हमारा आगरा जाने का प्लान 15 मिनट से भी कम समय में बना था। दो लोग जो अपने ऑफिस के काम और रोज एक जैसी जिंदगी से बोर हो चुके थे। दोनों के अंदर कहीं घूमने जाने की चाह साफ दिखाई दे रही थी। "काश हम ऑफिस से छुट्टी लेकर एक लम्बी वेकेशन पर जा सकते। काश हम अपने ऑफिस के प्रोजेक्ट को जल्दी पूरा करके कहीं दूर घूमने जा सकते।" दोनों ही लोग घूमने जाना चाहते थे पर काम की वजह से वेकेशन तो दूर ऑफिस से छुट्टी मिलना भी मुश्किल था। "लेकिन हम वीकेंड पर दो दिनों के लिए तो कहीं जा ही सकते हैं? और दो दिन का ब्रेक हमे रिफ्रेश भी कर देगा!"
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कुछ यूं बना था हमारा आगरा का प्लान।
अगले 15 मिनट कब खत्म हुए पता भी नहीं चला। हमने आगरा का रूट देखा, इंटरनेट पर होटल देखा और आखिर में एक बढ़िया जगह बुकिंग कर ली।
मैंने कमरे में छोटा-सा सेलिब्रेशन भी किया। आखिर होटल पर इतनी अच्छी डील मिल जाना कोई आम बात नहीं है।
हमारा अगला काम था ट्रिप के लिए गानों की प्लेलिस्ट डाउनलोड करना और रास्ते के लिए खाने का सामान रखना। हमें पता था अगली सुबह खास होने वाली है। क्योंकि अब आखिरकार हमारी आगरा की ट्रिप शुरू होने वाली थी।
जिन लोगों को इतिहास देखने में दिलचस्पी है और रोड ट्रिप पर जाना भी पसंद है, उनके लिए आगरा बढ़िया जगह है। क्योंकि ये शहर दिल्ली से केवल 5 घंटों की दूरी पर है इसलिए दिल्लीवालों के लिए आगरा जाना बहुत आसान होता है। लेकिन क्योंकि हम पहले भी आगरा जा चुके थे इसलिए इस बार हमें कुछ अलग करना था। दिल्ली से आगरा जाने का रास्ता बेहद खूबसूरत है। इस रास्ते की फोटो देखकर ही आपको रोड ट्रिप पर जाने का मन करने लगेगा। लेकिन हमें ताज महल और आगरा फोर्ट से कुछ ज्यादा चाहिए था।
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इसलिए इस बार हमने मेहताब बाग देखने का पक्का किया। मेहताब बाग को मून गार्डन भी कहा जाता है। हालांकि इस गार्डन में खंडहर ज्यादा हैं लेकिन यदि आप मुगल साम्राज्य के समय चलने वाले आर्ट को देखना चाहते हैं तो आपको इस जगह पर आना चाहिए। एक समय पर मेहताब बाग मुगल मेरी और सिकंदरा का महल भी हुआ करता था। ये वो जगह है जहाँ शहंशाह अकबर का मकबरा भी है। लेकिन खुद सोचिए आगरा में होते हुए क्या ऐसा हो सकता है कि ताज महल का दीदार ना किया जाए? इसलिए हमने भी ताज महल और मेहताब बाग को देखने के लिए एकदम सुबह सुबह जाने का प्लान बनाया।
मेहताब बाग
शाहजहां ने इस बाग का निर्माण 1631 और 1635 ईसवी के बीच अपनी बेगम के लिए करवाया था। मेहताब बाग जिसको मून गार्डन के नाम से भी जाना जाता है को शाहजहां ने बड़ी समझदारी के साथ बनवाया था। इस जगह का निर्माण खासतौर से चांदनी रात में ताज महल की खूबसूरती निहारने के लिए करा गया था।
मुझे सुबह उठना बिल्कुल पसंद नहीं है। लेकिन अगली सुबह मैं सुबह 5.30 बजे ही अपने बिस्तर से उठ गई थी। ऐस ऐसलिये क्योंकि यदि आप आगरा फोर्ट में सनराइज देखना चाहते हैं तो आपको भी सुबह जल्दी उठना पड़ेगा।
दूसरा दिन
होटल क्लार्क्स शिराज
होटल क्लार्क्स शिराज में जायकेदार नाश्ता करने के बाद हम फतेहपुर सीकरी के लिए निकल पड़े। फतेहपुर सीकरी आगरा के मुख्य शहर से लगभग 3 घंटों की दूरी पर है। क्योंकि आगरा और फतेहपुर सीकरी के बीच का रास्ता बहुत अच्छा है इसलिए आपको इस रोड ट्रिप में बहुत मजा आएगा।
फतेहपुर सीकरी
1569 से 1585 के बीच बनवाई गई फतेहपुर सीकरी शहंशाह अकबर के समय राजधानी हुआ करती थी। सलीम चिश्ती के सम्मान में बनाई गई इस जगह को लाल पत्थरों की मदद से बनाया गया है। ये वही जगह है जहाँ अकबर के समय माने जाने वाले प्रसिद्ध दीन ए इलाही की स्थापना की गई थी। क्योंकि हम फतेहपुर सीकरी कई बार देख चुके थे इसलिए इस बार हम इतिहास के कुछ नगीनों के बारे में जान लेना चाहते थे। इसी के चलते हम मरियम उज़ जमानी और बीरबल के महल में जा पहुँचें।
आपने मरियम महल के बारे में पहले जरूर सुना होगा। ये वही महल है जिसको अकबर की क्रिश्चियन पत्नी के लिए बनवाया गया था। लेकिन ऐसा नहीं है! मरियम महल अकबर की पत्नी जोधा बाई के सम्मान में बनाया गया था। फतेहपुर सीकरी में आपको जोधा बाई का एक अलग महल भी देखने के लिए मिलेगा। असल में मरियम अकबर द्वारा जोधा बाई को दिया गया नाम था जब उसने जहांगीर को जन्म दिया था। जोधा बाई को मरियम उज जमानी का खिताब दिया गया था जिसका इस्तेमाल वो सभी आधिकारिक कामों के लिए किया करती थीं।
हमारी दूसरी सबसे महत्वपूर्ण जगह थी उस जगह को देखना जहाँ तानसेन गाना गाया करते थे। मैंने शास्त्रीय संगीत में थोड़ी ट्रेनिंग ली हुई है। इस जगह को देखकर मैं उस माहौल के बारे में सोच रही थी जब तानसेन इस जगह पर गया करते थे। तारों से भरी रात के नीचे बैठकर सदी के सबसे महान गायक तानसेन को सुनना सच में कितना सुहावना लगता होगा।
वो जगह जहाँ एक महान शासक का मकबरा है। वो राजा जिसने हमें धर्म के ऊपर इंसानियत, प्यार और भाईचारे से रहना सिखाया। आज के समय में जब धर्म और जाति को लेकर इतने दंगे हो रहे हैं, हमें अकबर से सीख लेनी चाहिए। अकबर पूरी तरह से एक लड़ाकू राजा था। अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए क्या और कैसे करना है, ये उसको अच्छे से पता था। लेकिन इन सबके बाद भी अकबर सबसे अलग था। अकबर का दिमाग एक कवि की तरह था जिसको प्यार करना आता था। इसलिए अकबर के समय मुगल साम्राज्य अपने चरम पर था। दूसरे को इज्जत देना, प्यार और भाईचारे से रहना, दूसरे धर्म के लोगों को भी उतने खुले मन से स्वीकार करना। अकबर इन सबमें माहिर था। शायद इसलिए ही उसने इश्क भी एक राजपूत लड़की से किया। शायद इसलिए उसका सबसे अच्छा दोस्त एक हिन्दू था और शायद इसलिए अकबर के दरबार में सबसे अच्छा गायक होने का खिताब भी एक हिन्दू को दिया गया था।
आगरा फोर्ट
आगरा फोर्ट के हर कोने में इतिहास बसता है। इस किले को पहले बादलगढ़ के नाम से जाना जाता था। ये जगह इतनी पुरानी है कि इसने लोदी राजवंश से लेकर मुगल साम्राज्य तक का पतन देखा है। केवल यही नहीं बदलते शासन के साथ किले में ढांचे और आर्किटेक्चर में भी समय समय पर कई बदलाव किया जा चुके हैं। अपने पिता की मृत्यु के बाद इब्राहिम लोदी ने लगभग 9 सालों तक इस किले पर राज किया। इस किले में आजतक कई ऐसी इमारतें और मस्जिद हैं जिन्हें लोदी वंश के समय में बनवाया गया था। लेकिन लोदी साम्राज्य के अच्छे दिन भी पानीपत के युद्ध के साथ खत्म हो गए। 1526 में हुए इस युद्ध में मुगल शासक बाबर के हाथों करारी हर के बाद लोदी साम्राज्य पूरी तरह से खत्म ही हो गया था। इसके बाद शुरू हुआ मुगलों का दौर। बाबर के बेटे हुमायूं ने लोदी फोर्ट पर कब्जा करके बाकी शाही खजाने के साथ साथ सबसे नायाब कोहिनूर हीरे पर भी अपना हक जमा लिया।
1558 में अकबर के शासन के दौरान इस किले में लाल सैंडस्टोन लगवाया गया था। लेकिन उसके बाद शाह जहां की इच्छा के मुताबिक ताज महल की तरह इस किले में भी मार्बल लगा दिया गया था। केवल यही नहीं किले के अंदर भी ऐसी कई इमारतें और मस्जिद हैं जिन्हें सफेद मार्बल से बनाया गया है। मोती मस्जिद, नगीना मस्जिद और मीना मस्जिद आगरा फोर्ट के अंदर बनी वो शानदार इमारतें हैं जिनपर मार्बल का खूबसूरत काम किया गया है। कहा जाता है अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में शाहजहां आगरा फोर्ट में ही रहा करते थे जहाँ वो ताज महल का दीदार किया करते थे।
कहा जाता है मुसम्मन बुर्ज के अंदर खड़े होकर सुबह की धूप में आपको शाहजहां का चेहरा तक दिखाई दे सकता है जब को आगरा फोर्ट की कैद में आपने आखिरी दिन दिन रहा था।
आगरा फोर्ट प्यार और नफरत की अजीब कहानी है। एक तरफ जहाँ नफरत के चलते औरंगजेब ने अपने पिता को आगरा फोर्ट में कैद कर दिया था। वहीं दूसरी तरफ प्यार की वजह से जहानारा अपने पिता की सेवा किया करती थी। चाहे कुछ भी हो ताज महल को देखकर मिलने वाला सुकून शाहजहां को सबसे प्यारा था। अब इसको आपनी पत्नी के लिए प्यार समझ लीजिए या दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत बनाने का गौरव, ताज महल को देखना शाहजहां को बेहद पसंद था। आगरा फोर्ट से देखने पर यमुना नदी भी किसी बूढ़े इंसान की आँखों को तरह दिखाई देती है। कुछ ही दूरी पर स्थित ताजमहल सुबह की धुंध में प्यार की उजली कहानी बयां कर रहा था। सच कहें तो सूरज की पहल किरण के साथ आगरा फोर्ट और भी खूबसूरत लगने लगता है। मार्बल के झरोखों से आती मखमली धूप इस किले को हीरों को रोशनी से भर देती है। जो देखने में बहुत प्यारा लगता है।
तीसरा दिन
सिकंदरा
हम आज के आजाद ख्याल वाले दो लोग थे जो प्यार और इंसानियत ढूंढने निकले थे। प्यार की राह पर चलते चलते हम आखिरकार सिकंदरा पहुँचें। इस जगह की हरियाली देखकर किसी का भी मन खुश हो जाएगा। यहाँ आपको हिरण और तमाम अन्य जानवर ऐसे ही इधर-उधर घूमते हुए दिख जाएंगे। इस मकबरे की छत पर लाजवाब नक्काशी की गई है जिसमें फ्रेस्को पेंटिंग भी की गई है। मकबरे की दीवारों पर कुरान लिखी गई है। कुल मिलाकर यदि आपको इस्लाम की शांति महसूस करनी है तो आपको सिकंदरा आना चाहिए।
सिकंदरा के अंदर का हिस्सा शांत और सुर्ख है। ये वो जगह है जहाँ शहंशाह की कब्र है। शहर के शोर-शराबे से दूर ये जगह आपको बेहद शांत लगेगी।
आगरा से वापस आने के बाद मानो हमारा मन दिल्ली और काम वाली जिदंगी अपनाने के लिए तैयार ही नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था मानो दो दिन गौरवशाली इतिहास की गलियारों में टहलने के बाद किसी ने हमें तुरंत बोरिंग जिंदगी में ढकेल दिया है। लेकिन रोज वाली जिंदगी की इसी बोरियत की वजह से आगरा से कभी ना खत्म होने वाला प्यार हो गया। आखिर वो शहर जहाँ प्यार का सबसे कीमती नगीना है, किसको नहीं पसंद आएगा?
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