जब भी भारत के खूबसूरत राज्यों की बात आती है तो उसमे छत्तीसगढ़ का नाम जरूर आता है।जिसका कारण है वहां की विशाल वन संपदा जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते है।वैसे तो यहां देखने को बहुत कुछ है पर आज हम आपको इस राज्य के एक छोटे से जगह के बारे में बताएंगे जिसे टेंपल टाउन के नाम से भी जाना जाता है।टेंपल टाउन यानी मंदिरों का शहर।जाहिर है कि यह एक धार्मिक शहर है जिसे अंबिकापुर के नाम से जाना जाता है।यह शहर अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है।इस शहर में आपको एक्सप्लोर करने के लिए बहुत कुछ मिलेगा तो आइए चलते हैं इस खूबसूरत और धार्मिक शहर की यात्रा पर।
अंबिकापुर
छत्तीसगढ़ का अंबिकापुर एक बहुत ही खूबसूरत और धार्मिक स्थान है। जहां लाखो पर्यटक हर साल घूमने आते हैं।इस शहर का नाम देवी अंबिका के नाम पर रखा गया है और यहां के स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें यहां बहुत ही आस्था के साथ पूजा जाता है।इसी धार्मिक आस्था के कारण इस शहर को टेंपल टाउन के नाम से भी जाना जाता है ।यह शहर छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने शहरों में से एक है।प्राकृतिक सौंदर्य के खजानों में से एक इस शहर में एक प्रकृति प्रेमी के लिए बहुत कुछ है।अगर आप भी एक प्रकृति प्रेमी है तो एक बार इस शहर की यात्रा जरूर करनी चाहिए।
अंबिकापुर के मुख्य आकर्षण
तातापानी
तातापानी अंबिकापुर की ही नहीं बल्कि पूरे भारत की एक रहस्यमय जगहों में से एक है।इस जगह पर धरती के भीतर से गर्म पानी निकलता है जिसका कारण आज तक कोई भी नही जान पाया। यहां स्थित कुंड में यह पानी एकत्र होता है।कहते है चाहे कोई भी ऋतु हो इस कुंड का पानी सदैव गर्म ही रहता है और लोगो का कहना है की इस पानी में कई प्रकार के औषधि गुण पाए जाते है जिसे विभिन्न प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है। इस कुंड के पास ही भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति है जो यहां के आकर्षण का मुख्य केंद्र है।अगर आप अंबिकापुर जाए तो इस जगह को एक्सप्लोर करना बिलकुल भी न भूले।
ठिनठिनी पत्थर
ठिनठिनी पत्थर अंबिकापुर से कुछ ही दूरी पर घने जंगल में स्थित एक बड़ा सा पत्थर है।जिसके बारे में कहा जाता है कि अगर आप किसी चीज से इस पत्थर पर वार करते है तो इस पत्थर से एक ध्वनि निकलती है जो आस पास के बाकी पत्थरों से बिल्कुल अलग होती है।स्थानीय लोग इसका कारण कोई दैवीय शक्ति मानते हैं ।अंबिकापुर में यह पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है।हजारों पर्यटक यहां इस चमत्कारी पत्थर को देखने आते है। यहां के आस पास की जगह भी काफी सुखद है जिसके कारण यह एक लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट के रूप में काफी विख्यात है।
उल्टा पानी
उल्टा पानी जैसा की नाम से पता चलता है यहां पानी उल्टी दिशा में बहता है अर्थात पानी ऊपर से नीचे के बजाए नीचे से ऊपर की तरफ बहता है।यह एक पहाड़ी पर स्थित जगह है ऐसा होने का कारण पहाड़ी की चुंबकीय शक्ति बताया जाता है। यहां लाखों लोग इस बात की एक्सपेरिमेंट करने आते है की इसमें कितनी सच्चाई है। यहां पर लोग अपनी गाडियां भी स्टार्ट करके छोड़ देते है जो नीचे जाने के बजाए ऊपर की ओर जाती है। यहां पानी की एक धारा है जो लगभग 60 मीटर की दूरी तय करता है जोकि लगभग 3 फीट की ऊंचाई तक जाता है।
राकसगंडा झरना
यह एक प्राकृतिक झरना है जो की अंबिकापुर से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।अगर आप इस झरने की असली खूबसूरती देखना चाहते है तो आपको यहां मानसून में आना चाहिए। उस समय झरना और उसके आस पास का वातावरण बहुत ही सुरम्य होता है।यह झरना रिहंद नदी के तट पर स्थित है तो आप यहां झरने के साथ ही साथ नदी के तट पर भी जा सकते है।
जोगीमारा गुफा
अंबिकापुर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गुफा लगभग 300 ईसा पूर्व की मानी जाती है।इसका प्रमाण गुफा की दीवारों पर बनी आकृतियों और चित्रकारी से लगाया गया है।गुफा की दीवारों पर आपको विभिन्न प्रकार के फूल, पंक्षी, इंसानों और जानवरों के चित्र दिखेंगे जिनका संबंध ईसा पूर्व माना जाता है।गुफा से कई शिलालेख भी प्राप्त हुए हैं जिनसे उनके प्राचीन होने के प्रमाण मिलते हैं।
ऑक्सीजन पार्क
आक्सीजन पार्क अंबिकापुर की एक पहाड़ी पर स्थित खूबसूरत जगह है।अंबिकापुर में यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है क्योंकि यह जगह ऊंची पहाड़ी पर स्थित होने के कारण बहुत ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है।चारो तरफ़ फैली खूबसूरत वादियां और हरियाली इस पार्क की खूबसूरती में चार चांद लगाते है।पार्क में मनोरंजन के लिए बहुत से झूले लगे हुए हैं साथ ही इस पार्क में विभिन्न प्रकार के फूलों के पौधे भी लगे हैं जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते है।
महामाया मंदिर
अंबिकापुर को टेंपल टाउन के नाम से भी जाना जाता है तो यहां के टेंपल को देखना तो बनता है।वैसे तो यहां बहुत से मंदिर है पर यहां का महामाया मंदिर जोकि 52 शक्तिपीठों में से एक है पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।स्थानीय लोगो का कहना है मां दुर्गा को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 1050 ईस्वी में हुआ था।इस मंदिर की वास्तुकला और बनावट को देखकर इसकी प्राचीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है।नवरात्रि के समय यहां विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है जिसे देखने दूर दूर से लोग आते है।
कैसे पहुँचें
रेल मार्गःअम्बिकापुर स्टेशन का अपना रेलवे स्टेशन है तो आप यहां की टिकट लेकर आसानी से यहां पहुंच सकते है।
हवाई मार्गः बिरसा मुण्डा हवाई अड्डा यहाँ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा है। आप यहाँ पहुँचकर आसानी से अम्बिकापुर की बस या कैब पकड़ सकते हैं।
सड़क मार्गः अम्बिकापुर कुरसिया, कोरबा और पासन से क्रमशः 54, 62 और 68 किमी0 दूरी पर है। यहाँ से आने के लिए आपको पर्याप्त बसें मिल जाएँगी।
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