मंदिर परिसर का महात्मा बुद्ध के जीवन (566-486 ईसा पूर्व) से सीधा संबंध है क्योंकि यह वही स्थान है जहां 531 ईसा पूर्व में उन्होंने बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर सर्वोच्च और संपूर्ण अंतरज्ञान प्राप्त किया था। यहां उनके जीवन और तत्पश्चात उनकी पूजा से जुड़ी घटनाओं के असाधारण रिकॉर्ड उपलब्ध हैं, विशेषकर उस समय के जब 260 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक इस स्थान पर तीर्थ यात्रा पर आए थे और उन्होंने बोधि वृक्ष के स्थल पर पहले मंदिर का निर्माण करवाया था। महाबोधि मंदिर परिसर बोध गया शहर के ठीक बीचों - बीच में स्थित है। इस स्थल पर एक मुख्य मंदिर है तथा एक प्रांगण के भीतर छह पवित्र स्थान हैं और दक्षिण की ओर के प्रांगण के ठीक बाहर, कमल कुंड नामक एक सातवां पवित्र स्थान है।
बोधगया भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में एक है. देश-दुनिया के कोने-कोने से लोग महाबोधि मंदिर के दर्शन करने आते हैं. इसी स्थान पर महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
विशाल महाबोधि मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है. केवल बौद्ध ही नहीं, बल्कि हिंदू धर्म को मानने वाले भी यहां बड़ी श्रद्धा के साथ सिर नवाते हैं ।
बोधगया में स्थित महात्मा बुद्ध की यह भव्य प्रतिमा करीब 80 फुट ऊंची है. बोधगया आने वाले दूसरे देशों के पर्यटकों में नेपाल, श्रीलंका, जापान, म्यांमार, चीन आदि के नागरिकों की तादाद ज्यादा होती हैं।
कैसे आयें
बोधगया पहुंचने के लिए अगर आप हवाई मार्ग का सहारा ले रहे है तो बोधगया का नजदीकी हवाई अड्डा गया है जो बोधगया शहर से लगभग 17 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा अगर आप रेल मार्ग का सहारा लेते है तो बोधगया का नजदीकी रेलवे स्टेशन गया जंक्शन है जो यहां से 13 किमी दूर है और अगर आप बस से आ रहे है तो गया से एक मुख्य सड़क बोधगया शहर को जोड़ती है। पटना से बोधगया के लिए बिहार राज्य पर्यटन निगम की बसें रोज दिन में दो बार चलती हैं और इसके अलावा प्राइवेट बसें भी चलती हैं।