We had to face a difficult climb.

यात्रा शुरू .. सामने दिख रहे पहाड़ो के पीछे हिमानी चामुण्डा का मंदिर हैं .. बस ने जहाँ छोड़ा वहां से 16 किमी की दूरी हैं और रात्रि वही विश्राम के बाद सुबह वहां से वापस ...

शॉर्टकट के चक्कर में मुश्किल चढ़ाई चढ़नी पड़ गयी .. खेर सही रस्ते पे आ गये

मुश्किल और खड़ी चढ़ाई के बाद आसान रास्ता दिखा तो कुछ राहत मिली ..

मंदिर अभी भी दूर हैं और कभी भी बारिश हो सकती हैं थोडा आराम करने के बाद फिर यात्रा शुरू करनी हैं ..

चलो आराम बहुत हुआ अब चलते हैं ..

बारिश बंद हुयी और मौसम कुछ साफ़ हुआ तो अब रेन कोट खोल देना चाहिए .. बता दूँ भयंकर ओले गिरे थे कुछ समय पहले और गद्दीयों की बनी झोपड़ी ना मिलती तो बुरी तरह से भीग जाते ..

मौसम साफ़ हुआ तो नज़ारे फोटो खींचने वाले हो गये ..

दूर से झोपडी को देखा तो ऐसा लगा जैसे वीरान होगी .. पर झोपड़ी के ऊपर लगी झंडियाँ यह बता रही थी कि यहाँ आपको चाय नाश्ता मिल जाएगा और हमें भी यहाँ चाय और बिस्किट मिल ही गये ..

शाम होते होते हम मंदिर पहुच ही गये और धर्मशाला में कम्बले लेकर सो गये रात भर बाहर बर्फ बारी होती रही .. सुबह के नज़ारे कुछ ऐसे मिले की बिना फोटो खींचे कैसे रह सकते थे ..

सुबह दर्शन के बाद वापसी की तैयारी ..


अप्रैल में बुरांश के फुल अपने यौवन पे होते हैं और पुरे रास्ते ऐसे ही नज़ारे मिले हमें ..

रास्ते में छोटे पत्थर होने से पैर फिसल रहे थे .. बढ़ी सावधानी से हम लोग उतर रहे थे ..

यहाँ गिरते गिरते बचा .. हा हा

बच्चे कितने सुंदर होते हैं .. चाहे किसी भी जीव के हो ..

यह निशु हैं .. पीछे इसकी होटल हैं .. यात्रियों को यहाँ ठंडा और गर्म दोनों मिल जाते हैं .. इसकी शिकायत हैं .. कि यहाँ आने वाले काफी गंदगी फेलाते हैं ..

अभी और उतराई हैं .. आधे रास्ते ही पहुचे हैं ..


एक एक पांव संभल के रखना जरुरी था ..

इसके आगे आसान रास्ता मिला.. एक कच्ची बनी पगडण्डी

जल्दी पहुच जाये तो कल की यात्रा पे विलम्ब नहीं होगा ..

बस अब थोड़ी ही दूर पे कण्ड करडियाणा गाँव हैं और वहां से चामुण्डा मंदिर वाली रोड मिल जाएगी और आगे जाने के साधन भी ..
