नए साल में हर कोई हर्षोल्लास में रहना चाहता है। इसके लिए कोई ईश्वर की शरण में जाता है, तो कोई प्राकृतिक सौंदर्य का भरपूर लाभ उठाना चाहता है। राजधानी रांची भी अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए मशहूर है। घने जंगल, ऊँची पहाड़ी, चारों तरफ फैली हरियाली और कई जलप्रपात सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफी हैं। रांची जिला अंतर्गत देवगांव पंचायत के सरसा ग्राम में स्थित है साई मंदिर। सरसा गाँव की खूबसूरत वादियों में बसे साई मंदिर में साल-भर श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं। गुरुवार और रविवार को यहाँ काफी भीड़ होती है। 6 जनवरी, 23 अप्रैल और गुरु पूर्णिमा के मौके पर यहाँ विशेष कार्यक्रम का आयोजन होता है।
23 अप्रैल, 1994 को यहाँ साई धाम के निर्माण में स्थानीय रैयतों ने अपनी जमीन दी थी। मुख्य द्वार पर स्थित शिलापट्ट में जमीन दान करनेवालों के नाम लिखे हुए हैं। 35 एकड़ में फैले साई धाम की चारों तरफ शांति ही शांति मिलती है। मंदिर के आस-पास फूल के बगीचे और बागान हैं। बच्चों के खेलने के लिए झूले भी हैं। मुख्य मंदिर के अंदर साई बाबा की प्रतिमा है, जहाँ पूजा-अर्चना होती है। मंदिर के आसपास घास के मैदान हैं, जहाँ बैठ कर आप शांति महसूस कर सकते हैं। मंदिर के बनने से सरसा गाँव की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार आया है। जिन स्थानीय रैयतों ने अपनी जमीन दी थी, वो मंदिर की देखरेख में शामिल हैं। इसके अलावा मंदिर के सामने कई स्थानीय लोगों ने पूजा सामग्री की दुकान खोली है। मंदिर के बाहर लगभग बीस लोग सब्जी बेचते हैं। बाहरी सैलानियों के संपर्क में आकर ग्रामीणों के रहन-सहन में काफी सुधार हुआ है।
साई मंदिर में रात में रुकने की भी व्यवस्था है, लेकिन खाने-पीने की व्यवस्था खुद से करनी होगी, हालांकि मंदिर में रात में हर रोज़ खाना बनता है। रात में रुकने के लिए एक कमरे के लिए ₹300 देने होंगे। रांची-गुमला मुख्य पथ पर स्थित बेड़ो प्रखंड मुख्यालय से लगभग 12 कि.मी. की दूरी पर स्थित है साईं धाम। यहाँ पहुँचने के लिए सबसे पहले बेड़ो पहुँचना होगा। बेड़ो से जामटोली जानेवाले रास्ते में 12 कि.मी. अंदर जाने के बाद सरसा गाँव में प्रवेश करते ही मंदिर में जाने के लिए द्वार बना हुआ है। यहाँ से बायें मुड़ कर सीधे साईं मंदिर पहुँच सकते हैं। रांची से बेड़ो की दूरी लगभग 35 कि.मी. है और वहाँ से साईं मंदिर की दूरी लगभग 12 कि.मी. है।
पौराणिक कथाओं को समेटे आपका इंतजार कर रहा घघारी धाम
लापुंग प्रखंड की देवगांव पंचायत में साईं धाम के अलावा एक और दर्शनीय स्थल है घघारी धाम। यहाँ के हरे-भरे जंगल, छोटे पहाड़ और घघारी नदी का उद्गम स्थल सैलानियों को आकर्षित करता है। यहाँ देखने के लिए प्राचीन शिवलिंग है, जो तीन खंडों में बटा हुआ है। इसके अलावा यहाँ हनुमान मंदिर और पार्वती माता का मंदिर भी है। अन्य दो मंदिरों का निर्माण कार्य यहाँ चल रहा है। बारिश के मौसम में यहाँ झरने से गिरता हुआ पानी काफी मनमोहक होता है। वैसे तो यहाँ पर श्रद्धालु सालों भर घूमने के लिए आते हैं, लेकिन 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन यहाँ मेले का आयोजन होता है। सावन महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए काफी संख्या में यहाँ श्रद्धालु आते हैं। यहाँ एक गुफा भी है, जो देखने लायक है।
घघारी धाम शिव मंदिर के पुजारी तुलसीदास गोस्वामी बताते हैं कि वो कई दशकों से यहाँ पूजा करते आ रहे हैं। उनसे पहले उनके पूर्वज यहाँ पूजा करते थे। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु यहाँ से संतुष्ट होकर जाते हैं। उनकी मन्नतें यहाँ पूरी होती हैं। इस जगह की खासियत है कि यहाँ शांति का अनुभव होता है। पास में ही एक जंगल है, जिसे रामपुर जंगल के नाम से जाना जाता है। यहाँ आने के लिए सितंबर से लेकर फरवरी माह तक का महीना उपयुक्त माना जाता है। पिकनिक मनाने के लिए यह एक बेहतर जगह है, लेकिन ऊँचाई से पानी गिरने के कारण यहाँ का दृश्य काफी मनोरम लगता है। ऊँचाई से पानी गिरने के कारण नीचे काफी गहरा रहता है, इसलिए यहाँ नहाने से परहेज करें। खाने-पीने की काफी अच्छी व्यवस्था नहीं है। इसलिए अपना खाना खुद लेकर जाएँ। रात में ठहरने के लिए दो कमरे बने हैं, लेकिन सुविधाजनक नहीं है। पहाड़ और नदी होने के कारण यहाँ की ज़मीन काफी ऊँची-नीची है, इसलिए चलने-फिरने में सावधानी ज़रूर बरतें। यहाँ पहुँचने के लिए आपको रांची-गुमला मुख्य पथ होते हुए बेड़ो पहुँचना होगा। बेड़ो से 12 कि.मी. दूर जामटोली जाने के रास्ते पर यह धाम मिलेगा।
पौराणिक कथाओं को समेटे आपका इंतजार कर रहा घघारी धाम लापुंग प्रखंड की देवगांव पंचायत में साईं धाम के अलावा एक और दर्शनीय स्थल है घघारी धाम। यहाँ के हरे-भरे जंगल, छोटे पहाड़ और घघारी नदी का उद्गम स्थल सैलानियों को आकर्षित करता है। यहाँ देखने के लिए प्राचीन शिवलिंग है, जो तीन खंडों में बंटा हुआ है। इसके अलावा यहाँ हनुमान मंदिर और पार्वती माता का मंदिर भी है। अन्य दो मंदिरों का निर्माण कार्य यहाँ चल रहा है। बारिश के मौसम में यहाँ झरने से गिरता हुआ पानी काफी मनमोहक होता है। वैसे तो यहाँ पर श्रद्धालु सालों भर घूमने के लिए आते हैं, लेकिन 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन यहाँ मेला का आयोजन होता है। सावन महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए काफी संख्या में यहाँ श्रद्धालु आते हैं। यहाँ एक गुफा भी है, जो देखने लायक है।