लोहाघाट उत्तराखंड के चंपावत जनपद जिले में स्थिति है। लोहाघाट मनोरम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। हिमालय की पर्वत श्रेणियों के मध्य चारों ओर हरी-भरी वादियों और पहाड़ों से घिरा , यह नगर पौराणिक व ऐतिहासिक संपन्नता के साथ, एक खूबसूरत हिल स्टेशन भी है । यहां से हिमालय के मनमोहन दृश्य देखने को मिलते हैं। लोहावती नदी के किनारे पर यह स्थित है। देवदार वृक्षों के जंगलों से घिरा यह नगर समुद्र तल से 6000 फिट की ऊंचाई पर स्थित है।
लोहाघाट- से 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित एक कस्बा है, जिसका नाम है- एबोट माउंट। ।
एबोट माउंट को, दुनिया की मोस्ट हॉन्टेड जगह के नाम से, जाना जाता है। एबोट माउंट में , भूत प्रेत व,भटकती बुरी आत्माओं की वजह से यह प्रसिद्ध है। अंधेरे के बाद किसी भी व्यक्ति की एबोट माउंट जाने की हिम्मत नहीं होती। एबोट माउंट सबसे भुतहा नाम से प्रसिद्ध है। इस जगह को ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेजों ने बसाया था। लोहाघाट दुनिया भर में अपनी खूबसूरती की वजह से जाना जाता है।लोहाघाट से हिमालय पर्वत की कंचनजंगा पर्वत मालाओं की साक्षात दीदार होते हैं।
एबोट माउंट- कस्बे में अंग्रेजों द्वारा अनेक इमारतों का निर्माण कराया गया था। इसी इमारत में से एक बांग्ला है, जिसे एबी नाम से जाना जाता है। एबी बंगले का नाम उनके मालिक पर रखा गया। ऐसा लोगों का मानना है कि यहां पर बुरी आत्माएं भटकती रहती है ।आत्माएं लोगों को रात में दिखाई देती है। एबी बंगले को बाद में एक हॉस्पिटल में बदला गया। हॉस्पिटल में एक समय एक डॉक्टर थे, जिनका नाम था, मौरिस , यह डॉक्टर लोगों की मौत के बारे में पहले ही बता देता था ।
हॉस्पिटल से थोड़ी दूर बना बना है ,एक घर जिसे लोग मुक्ति कोटरी के नाम से जानते हैं। उसके बाद उस मरीज को पास स्थित मुक्ति कोठरी में भेज देता था। और अगली सुबह उसकी मौत हो जातीथी। एबोट माउंट कस्बा भूत प्रेत और मृत आत्माओं का गढ़ है। यहां पर भूत प्रेत और मृत आत्माओं को रात में टहलते हुए कई लोगों ने देखा। खूबसूरत वादियों में घने जंगलों के बीच एबोट माउंट दुनिया की मोस्ट वांटेड जगह के लिए भी प्रसिद्ध है। इसी हॉस्पिटल के पास एक कब्रिस्तान है। जिसमें 10-15 कब्र है। तथा कब्रिस्तान के पास ही अंग्रेजों के शासन काल का एक चर्च है। यह क्षेत्र सुंदरता के साथ, अत्याधिक डरावना लगता है।
लोहाघाट में इसके अलावा अन्य ऐतिहासिक व पौराणिक पर्यटन स्थल है। यहां से हिमालय की नंदा देवी, त्रिशूल वह कंचनजंगा की बर्फ से जमे पर्वतों के साक्षात दीदार होते हैं।
यहां भी घूमे..
# बाणासुर का किला।
#मायावती आश्रम-स्वामी विवेकानंद जी अपने उत्तराखंड भ्रमण के दौरान यहां आए थे।
#देवी धार।
# फोरती।
# मनेश्वर।
#झूमा धुरी।
हिंगला देवी। #रीठा साहिब गुरुद्वारा। #श्यामलाताल।
#बाराही धाम।
#कांति ईश्वर मंदिर।
लोहाघाट में पर्यटन के साथ-साथ राफ्टिंग का भी आनंद लिया जा सकता है।
कैसे पहुंचें.... लोहाघाट-उत्तराखंड के टनकपुर से पिथौरागढ़ राज्य मार्ग के बीच में ही स्थित है। टनकपुर से इसकी दूरी 8० किलोमीटर है । पिथौरागढ़ से 60 किलोमीटर है। लोहाघाट का करीबी रेलवे स्टेशन टनकपुर रेलवे स्टेशन है।
लोहाघाट का करीबी एयरपोर्ट पंतनगर एयरपोर्ट है। जो कि नैनीताल डिस्ट्रिक्ट में आता है। इसकी दूरी लोहाघाट से 120 किलोमीटर है।
लोहाघाट में कहां रुके है। लोहाघाट में दर्जनों होटल व रेस्टोरेंट है। यहां पर रुकने व खाने की अच्छी व्यवस्था है।
और ज्यादा अच्छे होटलों के लिए पिथौरागढ़ व टनकपुर में भी रुका जा सकता है।
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