झांसी। इतिहास की चार शताब्दी पुरानी विरासत झांसी का किला प्रदेश के प्रमुख पर्यटक स्थलों में शुमार है। रानी की गौरव गाथा की वजह से यहां हर साल लगभग चार लाख देसी - विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं। साल दर साल ये आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। पर्यटन उद्योग की दृष्टि से ये भविष्य के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है।
वैसे तो देश में पुरा स्मारकों की भरमार है, लेकिन इनमें झांसी के किले की बात ही अलग है। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ इसी किले की प्राचीर से स्वराज्य का नारा बुलंद हुआ था। नारी शक्ति की मिसाल बनकर वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई ने झांसी के किले से ही फिरंगियों को ललकारा था। यही वजह है कि इतिहास की ये विरासत अब भी देस - विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। साल भर यहां पर्यटकों की आमद बनी रहती है। गर्मी बढ़ने पर अप्रैल और मई माह में जरूर पर्यटक घट जाते हैं, लेकिन जून में मानसूनी हवाएं चलने के साथ ही यहां पर्यटक फिर से बढ़ जाते हैं। जाड़े के सीजन में तो यहां दिन भर मेले जैसी स्थिति बनी रहती है। पिछले साल 2019 में किले में 3,90,095 पर्यटक पहुंचे थे। जबकि, साल 2018 में पर्यटकों की संख्या 3,89,249 रही थी। 2017 में ये आंकड़ा 3,88,849 रहा था। साल दर साल पर्यटकों की संख्या में हो रही बढ़ोत्तरी भविष्य में पर्यटन उद्योग की दृष्टि से शुभ संकेत मानी जा रही है। इससे पर्यटन विभाग उत्साहित है।
ताज महज से पुराना है किला
झांसी का किला ताजमहल से पुराना है। आगरा में ताजमहल का निर्माण 1632-53 के बीच हुआ था। जबकि, झांसी के किले का निर्माण 1613-19 के बीच ओरछा के राजा वीर सिंह जूदेव ने बंगरा नामक पहाड़ी पर तकरीबन पंद्रह एकड़ के क्षेत्रफल में कराया था। इसमें बुंदेली और मराठा स्थापत्य कला शैली की जुगलबंदी देखने को मिलती है। किले के भीतर गणेश मंदिर व भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। रानी के मुख्य तोपची गुलाम गौस खां की कड़क बिजली तोप मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही पर्यटकों का स्वागत करती नजर आती है। दुर्ग के भीतर बना पंच महल झांसी के पुराने वैभव को दर्शाता है। किले में 22 बुुर्ज और दो तरफ रक्षा खाई है। किले के बुर्जों पर खड़े होकर पूरे शहर को निहारा जा सकता है। निर्माण के 25 सालों तक मराठाओं ने यहां राज्य किया। इसके बाद ये मुगल, मराठा व अंग्रेजों के अधिकार में रहा। 1938 में किला केंद्रीय पुरातात्विक संरक्षण में लिया गया।
अनूठा है परकोटा
किले से जुड़ा हुआ पुराने शहर को चारों ओर से घेरे हुआ परकोटा अपने आप में अनूठा है। इसमें बाहर आने जाने के लिए 10 द्वार व चार खिड़कियां (छोटे दरवाजे) हैं। परकोटे की दीवार, दरवाजे और खिड़कियों ने 1957 के संग्राम में झांसी की ढाल बनकर रक्षा की थी।
झांसी के प्राचीन दुर्ग में पर्यटकों की आमद लगातार बढ़ती जा रही है। खजुराहो जाने वाले ज्यादातर विदेशी पर्यटक रानी के किले को देखने आते हैं। रानी की गौरव गाथा को ज्यादा से ज्यादा जानने के लिए पर्यटक यहां पहुुंचते हैं। ये पूरे बुंदेलखंड के लिए पर्यटन की दृष्टि से शुभ संकेत है।