भारतीय माँ-बाप से मेरी गुज़ारिश: अपनी बेटियों को ट्रैवल करने दें!

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Photo of भारतीय माँ-बाप से मेरी गुज़ारिश: अपनी बेटियों को ट्रैवल करने दें! by Shivani Rawat

मुझे ट्रैवल का स्वाद ज़िन्दगी में जल्दी ही चखने को मिल गया था। मेरे पिता आर्मी में थे जिसकी वजह से 15 साल की उम्र में मैं भारत के 20 राज्य देख चुकी थी। मोटी-मोटी फोटो एलबम्स में हम ने यादों को समेत कर रखा हुआ है। हर पुरानी फोटो में मैं खुद को बदलते हुए देख सकती हूँ।

पर मेरी असल बढ़ौतरी हुई जब मैंने खुद से ट्रैवल करना शुरू किया। पहले मेरे माँ-बाप थोड़े चिंतित थे पर मेरी ख़ुशी देखकर वो इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मुझे सपोर्ट करना शुरू कर दिया।

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और इसीलिए मैं भारतीय माँ-बाप को यह चिट्ठी लिख रही हूँ। मैं उन्हें यह बताना चाहती हूँ कि ट्रैवल करना काफी लोगो की ज़िन्दगी बदल सकता है। इससे पहले आप यह आर्टिकल पढ़ना बंद करो, यह सोचकर कि यह एक बीस इक्कीस साल की बिगड़ी हुई बाघी लड़की ने लिखा है, मैं आपसे दरखास्त करती हूँ कि इसे आप अंत तक पढ़िए।

खुद से मिलाती है यात्राएँ

हर औरत को शायद इसीलिए ट्रेवल करना चाहिए। बचपन में मेरे सारे फैसले घरवाले करते थे। पर जब मैंने पहला सोलो ट्रिप किया तब मुझे पता लगा कि कितनी प्लानिंग करनी पड़ती है। ऋषिकेश जा रही थी मैं, कैंप बुक करने से लेकर पैसों का हिसाब रखने तक, यह ज़िम्मेदारी उठाकर मुझे काफी मज़ा आया। अब तो मैं काफी कम्फर्टेबल होगयी हूँ पर सारा श्रेय उस पहले ट्रिप को जाता है। इसी की वजह से मुझे मेरी क्षमता और खामियों का एहसास हुआ, मेरी पसंद और ना पसंद का भी। मुश्किल की घड़ी में खुद को शांत करना सीख गयी हूँ।

यात्राएँ बद्सलूक मर्दों से सामना करना भी सिखाता है

औरतों को मर्दों से बिना मतलब का ध्यान और टोका-टाकी हमेशा से मिलती रहा है। बचपन में कोई छेड़ता था तो माँ-बाप का सहारा था। मुझे हमेशा से लगता था कि औरत को घर कि चार दीवारी में रहना चाहिए। हमेशा डरी सी रहती थी मैं, यात्रा ने सब बदल दिया।

पिछले साल देहरादून की ट्रेन में सफर करते हुए एक चालीस साल का आदमी घूरे जा रहा था। उसकी बेशर्मी वाली नज़र हट ही नहीं रही थी। मैं भी उठकर उसके पास जाकर बैठ गयी। अंकल जी की अच्छे से बेइज़्ज़ती की। उठकर चले गए और मुझे लगा की यह मेरी नहीं हर औरत की जीत है जिसे वो आदमी ऐसे ही घूरता होगा।

यात्रा आपको ताकतवर बनाती है

घर बैठकर दुनिया आसान लगती है। पर बाहर निकलो तो कदम कदम पर संघर्ष है। इन्ही संघर्षों से गुज़रकर ही मैं ताकतवर बनी हूँ। ट्रैवेलिंग ने मेरा ऊँचाई का डर खत्म कर दिया। मेरा ईगो भी काबू में रहता क्योंकि आप समझ जाते हो कि आप इस भ्रमांड में बहुत छोटे और तुच्छ हो। ऐसे पाठ आपको स्कूल में पढ़ाए नहीं जाते।

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यात्राएँ समझ बढ़ाती हैं

जब आप छोटे होते हो तो आपके घरवाले आपको बुरी चीज़ और संगत से बचा लेते हैं। पर जब आप घर से बाहर जाते हो तो धीरे धीरे एक सिक्स्थ सेंस बनती है आप के अंदर। यह आपको सही गलत के फैसले करना सिखाती है और आपका सहज बोध भी बढ़ाती है। जिसे कहता हैं ना गट फीलिंग, वो आपको अनुभव से ही आती है। एक बार मैं हैम्बर्ग में पार्टी करके निकली थी। पता नहीं क्यों मेरा मन नहीं मान रहा था लोकल लेने के लिए, मैंने थोड़े पैसे और देकर कैब कर ली। सुबह उठी तो खबर आयी कि सारी लोकल रात को 3 घंटे के लिए खराब थी। यह इसीलिए संभव हुआ क्योंकि मैं किसी और पर नहीं पर अपने ऊपर निर्भर कर रही थी।

हमारी गलतियों को अपनाने में मदद करती हैं यात्राएँ

आज की सोशल मीडिया वाली ज़िन्दगी में खुद से दुश्मनी करना बहुत आसान है। हम खुद को पॉजिटिव तरीके से देखते ही नहीं हैं। ट्रैवल की वजह से मैं काफी ऐसी महिलाओं से मिली जो इस एहसास से वाकिफ थी। अंडमान में मैं कुछ साल पहले मज़े कर रही थी, तभी मुझे कुछ यूरोप की खिलाड़ी लड़कियाँ मिली। क्या मस्त उनकी बॉडी थी, इतनी मस्कुलर, इतनी फिट। मैं तो फैन हो गयी। पर उनसे बात करने के बाद पता चला कि लोगों को उनकी बॉडी बिलकुल नहीं पसंद क्योंकि मर्दाना लगती है। मैं थोड़ी सेहम गयी यह सुनकर। इस से यह सीखा है कि कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना, तुम फ़िक्र ना करो, बस मस्ती से ट्रैवल करती जाओ मेरी बहना।

हमें दयालु बनाती हैं यात्राएँ

ज़्यादातर हम चीज़ों को खुद के नज़रिये से देखते हैं पर ट्रैवल आपको काफी सारी संस्कृतियाँ और नज़रिये दिखाता है। आपको फिर अपनी प्रॉब्लम बहुत छोटी लगने लगती है। एक बार लेह में एक गली में कुछ गरीब बच्चे अपना खाना कुत्तों के साथ बाँट रहे थे। बाद में पता चला उन्होंने 10 ऐसे कुत्ते पाल रखे हैं और रोज़ उन्हें खाना खिलाते हैं। काफी कुछ सीखने को मिलता है यह सब देखकर और महसूस करके।

हम अपनी बेटियों को खुश रखते हैं और दुनिया की हर बुराई और तकलीफ से बचाने की कोशिश करते हैं। हम यह भूल जाते हैं कि इसकी वजह से वो अपने बलबूते पर ज़्यादा कुछ कर नहीं पाएगी। क्या आप चाहते हैं कि आपकी बेटी किसी और पर निर्भर रहे? या आप चाहेंगे कि वो ताकतवर बने और हर मुसीबत का अकेले सामना करे? ट्रैवल बेशक आपको ताकतवर बनाता है। और आप खुद बढ़ते हुए और बहतर होते हुए देखते हो।

इस आर्टिकल को अपनी बेटियों और ज़िंदगी में मौजूद महिलाओं के साथ बाँटें और उन्हें यात्रा करने के लिए प्रेरित करें। अगर आपके पास भी ऐसे अनुभव हैं तो उन्हें यहाँ लिखें।

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