एकल यात्रा (solo travelling)

Tripoto
11th May 2019
Photo of एकल यात्रा (solo travelling) by Mohit Aggarwal

भारत जैसे देश में जहां आज भी घूमने फिरने को एक विलासिता माना जाता है, मध्यम आय वर्ग शायद ही भ्रमण पर अपनी गाढ़ी कमाई का कुछ अंश खर्च करना पसंद करता है।

यह बात सही है कि परिवार के साथ छुट्टियां बिताने के लिए अगर बाहर निकलें तो बजट का एक अच्छा खासा हिस्सा खर्च हो जाता है। अगर एलटीसी की सुविधा आपको अपने कार्यालय के माध्यम से मिल रही है तो अलग बात है अन्यथा आप अपने मासिक खर्च में से भी कुछ हिस्सा अलग कर अपने घूमने फिरने का शौक पूरा कर सकते हैं।

आज मैं इस लेख के माध्यम से एकल यात्रा और इससे जुड़ी आनंद की अनुभूति के बारे में बात करना चाहता हूं। एकल यात्रा के मेरे अपने अनुभव भी मैं इस लेख में साझा करूंगा।

भारत में एकल यात्रा करना एक नई संकल्पना है जो की परिवार अथवा दोस्तों के संग मौज मस्ती के साथ की गई यात्राओं के बिल्कुल विपरीत है। यह मूलत: एक पश्चिमी अवधारणा है जो की शनै: शनै: भारत में भी पैर पसार रही है।

युवा पीढ़ी में तो फिर भी एकल यात्रा  के प्रति चाह  एवं उत्सुकता है मगर विवाहित अथवा मध्यम वय के लोग इससे बचते हैं।

एकल यात्रा के फायदे
The benefits of solo travelling.

१. रोज़मर्रा की ज़िंदगी से विश्राम - कभी कभी इंसान रोज़मर्रा के कामकाज और ज़िंदगी की भाग दौड़ से इतना परेशान हो जाता है कि उसे लगता है कि एक ब्रेक चाहिए। १-२ दिनों के लिए किसी नजदीकी शहर अथवा पहाड़ी स्थान पर घूम आइए, आपकी थकान गायब हो जाएगी और आप नई ऊर्जा और जोश से काम कर पाएंगे।

२. अगर आप अकेले घूमने निकलते हैं तो आप अपनी मर्जी के खुद मालिक होते हैं। ना आपको किसी के साथ कोई एडजस्टमेंट करना होता है तथा ना ही आप किसी ओर की मर्जी के हिसाब से चलते हैं ।

३. आप अपने सुविधा क्षेत्र (comfort zone) से बाहर निकलते हैं तथा नए अवसर और चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार होते हैं।

४. जब आप अकेले घूमने जाएंगे तो पाएंगे कि आप अपनी जैसी विचारधारा वाले लोगों से मिलेंगे तथा नए-नए दोस्त बनाएंगे।

मैं लगभग ४० वर्ष का था जब मुझे महसूस हुआ कि जीवन में कुछ नीरसता सी महसूस हो रही है। जब जीवन नीरस लगे तो कहीं बाहर निकाल जाओ। हवा पानी बदलेगा तो जीवन फिर से रोचक लगेगा। अगर परिवार के साथ जाना हो तो बहुत सोचना पड़ेगा। बच्चों की छुट्टियां, मौसम, बजट, होटल अथवा ट्रेन का आरक्षण आदि आदि।

भारत जैसे देश में जो कि इतना विशाल और विविध है, एकल यात्रा के लिए बिल्कुल सटीक है।
ये विचार मन में आया और फिर मन को केन्द्रित किया की कहां जाया जाए।

ऐसे बहुत से शहर हैं जिन्हें की एक ही दिन में बहुत आराम से घूमा जा सकता है। मैं अब तक बनारस, आगरा, ग्वालियर, जयपुर, जोधपुर और बीकानेर शहरों की एकल यात्रा कर चुका हूं।

ध्यान रखने योग्य बातें
१. अकेले घूमने जा रहे हैं तो सामान कम से कम रखें। एक दिन के हिसाब से एक छोटा पिट्ठू बैग काफी है।
२. आधार अथवा कोई भी अन्य आई डी कार्ड जरूर साथ रखें। आपके मोबाइल फोन में scanned image भी अवश्य होनी चाहिए।
३. लगातार पड़ रही छुट्टियों का फायदा उठाएं। अगर पांच दिन का ऑफिस है तो आप शुक्रवार अथवा सोमवार की छुट्टी ले सकते हैं जिससे आप लगातार ३ छुट्टियों का आनंद उठा सकते हैं।
४. जिस जगह जा रहे हैं, उस शहर अथवा क्षेत्र के offline maps अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड करके रखें।
५. किसी ऐसी ट्रेन अथवा बस का चुनाव करें जो कि शाम अथवा रात को प्रस्थान करती हो और सुबह आपको अपनी मंज़िल पर पहुंचा दे। पूरा दिन घूमिए और इसी तरह वापसी के लिए ट्रेन का आरक्षण करा लें। ना होटल लेना पड़ेगा और ना आपकी जेब पर ज्यादा बोझ पड़ेगा।
६. जिस भी शहर में जा रहे हैं उसके प्रमुख पर्यटन स्थलों की एक सूची बनाएं और उसी हिसाब से अपने कार्यक्रम को अंजाम दें।
७. आजकल बहुत से शहरों में uber और ola की बाइक सेवा उपलब्ध है जो कि बहुत ही किफायती और सुविधाजनक है। इसका लाभ उठाएं।

मेरे अपने अनुभव :

१. *वाराणसी* दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन से मैंने गरीब रथ ट्रेन का आरक्षण करवाया और दूसरे ही दिन पहुंच गया बनारस। गौडोलिया चौक से दिन भर के लिए ऑटो बुक किया और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित नया काशी विश्वनाथ मंदिर, सारनाथ, भारत माता मंदिर, दशाश्वमेध घाट पर दिन भर भ्रमण किया। पटना के एक परिवार के साथ नौका यात्रा का लुत्फ उठाया। बनारस की प्रसिद्ध ठंडाई का आनंद लिया और क्षीर सागर नामक मिष्ठान भंडार से लवंग लता मिठाई के दो डिब्बे घर के लिए पैक कराए। शाम की वापसी की फिर से वहीं ट्रेन और अगले दिन दिल्ली स्थित अपने घर।
खास: बनारस में बिताए दिन की यादें हमेशा दिमाग में ताज़ा रहेंगी। कभी ना भूल सकने वाली यादें।
अफसोस: शाम की गंगा आरती को नहीं देख पाने का दुख।

२. *आगरा*
दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से ताज एक्सप्रेस से आगरा तक का सफर। सुबह १० बजे आगरा पहुंच कर सब्जी कचौरी का नाश्ता किया और पहुंच गया आगरा किला। घंटे भर के बाद ताज़ महल और फिर दयालबाग मंदिर। वापसी गतिमान एक्सप्रेस से और शाम तक दिल्ली वापिस।
खास: ताज महल से दयाल बाग तक तांगे की सवारी। पंछी का अंगूरी पेठा और दाल मोठ।

३. *ग्वालियर*
फिर वही ताज एक्सप्रेस मगर इस बार ग्वालियर शहर। रेलवे स्टेशन से मात्र १० रुपए में जय विलास पैलेस। म्यूजियम, सूर्य मंदिर और फिर फोर्ट। शाम को साउंड एंड लाइट शो। रात्रि की ट्रेन और अगले दिन सुबह दिल्ली।
खास: मुरैना की मशहूर गजक। चौपाटी पर शाम की चाय और पोहा।

४. *ओरछा*
जितना कहूं उतना कम है।

अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर निकलिए।  ये हमारा अपना देश है, भ्रमण कीजिए और जानिए देश के अलग अलग हिस्सों को, वहां की धरोहर को।
१-२ दिन का कार्यक्रम बनाइए और आनंद उठाइए।

Further Reads