तीज के साथ शुरु होता है नेपाल में उत्सवों का दौर
प्रिय मित्रों...
दुनियां के एकलौते हिन्दू राष्ट्र के रुप में जाने जाने वाला राष्ट्र नेपाल की बहुसंख्यक आबादी हिन्दू है और वह हिन्दू देवी देवताओं की पूजा करते है। गुरु गोरक्ष नाथ को नेपाल का कुल देवता भी माना जाता है।
बता दें कि हिन्दू धर्म में पति के दीर्घायु की कामना के साथ सुहागिन महिलाएं हरितालिका तीज या तीजा का व्रत रखती है।इसे हिन्दू धर्म शास्त्रों में सुहाग का सबसे बडा व्रत माना गया है।इस पर्व को नेपाल में बडे ही धूमधाम से मनाया जाता है और इसी पर्व के साथ नेपाल के धार्मिक उत्सवों का आगाज होगा है।तीज को लेकर नेपाल की हर सुहागिन महिलाएं बडी उत्सुक रहती है।हफ्तों पूर्व से तीज को लेकर सम्पूर्ण नेपाल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आगाज हो जाता है।अपने पारम्परिक परिधानों में सज धज कर नेपाली महिलाएं पारम्परिक गीत और नृत्य प्रस्तुत कर अपनी खुशी का इजहार करती हैं।यह उत्सव हिन्दी माह के भादो में शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन तीज का पर्व भारत व नेपाल में एक साथ मनाया जाता है।अंग्रेजी महीने में यह आमतौर पर अगस्त के अंतिम सप्ताह में ही पडता है लेकिन इस बार तीज दो सितम्बर को पड रहा है।इसे लेकर नेपाल में गजब का माहौल इन दिनों है।अगर आपको नेपाल के उत्सवों का रंग देखना है, तो तीज से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता।सप्ताह पूर्व ही यहां तीज पर्व को लेकर उत्सवों का दौर शुरु है।गांव हो या शहर हर तरफ जीत पर्व को लेकर धूम मची है।
नेपाल मूल की महिलाएं सुहाग के प्रतीक लाल परिधानों में सज धज कर मंगल गीत गाते हुये पारम्परिक नृत्य प्रस्तुत करती हैं। यह नजारा नेपाल में इन दिनों आम है।हर चौक चौराहों पर थिरकती महिलाओं की झुण्ड आपको दिख जायेगी। भारत से बडी संख्या में लोग इन दिनों नेपाल जाते है।तीज के एक दिन पूर्व हर साल नेपाल में बहुत से जगहों पर बडा मेला लगता है।इन मेलों में बर्दगोनिया का मेला बेहद फेमस है।
मसहूर है बर्दगोनिया का तीज मेला
भारत नेपाल की सीमा से सटे नवलपरासी का बर्दगोनियां में लगने वाला तीज मेला बेहद ऐतिहासिक है।दशकों पुराने इस मेले को लेकर नेपाली जन के साथ साथ भारतियों में भी बडी उत्सुकता रहती है।हर साल तीज पर लगने वाले इस मेले में बडी संख्या में लोग पहुंचते है। भारत नेपाल सीमा से करीब 21 किमी दूर भुमही के निकट लगने वाला यह ऐतिहासिक मेला भारत नेपाल की साझा सांस्कृतिक विरासत की भी एक झलक है।जहां हर साल बडी संख्या में दोनों ही देश के लोग जुटते है।