अपने घर पर प्रातः पूजन करके पंचदिवसिय दीपोत्सव के पूजन अनुष्ठान को समाप्त करके निकल पड़ा काशी की तरफ सुबह जल्दी स्नान और नित्य पुजा समाप्त करके अपने घर विन्ध्याचल से उत्तरप्रदेश परिवहन निगम के बस द्वारा बनारस के लिए प्रस्थान किया।
इयरफोन पर गानों का आनंद लेते और फेसबुक पर चैटिंग करते लगभग 2 घण्टे में बनारस कैन्ट पर पहुँच गया फिर कैंट चौराहे से ऑटोरिक्शा से मैदागिन पहुँच गया फिर वहाँ से चौक काशीविश्वनाथ मन्दिर की तरफ पैदल ही आगे बढ़ा मैदागिन चौराहे से काशीविश्वनाथ मन्दिर लगभग 1 किलोमीटर से भी कम है इसलिए पैदल ही 5 मिनट में मैं चौक थाने के आगे मणिकर्णिका घाट के गेट पर पहुँच गया वहाँ से अपने बड़ी बहन के घर पहुँच गया उस दिन भाईदूज था तो बड़ी बहन से टीका करवाने के बाद कुछ समय वहाँ व्यतीत करने के बाद फिर मैं शीतला घाट की तरफ चला गया उसके बाद माँ शीतला मन्दिर में दर्शन करने के पश्चात कुछ देर सेल्फी और फोटोशूट करने का दौर चला फिर घाट वाक करते हुए शीतला घाट से ललिता घाट तक पैदल निकल पड़ा फिर कुछ देर विश्वनाथ कॉरिडोर में होता निर्माण कार्य देखा उसके बाद घाट पर ही गर्म चाय का आनंद लिया और फिर चल पड़ा काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए तब तक घूमते फिरते और शहर में कुछ आवश्यक काम करते करते रात हो चुका था फिर रात को बड़ी बहन के घर पर जो काशीविश्वनाथ मन्दिर के नजदीक ही है वहीं पर फ्रेश होकर फिर बाबा आदिविश्वेस्वर महादेव और माता सौभाग्यगौरी के दर्शन के लिए निकल पड़ा जो ज्ञानवापी पर कुछ ही कदम की दूरी पर स्थित है वहाँ बाबा आदिविश्वेस्वर के दर्शन के और माता सौभाग्यगौरी बाबा यक्ष भैरव और हनुमानजी के दर्शन करने के बाद रात 8 बजे बाबा आदिविश्वेस्वर महादेव के रात्रि के आरती में शामिल हुआ उसके बाद स्तुति करने के बाद निकल ही रहा था कि बाबा आदिविश्वेस्वर के अन्नकूट का प्रसाद भी मिल गया और आरती का भी प्रसाद मिला फिर बाबा को प्रणाम कर जल्दी से बाबा विश्वनाथ के मंदिर निकल पड़ा तब तक 9 बजने वाले थे पहले ढुंढिराज गणेश जी के दर्शन करते हुए पुलिसकर्मियों को अपना तलाशी देते हुए आगे बढ़ा और माता अन्नपूर्णा के मंदिर में माता अन्नपूर्णा के दिव्य दर्शन किया वहाँ से माता अन्नपूर्णा के अन्नकूट का प्रसाद प्राप्त हुआ वहाँ के सभी देवी देवताओं का दर्शन करने के बाद माता अन्नपूर्णा को प्रणाम करके मन्दिर से बाहर निकला फिर विश्वनाथ मंदिर की तरफ बढ़ गया बाबा विश्वनाथ के मंदिर के द्वार पर गणेश जी को प्रणाम करके मंदिर के भीतर पहुँचा उस समय बाबा विश्वनाथ का श्रृंगार आरती हो रहा था बाबा के आरती में शामिल होने के बाद माता पार्वती और अन्नपूर्णा सहित अन्य देवी देवताओं का दर्शन कर प्रणाम किया फिर बाबा विश्वनाथ के आरती के खीर का प्रसाद लेकर निकल ही रहा था कि मुझे बाबा के अन्नकूट का भी प्रसाद और बाबा को अर्पित भस्म भी मिल गया फिर बाबा की स्तुति प्रणाम कर के मंदिर से बाहर निकला तब तक रात का 10 बज चुका था फिर सड़क की एक पान के दुकान से बनारसी पान का स्वाद लिया फिर बहन के घर पहुँच गया जहाँ सब मेरे ही इंतजार में थे फिर सारा प्रसाद वहीं देकर बैठा तब तक 10,30 हो गया था फिर वही पर सबके साथ भोजन करके रात्रि विश्राम किया।
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फिर सुबह स्नान करके फिर शहर में कुछ जरूरी काम करके बाजार से कुछ जरूरी समान लेकर 4 बजे शाम को बनारस कैंट रोडवेज से मिर्ज़ापुर डिपो का बस पकड़कर वापस मिर्ज़ापुर विन्ध्याचल में स्थित अपने घर पहुँच गया भीड़ जाम और बसों की कम संख्या के कारण वापसी में लगभग 3 घण्टे का समय लग गया और लगभग 7 बजे मिर्ज़ापुर के शास्त्री सेतु पर पहुँचा फिर वहाँ से ऑटोरिक्शा से 15 मिनट में अपने घर विन्ध्याचल पहुँच गया।