किसी ने सही कहा है कि पहाड़ तो हर मौसम में खूबसूरत लगते हैं। उत्तराखंड में ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों पर कई शानदार हिल स्टेशन हैं। इनमें से कई सारी ऐसी जगहें हैं जिनके बारे में कम लोगों को पता है। ऐसी अनछुई जगहों पर हर घूमने वाला जाना जाहता है। पहाड़ों में ऐसी ऑफबीट जगहें बेहद शानदार होती हैं। यहाँ की खूबसूरती और दिलकश नजारे हर किसी का मन मोह लेते हैं। देवभूमि उत्तराखंड में ऐसी ही एक शानदार जगह है, शीतलाखेत।
शीतलाखेत उत्तराखंड के कुमाऊँ इलाके के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। हरे-भरे पहाड़ों और जंगलों से घिरा ये छोटा-सा हिल स्टेशन समुद्र तल से 1,900 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। शीतलाखेत से आपको कुमाऊँ और गढ़वाल इलाके की पूरी हिमालयन रेंज देखने को मिलेगी। कहा जाता है कि शीतलाखेत हिल स्टेशन 20वीं शताब्दी में बसा था। ये जगह प्रसिद्ध संत हैडाखंडी महाराजा और सोमवार गिरी महाराज की तपोस्थली के लिए जाना जाता है। उत्तराखंड का शीतलाखेत अपनी खूबसूरती और एकांत के लिए जाना जाता है।
कैसे पहुँचे?
शीतलाखेत आप सड़क, रेलवे और हवाई मार्ग से आराम से पहुँच सकते हैं। शीतलाखेत रानीखेत से सिर्फ 30 किमी. है। अगर आप हवाई मार्ग से शीतलाखेत आना चाहते हैं तो सबसे निकटतम पंतनगर एयरपोर्ट है। पंतनगर से शीतलाखेत 110 किमी. की दूरी पर है। रेल मार्ग से शीतलाखेत जाने के लिए सबसे नजदीकी काठगोदाम रेलवे स्टेशन है। काठगोदाम से शीतलाखेत 75 किमी. की दूरी पर है। दिल्ली से शीतलाखेत 350 किमी. की दूरी पर है। आप बस से भी शीतलाखेत पहुँच सकते हैं और खुद की गाड़ी से भी शीतलाखेत जा सकते हैं। रास्ते में आपको नैनीताल, भीमताल और रानीखेत जैसी शानदार जगहें मिलेंगी।
1- पैदल घूमें
शीतलाखेत कुमाऊँ इलाके का एक छोटा-सा गाँव है। समुद्र तल से 7,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित इस गाँव से आप नंदा देवी पीक समेत कई हिमालयन चोटी को देख सकते हैं। आपको इस गाँव को पैदल-पैदल घूमना चाहिए। पैदल चलते हुए आप इस जगह को और अच्छे से जान पाएँगे और देख पाएँगे। गाँव में घूमते हुए आप स्थानीय लोगों से बात कर सकते हैं और इस जगह को और अच्छे से जान पाएँगे।
2- स्याही देवी मंदिर
शीतलाखेत की सबसे फेमस जगह है, स्याही देवी मंदिर। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए स्याही देवी पहाड़ी की चढ़ाई करनी होती है। ये मंदिर शीतलाखेत से 4 किमी. दूर एक पहाड़ी पर स्थित है। देवदार, चीड़ और साल के पेड़ों से भरी ये पहाड़ी बेहद खूबसूरत है और मंदिर से दिखने वाला नजारा तो हर किसी का मन मोह लेता है। कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने अपनी हिमालय यात्रा के दौरान इस मंदिर में ध्यान किया था।
3- चौबटिया बाग
शीतलाखेत से लगभग 10 किमी. की दूरी पर एक बगीचे की तरह मैदान है जिसे चौबटिया बाग के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर आपको, आड़ू, आलूबुखारा, खुबानी और सेब जैसे फलों की कई वैरायटी देखने को मिलेगी। कहा जाता है कि 1868 में वायसराय लॉर्ड मेयो को ये जगह इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने इसे सेना के घुड़सवारों के लिए छावनी की घोषणा कर दी। आप इस जगह को भी देखने आ सकते हैं।
4- झूला देवी मंदिर
स्याही देवी मंदिर के अलावा शीतलाखेत में एक और शानदार मंदिर है, झूला देवी मंदिर। उत्तराखंड के प्राचीन मंदिरों में से एक इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था। झूला देवी मंदिर शीतलाखेत से 8 किमी. दूर पर एक पहाड़ पर स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर को जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए बनवाया गया था। इस मंदिर से दूर-दूर तक हरे-भरे पहाड़े दिखाई देते हैं जो इस जगह की खासियत भी हैं।
5- ये भी करें
शीतलाखेत में इन शानदार और खूबसूरत जगहों को देखने के अलावा कुछ गतिविधियां हैं जिनको आप कर सकते हैं। शीतलाखेत में आप ट्रेकिंग कर सकते हैं। इसके अलावा कैंपिंग और हाइकिंग कर सकते हैं। शीतलाखेत हरी-भरी जगह है तो आप यहाँ फोटोग्राफी का भी आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा पास में ही अल्मोड़ा और रानीखेत हैं। आप इन दोनों जगहों को भी इस यात्रा में एक्सप्लोर कर सकते हैं।
कब जाएँ?
पहाड़ों में कभी भी जाओ लेकिन मानसून में गलती से भी जाने के बारे में मत सोचना। मानसून के अलावा आप शीतलाखेत पूरे साल में कभी भी जा सकते हैं। अगर आपको शीतलाखेत के दिलकश नजारे देखने हैं तो आपको सर्दियों में नवंबर से जनवरी के बीच में आना चाहिए। इस समय आप हिमालय के हर कोने को साफ-साफ देख पाएँगे।
कहाँ ठहरें?
शीतलाखेत उत्तराखंड के रानीखेत और अल्मोड़ा के पास में ही स्थित है। आपको इस जगह पर रहने में कोई दिक्कत नहीं होगी। आपको यहाँ छोटे-बड़े हर प्रकार के ठिकाने मिल जाएँगे। आप अपनी सुविधा और बजट के हिसाब से इनमें से किसी में भी ठहर सकते हैं। आपको शीतलाखेत हिल स्टेशन पहाड़ों की एक अलग दुनिया मिलेगी। यहाँ पहाड़ों की मौलिकता और खूबसूरती को आप संजोकर रख सकते हैं।
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