे बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी क़ायदे से निभाते हैं। इस छोटे से कस्बे में सिर्फ 600 लोग रहते हैं और ये दुनिया भर में सफाई के लिए जाना जाता है | सफाई के अलावा ये कस्बा 100% साक्षरता और नारी सशक्तिकरण के लिए भी जाना जाता है | इस गाँव ने भारत के अन्य गाँवों और शहरों के लिए मिसाल कायम कर दी है |

स्वच्छता :

मावलिनोंग में स्वच्छता लोगों के जीवन जीने का तरीका है | गाँव में चालू शौचालय है, बंबू से बने कूड़ादान पूरे गाँव में लगाए हुए हैं, यहाँ तक कि बंबू के झड़े हुए पत्ते भी कूड़ादान में डाले जाते हैं | प्लास्टिक की थैलियों पर पाबंदी है। कमाल की बात है कि गाँव वाले इन नियमों का पालन भी करते हैं, जो नहीं करता उस पर जुर्माना लगाया जाता है | इतना ही नहीं, मावलिनोंग में खाद कचरे से ही बनाई जाती है | लोग अपने घर की ही नहीं, बल्कि बाहर गलियों और सड़कों की भी सफाई करते हैं |

रहने वाली जनजातियाँ

Photo of भारत में बसे, एशिया के सबसे साफ गाँव की सैर 3/10 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

इस गाँव में ख़ासी जाति के लोग रहते हैं | इस जनजाति की सभ्यता अलग है | कबीले के बच्चों को माँ का पारिवारिक नाम दिया जाता है, और माँ की संपत्ति परिवार की सबसे छोटी बेटी को दी जाती है |

जड़ों से बने पुल

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श्रेय: गौरव सिंह

मावलिनोंग में नदी पर बने जीवित जड़ों के पुल को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित कर दिया है | ये पुल विशाल पेड़ों की बाहर निकली जड़ों को गूँथ कर बनाया गया है |

मावलिनोंग में देखने लायक सुंदर जगहें

1. बांग्लादेश का नज़ारा

आप 85 फीट ऊँचे बंबू से बने टावर पर चढ़कर आसमान से बांग्लादेश का नज़ारा देख सकते हो | ऊपर से खूबसूरत नज़ारा देख कर आपके होश उड़ जाएँगे | चूँकि ये गाँव बांग्लादेश सीमा के पास ही स्थित है इसलिए आप बांग्लादेश की सरज़मीं भी देख सकते हैं |

2. मावलिनोंग झरना

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श्रेय: खोंडकेर

संगी साथियों के साथ पिकनिक मनाने के लिए मावलिनोंग झरना सबसे बढ़िया जगह है | गाँव की चुप्पी को तोड़ता हुआ झरने का मधुर संगीत बड़ा अच्छा लगता है |

3. मावलिनोंग का खूबसूरत चर्च

100 साल पुराने इस चर्च में आज भी वही पुराने समय की ख़ास बात है | इसके पास खिलते नारंगी और लाल रंग के फूलों के गुच्छे इस जगह का नज़ारा ऐसा ही एक बार देख लें तो कभी भूल नहीं पाएंगे।

मावलिनोंग के लाजवाब स्थानीय व्यंजन

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मावलिनोंग के खाने की ख़ासियत ये है कि इसे प्राकृतिक रूप से उगाई गयी सब्ज़ियों से पकाया जाता है | जादो (मांस और चावल से बना व्यंजन) और तुंगरीम्बाई ( खमीर उठाए हुए सोयाबीन, बांस के पत्ते और स्थानीय मसालों से बना) जैसे व्यंजन मावलिनोंग के चटखारे खाने में शामिल हैं।

कैसे पहुँचे?

मावलिनोंग की ओर जाने वाली सड़कें ज़्यादातर खराब हालत में होती हैं | सफ़र करने के लिए बस का साधन सबसे बढ़िया है | चेरापूंजी और शिलांग जैसे आस-पास के इलाक़ों से यहाँ तक के लिए बस मिल जाती है | मावलिनोंग से 78 कि.मी. दूर शिलांग में सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है | गाँव से 172 कि.मी. दूर गुवाहाटी में सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है |

मावलिनोंग जाने का सबसे सही समय

मावलिनोंग में पूरे साल ही अच्छा मौसम रहता है | मगर मॉनसून की बात ही कुछ और है | इस मौसम में गाँव हरा-भरा हो जाता है और नज़ारे ज़बरदस्त होते हैं |

तो अब आप ये जान ही गए होंगे कि एक बार तो मावलिनोंग ज़रूर देखना चाहिए | चलिए अब फटाफट इसे अपनी बकेट लिस्ट में डाल लीजिए!

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