मेरे हिसाब से अगर आपको जिंदगी में नई जगहें देखने की चाहत नहीं है तो आप जीवन के सबसे अनोखे और सुंदर एहसास को महसूस करने से चूक गए हैं। घूमना शुरू करने से पहले एक इन्सान अकेले शब्द की तरह होता है। जैसे-जैसे वो नई जगहों और नए रास्तों पर चलना शुरू करता है उसमें अलग-अलग शब्द जुड़ते चले जाते हैं। घुमक्कड़ी के कुछ महीनों बाद आप वाक्य बन जाते हैं और कुछ सालों बाद एक कहानी। एक ऐसी कहानी जिसको आपको ना तो किसी तय ढांचे में बंधने की कोशिश की और ना ही आपने उस कहानी के किरदारों को पहले से जाना। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते रहे, आपके साथ-साथ कहानी ने भी अपने आपको ढालना शुरू कर दिया।
घुमक्कड़ी की यही बात सबसे अच्छी होती है। कब क्या होगा इसके बारे में आपको कुछ नहीं मालूम रहता है। अगर आप बिना प्लानिंग के घूमने पसंद करते है फिर तो आप इस बात को और भी अच्छे से समझ सकते होंगे। लेकिन कुछ जगहें ऐसी होती हैं जिनको देखने के लिए आपको शुरुआत में थोड़ी प्लानिंग की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन राज्यों में जाने के लिए आपको पहले से परमिशन लेनी होती है। अरुणाचल प्रदेश भी उनमें से एक जगह है जहाँ जाने से पहले आपको इनर लाइन परमिट लेना बेहद जरूरी होता है। लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि इस राज्य में ऑफबीट घुमक्कड़ी मुमकिन नहीं है। अरुणाचल में भी ऐसी बहुत सारी घाटियाँ हैं जो आपके अंदर बैठे रोमांच प्रेमी को खुश कर देंगी।
1. भालुकपोंग घाटी
अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में हिमालय की तलहटी में बसा ये छोटा-सा शहर भालुकपोंग अपने चौंका देने वाली प्राकृतिक सुन्दरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। ये घाटी इतनी सुन्दर है कि हर कोई इसको देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। घने जंगलों, कलकल बहते झरने और कामेंग नदी वाली इस घाटी में करने के लिए बहुत कुछ है। बेहतरीन नजारों से लेकर रोमांच तक इस घाटी में आपको सबकुछ मिलेगा। आप यहाँ हाइकिंग, ट्रेकिंग, कैंपिंग के साथ-साथ मछली पकड़ने जैसी चीजें भी कर सकते हैं। इस घाटी की खास बात है कि यहाँ कई सारे ट्राइब के लोगों का भी घर है। अगर आपको अलग-अलग जनजातियों के बारे में जानने और समझने में रुचि है फिर ये जगह आपको बहुत पसंद आएगी। अच्छी बात ये भी है कि भालुकपोंग घाटी में रहने वाले इन सभी लोगों का व्यवहार बहुत अच्छा है। ये लोग आसानी से टूरिस्टों से घुल-मिल जाते हैं इसलिए आप इनकी संस्कृति, जीवन शैली और परंपराओं को नजदीक से देख सकते हैं। भालुकपोंग घाटी सचमुच में पूर्वोत्तर के सबसे अच्छे रहस्यों में से है जिसकी एक झलक सबका मन मोह लेती है।
2. बोमडिला
3500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित ये हिमालई घाटी पश्चिम कामेंग जिले का मुख्यालय है। कहा जाता है बोमडिला एक समय पर तिब्बती साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था और इसपर स्थानीय ट्राइबल राजाओं का राज हुआ करता था। इस घाटी में आपको आज भी कई जनजातियाँ देखने के लिए मिलेंगी जिसमें आका, मिजी, मोनपा और खवास शामिल हैं। बोमडिला को एक तरह से क्राफ्ट और हैंडीक्राफ्ट्स का गढ़ कहा जा सकता है। यहाँ आप बहुत सारे मठ, म्यूजियम और एंपोरियम भी देख सकते हैं। बोमडिला घाटी की सबसे अच्छी बात है कि यहाँ से आपको चारों तरह बर्फ से ढके पहाड़ दिखाई देते हैं जिसमें राज्य की कुछ सबसे ऊँची चोटियाँ शामिल हैं। इस घाटी से आप कांगटे और गोरीचेन पहाड़ियों को आसानी से देख सकते हैं। अगर आपको फोटो खींचना पसंद है तब आपको बोमडिला जन्नत जैसा लगेगा। घने जंगलों, फल के बड़े-बड़े बगीचों और तमाम खूबसूरत रास्तों वाली इस घाटी में बिताया हुआ हर एक दिन आपको जिंदगीभर याद रहेगा।
3. दिरांग घाटी
ये घाटी एक तरह से तवांग जाने वालों के लिए दरवाजे का काम करती है। यानी अगर आप तवांग जा रहे हैं तब आपको दिरांग घाटी से होकर गुजरना होता है। क्योंकि जोरहाट से तवांग जाने में 18 घंटों का समय लग जाता है इसलिए ज्यादातर लोग रात के समय दिरांग में रुकना पसंद करते हैं। लेकिन दिरांग केवल एक रात रुकने के लिए नहीं बना है। ये जगह इतनी खास है कि अगर आपने एक बार इस घाटी को टटोलना शुरू कर दिया फिर आप अपने आपको रोक नहीं पाएंगे। बर्फीले पहाड़ों से घिरी हुई इस घाटी में आपको अरुणाचल के गाँवों की छवि दिखाई देती है जो आपका मन मोह लगी। दिरांग घाटी पहुँचते ही शानदार नजारे, मुस्कुराते हुए चेहरे और खूबसूरत माहौल आपका स्वागत करते हैं जिसको देखकर आपका दिल चुटकियों में पिघल जाएगा। दिरांग घाटी में आपको वो सबकुछ मिलता है जो एक परफेक्ट पहाड़ी वेकेशन के लिए चाहिए होता है।
4. मयोदिया
2655 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मयोदिया असल में एक दर्रा है जो अरुणाचल के रोइंग से 56 किमी. की दूरी पर है। मयोदिया शब्द का मतलब होता है देवी माँ का मंदिर। इस जगह की पहचान यहाँ होने वाली भरी स्नोफॉल है जिसको देखने के लिए लोगों का मेला लगा रहता है। कहा जाता है इस जगह पर सबसे लंबे समय के लिए बर्फबारी होती है। आप नवंबर से अप्रैल के बीच कभी भी यहाँ आ जाइए, आपको स्नोफॉल का भरपूर मजा मिलेगा। इसके अलावा अगर आप जुलाई से सितंबर के बीच मयोदिया आते हैं तब आपको बारिश मिल सकती है। सर्दियों के मौसम में यहाँ टूटकर ठंड पड़ती है जो इस जगह के मजे को दोगुना कर देता है। इसके अलावा यहाँ आप ट्रेकिंग और हाइकिंग करने का आनंद भी ले सकते हैं।
5. भीष्मकनगर
भीष्मकनगर को पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है और ये जगह तिनसुकिया से लगभग 100 किमी. की दूरी पर स्थित है। भीष्मकनगर की शान है भीष्मकनगर किला जिसको 18वीं शताब्दी में बनाया गया था। कहा जाता है ये किला इस इलाके के सबसे प्राचीन इमारतों में से है। इस किले की देख-रेख अरुणाचल प्रदेश के मिष्मी ट्राइब के लोग करते हैं। मजबूती से खड़े इस किले के एक तरफ पत्थरों की दीवार है और दूसरी तरफ से पहाड़ इसकी रक्षा करते हैं। ये घाटी इतिहास के नजरिए से भी बेहद खास है। कहते हैं 1965-70 के बीच की गई खुदाई में यहाँ मिट्टी के प्राचीन बर्तन, टेराकोटा से बनी मूर्तियाँ और अलग-अलग जानवरों की कलाकृतियाँ मिली थी। भीष्मकनगर घाटी की में आपको दूर-दूर तक सिर्फ हरियाली दिखाई देगी। प्राकृतिक नजारों से परिपूर्ण ये घाटी यहाँ आने वाले हर टूरिस्ट का मन भा लेती है।
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