मथुरा वृंदावन

Tripoto
20th Mar 2023
Photo of मथुरा वृंदावन by Musafir Nizam
Day 1

हम दिल्ली से निकल पड़े मथुरा के लिए और 3 घंटों के सफर के बाद पहुंच गए मथुरा रेलवे स्टेशन उसके बाद वहां से ₹30 दे करके हम वृंदावन की ओर चल दिए वृंदावन में रात 12:00 बजे पहुंचने के बाद हम कुछ देर तक पैदल चले घूमे और एंजॉयमेंट किया इसके बाद हम वहां पर होटल ढूंढने लगे क्योंकि हम लोग तीन व्यक्ति थे तो हमारा गुजारा एक कमरे से हो जाना काफ़ी था और काफी देर घूमने के बाद हमें एक व्यक्ति बाइक पर होटल के लिए पूछने के लिए आया और उसने होटल का प्राइस ₹500 बताया फिर हम तीनों ने आपस में बातें की और फिर उसके बाद हमने उसे अंतिम प्राइस ₹300 बोला थोड़ी देर सोचने के बाद न-न करने के बाद वह मान गया और उसने हमे होटल दिखाने के लिए पूछा हम। उसके साथ बाइक पर बैठ कर चल दिए होटल पहुंचने पर कमरा थोड़ा छोटा था पर इतना ठीक था कि हम तीनों का एक रात का गुजारा हो जाए। फिर हमने फटाफट चेंज किया और फ्रेश होने के बाद हम खाना खाने लगे।  हम तीनों के हिस्से में ₹100 प्रति कमरा का खर्चा पड़ा। फिर हम लोग 1:00 बजे तक सो गए सुबह 3:00 बजे उठकर एक मंदिर में जाना था रजत सुबह जल्दी उठ गया 3:00 बजे अलार्म बजने के जस्ट बाद लेकिन मेरी आंख नहीं खुल रही थी रजत तैयार हुआ और बाहर की ओर भागा मगर अफसोस बाहर बारिश हो रही थी इसके साथ ही उसका मनोबल टूट गया। फिर वह भी आकर हमारे साथ बिस्तर पर लेट गया और फिर हमारी आंख खुली दिल के 10:00 बजे 10:00 बजने में 15:20 मिनट रहा होगा और इसी के साथ हम लोग फटाफट तैयार होकर के मंदिर की ओर चल पड़े सबसे पहले हम गए बांके बिहारी जहां काफी देर से हल करने के बाद घूमने घूमने के बाद दर्शन करने के बाद जब हम लोग बाहर की और आए राहुल कपड़े लेने लग गया उसी दौरान मैं भूल गया कि यहां पर शरारती बंदर भी रहते हैं । और मैंने अपना चश्मा जेब से निकाल कर के पहन लिया तू बता दूं तुम्हें वार्निंग के लिए चेतावनी के लिए अगर आप यहां आते हैं तो अपना चश्मा और हाथ में कोई भी छोटा मोटा सामान जो है छुपा बड़े बैग में रख ले नहीं तो यहां के शरारती बंदर आपका सामान आपका चश्मा आपका है आपके हाथ का फोन तक छीन लिए जाएंगे और फिर वह आपको वापस नहीं देंगे 1 मिनट के अंदर में उनको फ्रूटी पिला दीजिए और कर पाना संभव नहीं है इतना आसान नहीं है कि आप 1 मिनट के अंदर में उनको फ्रूटी करके दे दे । और ठीक है ऐसा ही मेरे साथ हुआ मैं फ्रूटी देने में लेट हो गया और फिर उन्होंने मेरे चश्मे का अंग अंग अलग कर दिया जिसमें मैं पूरे ट्रिप पर शोक में रहा । अंततः मेरी खुशी बांके बिहारी से निकलने के बाद पुनः प्राप्त हो जाती है क्योंकि हम यहां से निकलने के बाद पहुंचते हैं निधिवन की ओर रुकी पूरा एक छोटे छोटे पेड़ों से बना सकते हैं आप क्योंकि काफी विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है यहां पर ऐसा माना जाता है कि यह सखियां है जो कि रात में गोपिया बन करके नृत्य करती है । हां मेरे मन में भी सवाल है जैसे कि आपकी मन में आ रहे हैं कि क्या ऐसा सच में होना संभव है । टोहाना कि मैं इस बारे में इतना सत्यता से नहीं कह सकता लेकिन मान्यता है कि ऐसा यहां होता है और जिन लोगों ने भी इस सत्यता को जानने का प्रयास किया उन्होंने अपने आंख गबाए किसी की मृत्यु हो गई तो कोई बोलने लायक न रह सका ।
अब इसे मिथ्य कहूं या सत्य कहूं मैं इन चीजों से अनजान हूं ।
जी हां गुरु मैं ही आपका निजाम हूं ।
हां तो आ गए फिर वहां पर आने के निधिवन में राहुल का जूता चोरी हो गया राहुल ढूंढने के बाद उसने बिल्कुल वैसा ही जूता किसी और का जूता पहन लिया। और हम वहां से भी आगे की ओर चल पड़े बहुत दूर पैदल चलने के बाद हम पहुंचे यमुना यमुना जहां पर लोग नाव में बैठकर के जमुना की सैर कर रहे थे जहां पर कृष्ण जी ने अठखेलियां खेले थे यमुना किनारे बिल्कुल हम उसी यमुना के पास है और ₹100 की होड़ चल रही थी बहुत सारे नाव वाले वहां पर सबको यमुना की सैर करवा रहे थे उसी बीच में रजत गया और किसी से बात करके आया कि वह हमें 50 ₹50 में यमुना की सैर करवाया हुआ भी ऐसा ही हमे ₹50 वाली सवारी मिल गई । और फिर क्या था तुम्हारे भाई की खुशी का ठिकाना ना रहा हम तुरंत बोर्ड में बैठे 5 मिनट के अंदर में वह बोर्ड जो है पानी के ऊपर गोते खा रही थी और उसके बाद फिर हम वहां से काफी दूर लगभग 2:30 से 3 किलोमीटर चलने के बाद हम इस्कॉन मंदिर के पास पहुंच गए वहां पहुंचने के बाद हमने थोड़ा सा विश्राम किया और फिर अंदर चलती है इस्कॉन मंदिर का भव्य था , और वहां पर कुछ अंग्रेज लोग जो कि इस्कॉन मंदिर में रहते हैं वह भजन कीर्तन कर रहे थे । जो देखने में बहुत ही ज्यादा मनोहर था इसके साथ ही हम बहुत देर तक उस भजन कीर्तन में बैठे और फिर वहां से निकल लिए एवं वहां के बाद हम रात के 8:00 पैदल चलते हुए हम पहुंचे प्रेम मंदिर प्रेम मंदिर में वीडियो बनाना मना था, हां हालांकि मैं वीडियो ना बांके बिहारी में बना पाया पूर्ण रूप से और ना ही लगभग निधिवन ने बना पाया इसके बावजूद मैंने छोटी-छोटी क्लिप्स को बना लिया जो कि सारे काम आ जाए या नहीं तो इंटरनेट का सहारा लेना पड़ेगा क्योंकि बंदरों ने मुझे वीडियो बनाने ही नहीं दिया मैं पूरे टाइम डर लगा रहा कि अगर मैंने जेब से फोन निकाला तो वह मेरा फोन छीन कर के ले जाएंगे । और फिर मैंने प्रेम मंदिर के कुछ हिस्सों की वीडियोग्राफी की वीडियोस बनाए हालांकि वहां मना था पर उसके बावजूद भी मैंने बनाया क्योंकि मुझे वहां बंजर का डर नहीं था और मुझे लाइफ में पहली बार इंसानों से ज्यादा किसी जानवर का डर लगा था क्योंकि वह जानवर जाने क्यों बंदर महाशय शरारती मानुष मेरा चश्मा ले गया, हालांकि चश्मा ले जाने के बाद मैं हर चीज धुंधला देख पा रहा था , इसी के साथ हम वहां बहुत देर तक घूमे और बैठे रहे और हम सोच रहे थे कि रात के 9:30 बजे वाली ट्रेन तो पकड़ नहीं पाएंगे तो 10:00 वाली देखेंगे लेकिन हम 10:00 बजे तक आते तो रात में 12:30 बजे पहुंचते और फिर हमें दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर रुकना पड़ता तो इसलिए हमने फैसला किया कि हम यहीं पर 12:00 बजे तक घूमेंगे और फिर रात में 3:00 वाली ट्रेन 9:00 के तीन बजकर पचास मिनट वाली ट्रेन पकड़ेंगे और फिर हमने फैसला किया और हम रेलवे स्टेशन पहुंच गए अभी 10:30 बज रहे थे इसलिए हमने वहां पर हमने हमने वहां पर टेंट लगाकर के बैठने का फैसला किया और टेंट लगा कर बैठ गए उससे पहले हमने 3 जनरल टिकट ले ली जो कि ₹80 प्रति व्यक्ति थी दिल्ली से आना ₹80 और वापस दिल्ली जाना 80₹ कुल मिलाकर हो गए ₹160 आर्टिकल में बनी रही है मैं आपको मथुरा घूमने का पूरा खर्चा बताऊंगा तो उसके साथ हमने टेंट लगा लिया और उसमें बैठ गए बैठने के बाद हमने 40 ₹40 के खाने के डब्बे लिए थे जिसमें छह पूरी और छोले की सब्जियां और आलू की सब्जी थी सब्जी थी हमने वह खाया और फिर आराम करने के लिए कुछ काम था मैं वह काम करने लग गया और लगभग 2:00 बजे मेरी आंख लग गई और फिर पुनः 3:30 बजे मुझे जगाया गया इसके बाद 350 की ट्रेन पकड़ने की और फिर हमने जल्दी-जल्दी सेट टेंडर को समेटा पैक किया और बैग में रखा और खड़े हो गए प्लेटफार्म पर इंदौर टू दिल्ली की ट्रेन आई इंदौर एक्सप्रेस मेरे ख्याल से या इंदौर इंटरसिटी एक्सप्रेस थी शायद। और फिर हम लोग रात के 3:50 पर मथुरा स्टेशन पर दिल्ली के लिए रवाना हो गए और हम लोग सुबह 6:00 बजे नई दिल्ली पहुंचते लेकिन हमने फैसला किया कि हम निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर उतरेंगे और वहां से बस में बैठकर के घर की ओर जाएंगे क्योंकि हमें अपना सफर का खर्चा बढ़ाना नहीं था इसके बावजूद रजत को जल्दी घर जाना था इसलिए हम तीनों ने मन बदला और मेट्रो से ही घर की ओर आ गए मेट्रो का खर्चा ₹50-₹50 आया और गुरु मैं आपको टोटल खर्चा बता दूं

हम दिल्ली से मेट्रो स्टेशन तक गए ₹50
दिल्ली रेलवे स्टेशन से ₹80 मथुरा जाने का टिकट
और मथुरा से वृंदावन जाने का ₹30 प्रति व्यक्ति टिकट
इसके बाद वहां क्या आसपास का जो एरिया है बिल्कुल पास में है तो आप ₹20 प्रति व्यक्ति से ज्यादा ना दीजिएगा कोई आपसे ₹50 चार्ज करेगा कोई 250 मांगेगा कोई 300 मांगेगा तो आप नहीं देना सभी दर्शनीय मंदिर लगभग 2 से 3 किलोमीटर की रेंज में ही है ज्यादा दूर नहीं है तो आपको ज्यादा खर्चा करने की जरूर भी नहीं है । गुरु पैदल घूमना कृष्ण की नगरी को अपनी आंखों से भ्रमण करना इस दिव्य स्थल को अपने चरणों से ही चल करके देखना और मैं कहूंगा हारे एरिया को देखना क्योंकि यह हमारे कृष्ण की पवित्र पावन भूमि है । यह वही स्थान है यह वही यमुना का किनारा है जहां पर श्री कृष्ण लीला बचपन की अठखेलियां खेली है । और इसके साथ ही रात में ठहरने के लिए आपको 300 से 500 के बीच में कमरा मिल जाएगा और कोशिश करना कि आप दो से तीन व्यक्ति साथ में हो इससे आपकी हिस्से में कमरे का कम हिस्सा आएगा कम खर्चा पड़ेगा।

उम्मीद करता हूं आपको जानकारी अच्छी लगी होगी ऐसे ही जानकारी के लिए जाकर के यूट्यूब पर चैनल को सब्सक्राइब कर लो और अपने भाई को यहां पर फॉलो करलो ।

तो गुरु इसकी पूरी वीडियो चैनल पर जरूर से देखना
चैनल का नाम है मुसाफिर निजाम
World Smallest Traveller
Musafir Nizam

Photo of मथुरा वृंदावन by Musafir Nizam
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