वही सुखी, वही निराला, वही किस्मत वाला, जिसका देवो के देव महादेव हो रखवाला♥️🙏
पहाड़ों में बाबा भोलेनाथ के दर्शन केवल जम्मू कश्मीर के अमरनाथ और उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में ही नहीं होते हैं। हिमाचल प्रदेश की पहाड़ों में भी बाबा भोलेनाथ प्रकट हुए है. जी हां यहां अमरनाथ की भांति भोलेनाथ बाबा बर्फानी के रूप में प्रकट हुए है। हिमाचल में मनाली कुछ ही दूरी पर पहाड़ियों के बीच बर्फ का इतना विशालकाय शिवलिंग बनता है जिसके दर्शन के लिए दूर-दूर श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। पौरणिक मान्यताओं के अनुसार जिस जगह यह शिवलिंग बनता है वह भूमि भगवान हनुमान की माता अंजनी की तपोस्थली मानी जाती है और इसीलिए इस विशालकाय शिवलिंग को अंजनी महादेव कहा जाता है। यहां बाबा भोलेनाथ का शिवलिंग स्वरूप करीब 30-40 फुट का होता है। ऐसी मान्यता है कि धरती पर भगवान का बर्फ से बनने वाला यह दूसरी शिवलिंग है। मनाली से सोलंग वैली पहुंचने के बाद करीब दो किलोमीटर की अंजनी महादेव की यात्रा शुरू हो जाती है। यह पूरी यात्रा पहाड़ों पर पैदल चलकर या घोड़ों के जरिए ही तय की जाती है।
धार्मिक आस्था का बना प्रतीक -
मान्यता है कि त्रेता युग में माता अंजनी ने पुत्र प्राप्ति और मुक्ति पाने के लिए तपस्या की थी और भगवान शिव ने दर्शन दिए थे। तभी से यहां पर प्राकृतिक तौर पर बर्फ का शिवलिंग बनता है। मान्यता यह भी है कि इस शिवलिंग के दर्शन करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है।
बर्फ के बीच नंगे पांव सफर -
खास बात यह है कि बर्फ के बीच बसे अंजनी महादेव के दर्शन नंगे पांव चलकर किए जाते हैं और श्रद्धालुओं को यह बर्फ नुकसान नहीं पहुंचाती है। जानकारी के अनुसार करीब डेढ़ सौ मीटर तक बर्फ पर नंगे पैर चलकर श्रद्धालु प्राकृतिक शिवलिंग तक पहुंचते हैं। दैवीय चमत्कार ही है कि बर्फ में नंगे पांव चलने से भी श्रद्धालुओं को कोई नुकसान नहीं होता। दिसंबर महीने में यहां शिवलिंग का निर्माण शुरू होता है और जनवरी माह तक पूर्ण रूप ले लेता है।
कैसे पहुंचें अंजनी महादेव मंदिर -
शिवलिंग तक पहुंचने के लिए बस और टैक्सी से मनाली पहुंचा जा सकता है। मनाली से सोलंगनाला तक का 15 किलोमीटर का सफर टैक्सी से कर सकते हैं। वहीं, सोलंगनाला से अंजनी महादेव तक पांच किलोमीटर का सफर पैदल या घोड़ों से तय किया जा सकता है।
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