बैधनाथधाम के नाम से प्रसिद्ध देवघर, झारखण्ड में स्तिथ एक बेहद बेहतरीन और खूबसूरत शहर है | अगर आप एक धार्मिक और आनंददायक जगह पर जाने की सोच रहे हैं, तो देवघर आपके लिए एक आदर्श विकल्प हो सकता है |
बैद्यनाथ धाम के बारे में एक मान्यता यह है कि, जब रावण ने अपने तपस्या से भोलेनाथ को प्रसन्न कर वरदान रूपी जब उनसे लंका में निवास करने का आग्रह किया, तो महादेव ने रावण को अपनी ज्योतिर्लिंग देते हुए, ये शर्त रखी की रास्ते में किसी भी जगह तुम इस शिवलिंग को नीचे पृथ्वी पर नहीं रखोगे, वर्ना तुम जिस भी जगह इस शिवलिंग को धरती पर रखोगे, मै वहीं पर हमेशा - हमेशा के लिए स्थापित हो जाऊंगा |
रावण सशर्त महादेव के ज्योतिर्लिंग को लेकर अपने अहंकार में चूर लंका की ओर चल पड़ा, ये अन्याय होता देख देवी सती ने विष्णु जी से आग्रह किया की, रावण को किसी भी तरह लंका पहुंचने से रोका जाय, तभी दैवीय कृप्या से रावण को बहुत जोर की लघुशंका लगी, तो रावण बैचैन होकर किसी मनुष्य को ढूंढने लगा, ताकि वो शिवलिंग उसके हाथ में देकर लघुशंका से निवृत हो सके, तभी बिष्णु जी एक चरवाहे का रूप धारण कर रावण के पास पहुंचे और उन्होंने रावण से कहा तुम ये शिवलिंग मेरे हाथ में देकर लघुशंका से निवृत हो जाओ,
जैसे ही रावण लघुशंका के लिए गया तो बिष्णु जी ने उस ज्योतिर्लिंग को वहीं स्थापित कर, अंतर्ध्यान हो गए |
और दूसरी मान्यता यह है, बैजू नाम के एक चरवाहे ने इस ज्योतिर्लिंग की खोज की थी, जिस कारण इस मंदिर का नाम बैधनाथधाम पड़ गया, कई लोग इसे कामना लिंग के रूप में भी मानते है | सावन के पावन महीना में देश-विदेश से लाखो की संख्या में श्रद्धालु बिहार के सुल्तानगंज स्तिथ उतरवाहिनी गंगा से जल उठा कर और कांधे पर कांवर रख कर पैदल 105 km दूर बैद्यनाथधाम ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक करते है |
देवघर के अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थल -
नौलखा मंदिर - यह मंदिर देवघर मंदिर से केवल 1.5km की दुरी पर स्तिथ है, इस मंदिर में अद्भुत राधा और कृष्ण जी की मूर्तियां विराजमान है, जिसकी ऊचाई लगभग 146 फीट है | इस मंदिर के निर्माण में लगभग 9 लाख रुपए का खर्च आया था, जिस कारण भी इस मंदिर को नौलखा मंदिर कहा जाता है | ये सारा पैसा चारुशीला जी के द्वारा दान स्वरुप दिया गया था, उन्होंने इस मंदिर का निर्माण अपने पति व बेटे की याद में करवाया था |
त्रिकुटी पहाड़ - अगर आपको ट्रैकिंग, एडवेंचर्स, रोपवे की सवारी और वन्य-जीव पसंद है, तो आप पहुंच जाये त्रिकुटी पहाड़, यह बेहद लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट और तीर्थस्थल है |
चढ़ाई पर स्तिथ घने जंगलों के बीच त्रिकुटी पर्वत पर बाबा त्रिकुटाचल महादेव जी का मंदिर और ऋषि दयानन्द का आश्रम है, आप त्रिकुटी पहाड़ से देवघर शहर और जंगल की संपूर्ण खूबसूरती को अपनी आँखों में कैद कर सकते है |
कैसे पहुंचे - आप देवघर शहर के किसी भी कोने से अपनी गाड़ी से या टैक्सी से आसानी से पहुंच सकते है,
बस स्टैंड से दुरी - 12 km लगभग
तपोवन - देवघर शहर से लगभग 10km की दुरी पर स्तिथ तपोवन अपने प्रसिद्ध शिवमंदिर के लिए जाना जाता है | प्राचीन गुफाओ और पहाड़ी पर बने मंदिर के लिए विख्यात तपोवन एक बेहद खूबसूरत और रमणीक स्थान है | तपोवन के बारे में मान्यता यह है कि, यहाँ ऋषि वाल्मीकि तपस्या करने आये थे, कहा जाता है कि श्री बालानन्द ब्रह्मचारी ने भी यहां पर तप करके अपनी दिव्यता प्राप्त की थी |
नंदन पहाड़ - अगर आप देवघर में हैं,और आपको सूर्योदय या सूर्यास्त के खूबसूरत नज़ारो को अपनी आँखों में कैद करना चाहते हैं तो आप पहुँच जाये नंदन पहाड़ | नंदन पहाड़ बैद्यनाथधाम मंदिर से मात्र 3km की दुरी पर स्तिथ है, पहाड़ी पर आपको कई मंदिरो में शिवजी, पार्वती मैया, गणेश जी और कार्तिक जी की बेहद खूबसूरत मूर्तियां देखने को मिल जाएगी |
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब रावण ने जबरदस्ती शिवधाम में प्रवेश करने की कोशिश की, तब नंदी जी भगवान शिव के द्वारपाल थे, नंदी ने रावण को शिवधाम के परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया था, जिससे क्रोधित हो रावण ने नंदी को इसी पर्वत पर उठा कर फेक दिया था, इस लिए इस स्थान का नाम नंदन पहाड़ पड़ गया | पहाड़ी पर आपको नंदन हिल एंटरटेनमेंट पार्क के अलावा तैराकी और नौकायन के लिए पर्याप्त जगह सहित बच्चो के लिए भूतघर, बूटहाउस, दर्पणघर,
रेस्टोरेंट इत्यादि उपलब्ध है |
वासुकीनाथ धाम - वासुकीनाथ धाम अपने पौराणिक शिव मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है, कहा जाता है कि 'बैद्यनाथधाम' मंदिर की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक आपने बाबा वासुकीनाथ के दर्शन नहीं किये | यह मंदिर देवघर मंदिर से लगभग 42km दूर जरमुंडी गांव के पास स्तिथ है, यहां आप स्थानीय कला के विभिन्न स्वरुप से भलीभांति परिचित हो सकते है |
कैसे पहुंचे - आप देवघर जाने के लिए हिंदुस्तान के किसी भी कोने से ट्रेन, हवाई जहाज अथवा अपनी गाड़ी से पहुंच सकते है
नजदीकी प्रमुख रेलवे स्टेशन - जसीडीह जंक्सन
मंदिर से दुरी - 7km
नजदीकी हवाई अड्डा - विरसा मुंडा एयरपोर्ट रांची
मंदिर से दुरी - 278km
कब जाए - यूं तो आप देवघर कभी भी और किसी भी मौसम में जा सकते है, परन्तु मुख्यतः आप सावन, भादो और आसीन
मतलब जुलाई, अगस्त और सितम्बर में विशेष रूप से जा सकते है | धन्यवाद... |