जहाँ रात का वातावरण पूरी तरह से शांत होता है और भोर होते ही ख्वाजा साहब के दरगाह से आती है अजान की आवाज तो वही ब्रम्हा जी के मंदिर से आती है आरती, क्राइस्ट चर्च से प्रार्थना और गुरुद्वारा गुरुनानक से गूंजती है अरदास की ध्वनि। बस यूँ समझ लीजिये की इस जगह की तासीर ही कुछ ऐसी है कि यहाँ हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों के लोग एक दूसरे की भावनाओं का आदर सम्मान करते हुए उनके पूजा स्थलों के प्रति श्रद्धा भाव रखते है। जी हां! मैं बात कर रही हूं अजमेर की। अजमेर शहर राजस्थान के खूबसूरत पर्यटक स्थलों में से एक हैं जो अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ हैं। अजमेर शहर सबसे अधिक संत मुइन-उद-दीन चिश्ती की दरगाह शरीफ के लिए प्रसिद्ध है। अपनी धार्मिक परंपराओं और संस्कृतिक महत्व को मजबूती से निभाता हुआ अजमेर शहर पर्यटकों को अपनी ओर बहुत अधिक आकर्षित करता हैं। अजमेर एक धार्मिक पर्यटक स्थल होने के साथ-साथ सदियों से चली आ रही लोकाचार और शिल्प कौशल कला में पारंगत हैं। भारत के राजस्थान राज्य के केंद्र में स्थित अजमेर ,अजमेर शरीफ की मजार के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं जहाँ दुनिया भर से मुस्लिम श्रद्धालु और पर्यटक आते है। अजमेर शहर को अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्धी मिलती है इसके अलाव हिंदु धर्म और मुस्लिम धर्म के अनुयाइयों के लिए एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। अजमेर में मनाए जाने वाले “उर्स त्यौहार” के दौरान संत मोइनुद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य के अवसर पर दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। यदि आप अजमेर और इसके प्रमुख पर्यटक स्थलों के बारे में जानने के लिए जिज्ञासु हैं तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े। तो आइए जानते हैं।
अजमेर का इतिहास
राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 135 किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम में है अजमेर। अगर इसके स्थापना की बात करें तो अजमेर की स्थापना सातवीं शताब्दी में पृथ्वी राज चौहान के प्रथम पुत्र अजयपाल चौहान द्वारा की गयी।
सम्राट पृथ्वी राज चौहान और कई ऐसे ही हिन्दू राजाओं के विरुद्ध युद्ध में जितने के बाद मुहम्मद गौरी ने अजमेर और दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया और भारत में इस्लामी हुकूमत की नीव रखी। बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगलकाल में ही बादशाह जहांगीर से भारत में ब्यापार की अनुमति हासिल कर ली। 25 जून 1818 को ईस्ट इंडिया कंपनी और महाराजा दौलतराव सिंधिया के बीच एक समझौता हुआ जिसके तहत अजमेर को अंग्रेज़ो को सौंप दिया गया।
अजमेर के प्रमुख पर्यटक स्थल
राजस्थान का खूबसूरत शहर अजमेर विभिन्न पर्यटक और दर्शनीय स्थलों से भरा पड़ा हुआ हैं, यदि आप अजमेर घूमने जाएं तो अजमेर के इन प्रमुख पर्यटन स्थलों पर घूमने जरूर जाएं। जिनके बारे में हम आपको विस्तार रूप से बताने जा रहे हैं।
ख्वाजा साहब की दरगाह
अजमेर की ऐसी जगह जहाँ हर साल भारी तादात में तीर्थ यात्री पूरी दुनिया भर से यहाँ पहुँचते है। यहाँ हर साल होने वाले उर्स मेले में तो यहाँ पर आने वाले लोगों की तादात लाखों में पहुंच जाती है। दरगाह शरीफ का मुख्य दरवाजा ‘निज़ाम गेट’ हैदराबाद के नवाब मीर उस्मान अली खान के द्वारा सन 1911 में बनवाया गया।
निज़ाम गेट के बाद शाहजहानी दरवाजा है। इसके बाद बुलंद दरवाजा है, जो तकरीबन 85 फ़ीट ऊंचा है। शाहजहानी गेट और बुलंद दरवाजे के बीच दायीं तरफ अकबर द्वारा बनवाई गयी अकबरी मस्जिद है। बुलंद दरवाजे के एक तरफ बड़ी देग जिसे ख्वाजा गरीब नवाज को अकबर ने भेंट की थी तो वहीँ दूसरी तरफ छोटी देग है जिसे जहांगीर ने भेंट किया था। बड़ी देग में सवा सौ मन चावल और और छोटी देग में 80 मन चावल पकाया जा सकता है। यह स्थान सभी धर्मों के लोगों द्वारा बहुत पवित्र स्थान के रूप में जाना जाता हैं। अजमेर में बनी अजमेर शरीफ की मजार भारत में न केवल मुसलमानों के लिए बल्कि हर धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता हैं। मोईन-उद-दीन चिश्ती के अंतिम विश्राम स्थल के रूप में यह मकबरा इस्लाम के नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यो को जनता के बीच फैलाने में अहम योगदान दे चुका हैं। जो पर्यटकों को आध्यात्मिकता के प्रति एक सहज और अपरिवर्तनीय आग्रह के साथ प्रेरित करती है। दरगाह शरीफ निस्संदेह राजस्थान का सबसे लौकप्रिय तीर्थस्थल है।
आनासागर झील
अनासागर झील एक लुभावनी और शानदार कृत्रिम झील है, जो भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर शहर में स्थित है। अगर आप बोटिंग और वॉटर पोर्ट्स के शौकीन है तो अजमेर नगर के नैसर्गिक सौंदर्य में चार चाँद लगाने वाली आनासागर झील आपके लिए एक बेहतरीन जगह साबित होगी। साथ ही यहाँ झील के किनारों पर आपको मीलों दूर से उड़कर आने वाले प्रवासी पंछी भी देखने को मिलेंगे। सूर्यास्त के दौरान इसका नजारा देखने लायक होता हैं। झील के नजदीक बने कुछ मदिरों से भी झील का नजारा मंत्रमुग्ध करता है। मुग़ल बादशाह जहाँगीर ने यहाँ झील के किनारे एक बगीचा बनवाया था जिसे दौलत बाग कहते है बाद में वर्ष 1637 में शाहजहां ने यहाँ संगमरमर की पांच बारह्दरियाँ बनवायी जिसने झील की सुंदरता में चार चाँद लगा दिए। वर्तमान समय में अना सागर झील अजमेर की सबसे लोकप्रिय और भारत की सबसे बड़ी झीलों में से एक हैं। यदि आप अजमेर की यात्रा पर हैं तो अनासागर झील घूमना कदापि न भूले और इस झील की सुंदरता का आनंद जरूर ले।
अढ़ाई दिन का झोपड़ा
ख्वाजा साहब की दरगाह (अजमेर शरीफ दरगाह) से महज़ कुछ ही दूरी पर तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में स्थित है हिन्दू- मुस्लिम एकता का नायाब नमूना पेश करती ईमारत " अढ़ाई दिन का झोपड़ा "।
इस ईमारत का निर्माण प्रथम चौहान सम्राट बीसलदेव द्वारा 1153 ईस्वी में मूलतः संस्कृत पाठशाला के लिए करवाया गया था। कहा जाता है की 1192 में जब मुहम्मद गौरी ने जब अजमेर पर आक्रमण किया, तब इस ईमारत को एक मस्जिद में तब्दील कर दिया गया और यहाँ 7 मेहराब बनाए गए। तीन केंद्रीय मेहराबों पर तीन पंक्तियों में लिखावट खुदी है जो अरबी लिपि में है।
कहा जाता है की यहाँ एक फ़कीर पंजाबशाह का ढाई दिन का उर्श लगता था। तभी से इस ईमारत को अढ़ाई दिन का झोपड़ा कहा जाने लगा। आज ये ईमारत अपनी अपनी कलात्मक और ऐतिहासिक खूबियों के कारण देश की सर्वश्रेष्ठ इमारतों में से एक है।
क्लॉक टावर अजमेर
यह एक ऐसा रोचक पर्यटक स्थल है जिसका निर्माण अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान हुआ। यह क्लॉक टावर रानी विक्टोरिया की याद में 1887 में निर्मित किया गया था। इस क्लॉक टावर को प्राचीन राजपूत शासन काल का शाही मोहरा भी माना जाता है। यदि आप अजमेर जाने का विचार कर रहे हैं तो इस क्लॉक टावर को देखना ना भूलें।
तारागढ़ किला
अजमेर में घूमने लायक जगहों में से एक तारागढ़ फोर्ट बूंदी, का निर्माण वर्ष 1354 में किया गया था। तारागढ़ किला भारत के पर्यटक राज्य राजस्थान के अजमेर शहर में एक प्रभावशाली संरचनाओं में से एक है। बूंदी राज्य की स्थापना राव देव द्वारा की गई थी। बूंदी शहर अरावली पर्वतमाला के नाग पहाड़ी में स्थित एक आकर्षित शहर हैं और अपने मनोरम दृश्य के लिए दुनिया भर में जाना जाता हैं।
सोनी जी की नसियां
अजमेर का दर्शनीय स्थल सोनी जी की नसियां जिसे लाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं एक जैन मन्दिर हैं, जो जैन धर्म के पहले तीर्थकर को समर्पित हैं। सोनी जी की नसियां मंदिर का मुख्य आकर्षण मुख्य कक्ष है जिसे स्वर्ण नगरी या सोने के शहर के नाम से भी जाना जाता हैं। इस मंदिर में सोने की लकड़ी की कई आकृतियां बनी हुई है जोकि जैन धर्म की कई आकृतियों को दर्शाती हैं। मंदिर में आने वाले पर्यटकों की लम्बी कतार लगी रहती हैं।
नारेली का जैन मंदिर
अजमेर से लगभग 7 किलोमीटर बाहर स्थित नारेली जैन मंदिर हैं। जोकि कोणीय और हड़ताली आकर्षक डिजाइन के साथ एक सुंदर संगमरमर का मंदिर है। अजमेर का यह खूबसूरत मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब रहा हैं, दूर-दूर से आने वाले पर्यटकों की भीड़ इस मंदिर में लगी रहती हैं। जो लोग शांत वातावरण में एकान्त में समय बिताना चाहते हैं उनके लिए यह पसंदीदा स्थान हैं।
अकबर का महल और संग्रहालय
अजमेर में घूमने लायक जगहों में अकबर का महल और संग्रहालय भी शामिल हैं। अजमेर शहर के केंद्र में स्थित अकबर का यह महल 1500 ए डी में उस जगह पर निर्मित करबाया गया था जहाँ सम्राट अकबर के सैनिक अजमेर में रुके थे। इस संग्रहालय में पुराने सैन्य हथियारों और उत्कृष्ट मूर्तियों को चित्रित किया गया हैं। अजमेर में बने इस संग्रहालय में राजपूत और मुगल शैली के जीवन और लड़ाई के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित किया गया हैं। महल मे काली जी की मूर्ति स्थापित हैं जोकि संगमरमर की बनी हुई हैं।
अजमेर के बाज़ारो की रौनक
अजमेर के बाज़ार मुगलकालीन वक़्त की याद दिलतीं है जहाँ यहाँ पर आपको पुराने ज़माने की कई सारी चीजें देखने को मिल जाएंगी। यहाँ चूड़ी बाजार, दरगाह बाजार, मदार गेट, डिग्गी बाजार और ऐसे ही तमाम बाजार है।
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दरगाह बाजार में आप फूलों की चादर, क्रॉकरी आदि की खरीददारी कर सकते है तो वहीं तो वहीँ मदार गेट पर आपको दैनिक उपयोग में काम में आने वाली चीजें बिकती है। ठीक ऐसे ही चूड़ी बाजार अपने नाम की ही तरह चूड़ियों का बाजार है जहाँ खरीददारी करने आयी महिलाओं की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है।
अजमेर घूमने का सबसे अच्छा समय
आप यदि राजस्थान के आकर्षित शहर अजमेर जाने का प्लान बना रहे हैं तो मैं आपको बता दूं कि अजमेर जाने के लिए सबसे बेस्ट टाइम अक्टूबर से मार्च महीने तक का माना जाता हैं। मानसून का मौसम भी अच्छा हैं लेकिन बारिश के चलते आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं। इसके विपरीत यदि हो सके तो गर्मियों में यहाँ जाने से बचे क्योंकि यहाँ गर्मी का मौसम और धूप अधिक कष्टदायक हो सकती हैं।
अजमेर का प्रसिद्ध भोजन
अजमेर में पसंद की जाने वाली प्रसिद्ध भोजन सामग्री में दाल बाटी चूरमा, घेवर, बाजरे की खिचड़ी, राजस्थानी पुलाव और गट्टे की सब्जी अधिक प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा प्रसिद्ध नॉन वेज आइटम जिन्हें लाल मास, चिकन, मटन करी, चिकन, मटन बिरयानी और सुला कबाब भी यहाँ मिल जाता हैं। शाम के समय के दौरान स्थानीय लोगों के लिए सबसे आम स्नैक कचौड़ी कढ़ी और सोहन हलवा अजमेर में प्रसिद्ध हैं। कबाब और तंदूरी नॉन वेज जैसे आइटम्स के लिए लोग दरगाह बाजार भी जाना पसंद करते हैं। इसके अलावा भी आपको अजमेर में विभिन्न प्रकार की भोजन सामग्री मिल जाएगी।
अजमेर कैसे पहुंचे
भारत के पर्यटक स्थल अजमेर जाने के लिए आप हवाई मार्ग, ट्रेन और सड़क मार्ग में से किसी का भी चुनाव कर सकते है।
बस से अजमेर कैसे पहुंचे
अजमेर जाने के लिए जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और उदयपुर जैसे राजस्थान के बड़े शहरों सहित अन्य प्रांतों के भी विभिन्न शहरों से सीधी बस सेवाएं उपलब्ध है। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसों के अलावा निजी बसों का भी अच्छा नेटवर्क है।
फ्लाइट से अजमेर कैसे पहुंचे
अजमेर शहर से लगभग 135 किलोमीटर दूरी जयपुर का सांगानेर हवाई अड्डा अजमेर का सबसे निकटतम हवाई अड्डा है। यह हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहर दिल्ली और मुंबई जैसे शहरो से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। जब आप हवाई अड्डे पर पहुंच जाते हैं तो यहाँ से आप अजमेर पहुंचने के लिए एक टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। अजमेर के लिए दूसरा निकटतम एयरपोर्ट किसनगढ़ में भी है।
ट्रेन से अजमेर कैसे पहुंचे
रेल द्वारा भी अजमेर देश के विभिन्न शहरों से जुड़ा हुआ है।अजमेर शहर का रेल्वे स्टेशन “अजमेर जंक्शन रेलवे स्टेशन” हैं। जोकि मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर और दिल्ली लाइन पर स्थित है। यह स्टेशन दिल्ली, मुंबई, जयपुर, इलाहाबाद, लखनऊ और कोलकाता जैसे भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ हैं। जिससे आपको यहाँ पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
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