मेरी पिछली पोस्ट जो कि सेम टाइटल के साथ थी ,उसमें मैंने करीब 14 काम की वो बाते लिखी थी जो कि हर एक ट्रेकर के काम आती हैं। वैसे तो पहाड़ों पर किसी भी तरह का कोई प्रेडिक्शन नहीं चलता ,चाहे वो मौसम से जुड़ा हो ,स्नो फॉल से जुड़ा हो या भूस्ख्लन सम्बन्धित हो। तो पहाड़ों पर ट्रेक करने जाना ,मतलब कही ना कही अपने आप में ही बहुत बड़ी रिस्क हैं।ट्रेक के दौरान समस्याओं को खत्म तो नहीं किया जा सकता ,लेकिन थोड़ा सा ध्यान रख कर उनसे बचा जा सकता हैं। इसी सीरीज में मैंने कुछ और पॉइंट्स जोड़ने की कोशिश की हैं। अगर आप फर्स्ट टाईम ट्रेकर हैं तो दोनों पोस्ट्स के सारे पॉइंट्स को ध्यान में रख कर ट्रेक करे ,आपकी काफी समस्याएं कम हो जायेगी -
1.पहाड़ों पर ट्रेक करते वक़्त हमेशा ट्रेकिंग स्टिक या छड़ को साथ में रखे। छड़ी के सपोर्ट से ट्रेक करने में कई जगह आसानी हो जायेगी। जो लोग सामान्यत: दैनिक लाइफ में कम चलते हैं ,कसरत वगैरह नहीं करते हैं या थोड़े से अनफिट हैं ,तो उनके लिए तो ट्रेक के दौरान स्टिक जरुरी हैं ही। जिन्हे स्टिक के साथ ट्रेक करने की आदत नहीं हैं उन्हें भी स्टिक साथ रखनी चाहिए जैसे कि मैं ट्रेक के स्टिक का सपोर्ट नहीं लेता ,लेकिन फिर भी स्टिक साथ रखता हूँ।चादर ट्रेक के दौरान एक जगह मैं अकेला रह गया था और जमी हुई नदी पर किनारे किनारे चल रहा था और अचानक से ,पैर फिसला और मैं नदी की तरफ फिसलने लगा। मेरे हाथ में स्टिक होने से मैंने उसको पुरे दम से जमीन पर जमी बर्फ में गाड़ दिया और उसी का सहारा लेके खुद को बचाता रहा। स्टिक मुड़ती गई ,टूट जाती उस से पहले एक पोर्टर ने आकर मुझे वापस ऊपर खिंच लिया। उस दिन मुझे स्टिक की अहमियत नजर आयी।
2. हमेशा अपने हर बैग में अपना विजिटिंग कार्ड रखे या मार्कर से अपने बैग पर अपना कांटेक्ट नंबर लिख दे। बैग कही भूल जाने के केस में शायद कोई आपके छोड़े हुए नंबर पर कॉल कर आपको वापस पहुँचवा दे। यह चीज हमें कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान करवाई गयी थी।
3. अपने साथ हमेशा कोई भी मॉस्किटो रेपेलेंट क्रीम जैसे कि 'ओडोमॉस' रखे। सपोज करो आप कही जंगल में कैंप में रहे और रात भर मच्छर आपके कान में गजलें सुनाये तो आपकी नीदं भी ख़राब होगी और अगला दिन भी।जरुरी नहीं ट्रेक पर ही ,आप इसे अपने हर सफर पर साथ रखे। कभी कभी होटल के किसी कमरे में आपने कुछ देर रात को खिड़की खोली और फिर कुछ मच्छर कमरे में आ गए तो भी आपकी नींद ख़राब होनी हैं। ऐसे केस में ओडोमॉस काम आएगी।
4. अगर किसी खतरनाक ट्रेक के लिए आप निकल रहे हैं वो भी सर्दियों या मानसून में। तो याद रखे सर्दियों में स्नोफॉल और मानसून में भूखस्लन के कारण आपको कही पर भी एक या दो दिन फंसे रहना पड़ सकता हैं। ऐसे मौसम में अगर आप स्ट्रिक्ट शेड्यूल बना कर रिटर्न की फ्लाइट या ट्रैन बुक करवाते हैं तो हो सकता हैं आप पहाड़ों में फंस जाने के कारण उस दिन ट्रैन या फ्लाइट का सफर मिस कर दे। सर्दियों और मानसून में अपने तय किये कार्यक्रम में एक या दो दिन हमेशा एक्स्ट्रा रखे या रिटर्न जाने के लिए बुकिंग सेफ जोन में पहुंच कर ही करे।
5.रात को अपने मोबाइल की बैटरी ,पावर बैंक ,कैमरा की बैटरी को हमेशा गर्म कपड़ों की कुछ मोती लेयर में लपेट कर बेग के अंदर बीच में दबा कर रखे।क्योंकि रात को ज्यादा ठंड के कारण बिना इस्तेमाल किये ही आपके हर डिवाइस की बेटरी तेजी से कम पड़ती रहेगी। अगर आप इन्हे खुला रख देंगे तो रात भर में आपके हर डिवाइस की बेटरी पूरी डिस्चार्ज हो जायेगी।अत्यधिक ठंडी हवाओं में भी इन डिवाइस को कम इस्तेमाल करना चाहिए। चादर ट्रेक के दौरान जब हम हमारे डेस्टिनेशन पॉइंट ,मतलब जमे हुए झरने पर पहुंच गए थे ,तो वहाँ फोटो खींचने के लिए जैसे ही हमने कैमरा और मोबाइल बाहर निकाले 15 मिनट के अंदर हम सभी के डिवाइस की बैटरी डिस्चार्ज हो गई थी।
6. याद रखना 'जल्दी जल्दी चलना /तेज चलना ' ट्रैकिंग नहीं होती। दूसरों को खुद से आगे निकलता देख ,तेज चलता देख हताश होने की जरुरत नहीं। सभी की अपनी एक स्पीड और चलने का तरीका होता हैं। कोशिश करे पुरे ट्रेक पर हमेशा एक या दो लोगों के साथ रहे,अकेले ना चले।
7. लोअर एल्टीट्यूड से हायर एल्टीट्यूड पर आने का सफर अगर फ्लाइट से हो रहा हैं तो फ्लाइट से उतरने से पहले ही अपने शरीर को पूरा ढके। काफी लोग दिल्ली से लेह तक एक घंटे में ही फ्लाइट से आ जाते हैं और एल्टीट्यूड में एक घंटे में ही इतने बड़े चेंज को उनका शरीर झेल नहीं पाता और वो लोग लेह में ही बीमार पड़ जाते हैं और तत्काल वापस दिल्ली की फ्लाइट से लेह छोड़ देते हैं। आप यात्रा शुरू करने से पहले डॉक्टर को बता कर डायमॉक्स टेबलेट भी ले सकते हैं।जिस से हायर एल्टीट्यूड पर आपका शरीर एकदम सही रहे।
इनके अलावा अगर आप किसी एजेंसी के द्वारा ट्रेक पर जा रहे हो तो ध्यान से पुरे पैकेज की जानकारी लेवे। inclusion और exclusions अवश्य पढ़े। सामान्यत एवेरेस्ट बेस केम्प के ट्रेक के पैकेज में खाना नहीं दिया जाता हैं। लोग वहाँ बिना कुछ पढ़े चले जाते हैं फिर वहाँ उनसे खाने के लिए 2000 से 3000 रूपये रोज खर्च करवाए जाते हैं। ऐसे में कई लोगों का बजट बिगड़ जाता हैं और फिर ट्रेक पर विवाद तो होता ही हैं।
-ऋषभ भरावा