Amazing Trip

Tripoto
20th May 2019
Day 1

पर्यटन और आध्यात्म के केंद्रों से लबरेज है झारखंड का सारंडा
फोटो - 1 - मनोहरपुर में सूर्योदय के नजारा, 2 - मनोहरपुर में सूर्यास्त का नजारा, 3 - सारंडा का टॉयबो फॉल, 4 - सारंडा का झिंगरी फॉल
अमित राज। मनोहरपुर
झारखंड के मनोहरपुर प्रखंड का सारंडा न सिर्फ पर्यटन बल्कि आध्यात्म का का भी केंद्र है। साहित्यकारों की पसंदीदा जगह रहे मनोहरपुर व उसके अंतर्गत सारंडा में कई दर्शनीय स्थल आज भी देश की बात तो दूर जिले के सैलानियों से भी अनछुए हैं। इन्हीं में से झिंगरी फॉल, पचेरी फॉल, टॉयबो फॉल, रानी डूबा झरना, बोंगामाण्डा, पुंडूल झरना, जाटीसिरिंग झरना समेत कई रमणीय स्थलों पर आज भी काफी कम सैलानी पहुंच सके हैं। प्रस्तुत हैं कुछ ऐसी जगहें जहां जाकर एक सुखद अनुभूति मिलती है।

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थोलकोबाद का टॉयबो व लिगिरदा झरना

थोलकोबाद के आसपास ही लीगिरदा व टॉयबो झरना है। इनमें काफी ऊंचाई से सालों भर पानी गिरता रहता है। टॉयबो झरना में मछलियों की बहुतायत है पर यहां पुरानी मान्यता के अनुसार लोग मछली नहीं मारते हैं। थोलकोबाद में नया आधुनिक व सुस्सजित गेस्ट हाउस अवस्थित है। यहां रहकर इन जगहों के अलावा सारंडा में मौजूद विशाल व घने साल के दरख्तों को देखना एक रोमांच देता है।

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घने जंगल में अवस्थित है झिंगरी व पचेरी झरना

मनोहरपुर से करीबन 70 व किरीबुरू से करीबन 40 किमी दूर सारंडा के घने जंगल के बीच अवस्थित है झिंगरी व पचेरी झरना। यहां करीबन 200 फ़ीट की ऊंचाई से पानी गिरता है। झरनों का पानी नाले का रूप धर कारो व कोयना नदियों से जा मिलते हैं। यहां तक पूरी तरह से फारेस्ट सड़क है। वहीं मनोहरपुर के गंगदा पंचायत में रोवाम गांव के पास घने जंगल के बीच बोंगामाण्डा नामक एक स्थान है। जहां नदी की पत्थरों में बड़े-बड़े पैरों के निशान मौजूद हैं। मान्यता के अनुसार ये निशान भीम के पैर के हैं। वहीं चिरिया में एशिया प्रसिद्ध लौह-अयस्क खदान के अलावा जंगल के बीच रानीडुबा नाम का एक अन्य झरना भी है। परन्तु यातायात सुविधा के अभाव में यह जगह भी आज सैलानियों की नजरों से दूर है।

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सारंडा में मौजूद हैं आस्था के कई केंद्र

दूसरी ओर सारंडा अंतर्गत छोटानागरा, कोलबोंगा समेत अन्य जगह आस्था के केंद्र हैं। छोटानागरा में सैंकड़ों साल पुराने शिवालय के बगल में दो नगाड़े आस्था के प्रमुख केंद्र है। कहा जाता है कि सैंकड़ो साल पहले महाशिवरात्रि व अन्य त्योहारों के मौके पर ये नगाड़े स्वतः बजते थे। वहीं कोलबोंगा में सड़क के किनारे जागृत शिवालय है। यहां मांगी गई मुरादें अवश्य पूरी होती हैं। इसके अलावा पुराना मनोहरपुर में भू - जा देवी माता मंदिर में अवस्थित प्रतिमा भी सैंकड़ों साल पुरानी है। 

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कोयल नदी के नजारे भी हैं खूबसूरत

वहीं मनोहरपुर से होकर बहनेवाली कोयल नदी के नजारे भी काफी रमणीय हैं। दिसम्बर आते ही इसके तट पर शुरू हुआ पिकनिक व वनभोज का दौर दो माह तक चलता रहता है। खासकर खुदपोस व कुड़ना के निकट का स्पॉट किसी भी सैलानी का दिल जीतने के लिए काफी है। जबकि नदी के तट से सूर्योदय व सूर्यास्त का दृश्य मनमोहक होता है।

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कैसे पहुंचे सारंडा

सारंडा आने के लिए हावड़ा-मुम्बई रेल मार्ग पर अवस्थित मनोहरपुर अथवा किरीबुरू जाकर इन पर्यटन स्थलों तक पहुंचा जा सकता है। मनोहरपुर में ठहरने के लिए संतूर नामक एक बेहतरीन निजी गेस्ट हाउस के अलावा लॉज - होटल, पीडब्ल्यूडी व फॉरेस्ट विभाग के गेस्ट हाउस आदि हैं। जबकि किरीबुरू में ठहरने के लिए सेल का गेस्ट हाउस के अलावा अन्य लॉज आदि अवस्थित हैं। इन जगहों तक जाने के लिए यहां आसानी से निजी वाहन किराए पर मिल जाते हैं।

Photo of Amazing Trip by amit raj
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