आज से पहले आपने नहीं देखा होगा मेंढक वाला मंदिर

Tripoto
Photo of आज से पहले आपने नहीं देखा होगा मेंढक वाला मंदिर 1/1 by Manglam Bhaarat

भारत में मंदिरों के निर्माण की प्रथा का काम सदियों से चला आ रहा है। किसी भी जगह पर कुछ लोग इकट्ठे हुए तो अपने मन को शान्त रखने के लिए, तो कभी अपने आस-पास के बुरे साए को भगाने के लिए अपने आराध्यों का मंदिर बना लेते थे।

लेकिन इनमें से कुछ ऐसे मंदिर भी हुए, जिन्होंने कई सालों बाद दुनिया का ध्यान खींचा।

ऐसा ही एक मंदिर है उत्तर प्रदेश स्थित मांडुका मंदिर। इसे कुछ लोग नर्मदेश्वर मंदिर भी कहते हैं। ऐसा मंदिर, जिसे बहुत लोग नहीं जानते, लेकिन अजीबोगरीब चीज़ों की जाँच पड़ताल और रहस्यमयी बातों की जानकारी रखने वालों को तो इस पर ज़रूर ग़ौर करना चाहिए।

श्रेयः गुरू घुमक्कड़

Photo of लखीमपुर-खीरी, Uttar Pradesh, India by Manglam Bhaarat

मंदिर की कहानी

कहानी शुरू होती है 19वीं सदी से। यहाँ के ज़मींदार राजा बखत सिंह के कोई संतान नहीं थी। इसके इलाज के लिए वो यहाँ के तांत्रिक बाबा के पास गए। बाबा ने बोला कि शिव जी का मंदिर बनवा दो। लेकिन इसके साथ ही कुछ पुरानी प्रथाओं के अनुसार ही इस मंदिर का निर्माण हो सकता था। उन प्रथाओं में एक मेंढक की बलि भी देनी थी। मेंढक को हमेशा से अच्छी क़िस्मत और संप्रभुता का प्रतीक माना जाता है।

उसका बलिदान कर इस मंदिर का निर्माण करवाना था। शिव मंदिर का निर्माण हुआ, जैसा तांत्रिक बाबा ने कहा था, ठीक वैसे। इसीलिए इस मंदिर का मांडुक मंदिर भी कहते हैं।

मंदिर के बनने के कुछ महीनों बाद ही यहाँ की ज़मीन से गन्ने और चावल की फसल लहलहाने लगी।

उस दिन के बाद से ही राज बखत सिंह और उनके बच्चे इस मंदिर की समय समय पर पूजा करने आते रहे। कुछ लोग उनको यहाँ का ज़मींदार नहीं, बल्कि राजा भी बताते हैं।

श्रेयः एएम होटल कलेक्शन

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मंदिर के बारे में

मंदिर का गर्भ गृह कुल 100 फ़ीट ऊँचा है। यहाँ पर आपको सीढ़ियों से जाना होगा। मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग है, जो कि तांत्रिक यंत्र के ठीक बीच में है।

श्रेयः अंजनी श्रीवास्तव

Photo of आज से पहले आपने नहीं देखा होगा मेंढक वाला मंदिर by Manglam Bhaarat

यहाँ के स्थानीय लोग बताते हैं कि यह शिवलिंग अपने आप रंग बदलता है। मॉनसून के सीज़न में अगर आप यहाँ पर होंगे, तो लगेगा कि मंदिर पानी के ऊपर तैर रहा है।

श्रेयः अंजनी श्रीवास्तव

Photo of आज से पहले आपने नहीं देखा होगा मेंढक वाला मंदिर by Manglam Bhaarat

मंदिर के अन्दर की दीवारों पर ख़ूब सारी तस्वीरें हैं जबकि बाहर की दीवारों पर नक्काशी से बहुत सारे भगवानों की मूर्तियाँ बनी हैं।

श्रेयः अंजनी श्रीवास्तव

Photo of आज से पहले आपने नहीं देखा होगा मेंढक वाला मंदिर by Manglam Bhaarat

कुछ लोग कहते हैं कि इस मंदिर के बनने के पीछे एक वैज्ञानिक आधार भी है। ऐसा वैज्ञानिक आधार, जिसको अभी तक कोई पता नहीं लगा पाया है।

श्रेयः अंजनी श्रीवास्तव

Photo of आज से पहले आपने नहीं देखा होगा मेंढक वाला मंदिर by Manglam Bhaarat

आज यहाँ पर तांत्रिकों वाले काम तो ख़त्म हो गए हैं, लेकिन अब यहाँ पर शादीशुदा लोग अपने बच्चे की कामना लेकर ज़रूर आते हैं।

Tripoto टिप

श्रेयः अंजनी श्रीवास्तव

Photo of आज से पहले आपने नहीं देखा होगा मेंढक वाला मंदिर by Manglam Bhaarat

आप किसी भी शिव मंदिर में चले जाएँ, वहाँ पर आपको शिव जी के साथ नंदी की मूर्ति ज़रूर मिलेगी। यही अकेला ऐसा मंदिर है, जहाँ पर शिव जी के साथ नंदी नहीं हैं।

कहाँ पर है यह मंदिर

लखनऊ से 120 किमी0 दूर लखीमपुर के एल जगह में यह मंदिर बना हुआ है।

नज़दीकी रेलवे स्टेशन

लखीमपुर खीरी (14 किमी0 दूर)

नज़दीकी हवाई अड्डा

अमौसी हवाई अड्डा (130 किमी0 दूर)

नोट- ऐसी ऐतिहासिक जगहें, जो अपने इतिहास के साथ वास्तु और रहस्य भी जोड़कर रखती हैं, स्वतः ही महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं। यहाँ पर आपको भक्तों की भीड़, पूजा के लिए दुकानें नहीं मिलेंगी,, कोई पुजारी भी नहीं मिलेगा। दुनिया से छिपे हुए इस मंदिर को देखने का मौक़ा दूसरे मंदिरों से जुदा है, इसलिए इन छुट्टियों में जब मौक़ा लगे, तो घूमने का प्लान बना लें।

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