हिमाचल प्रदेश में मौज मस्ती और घुमने फिरने के लिए अनेकों प्राकृतिक स्थान हैं। इसके साथ साथ हिमाचल प्रदेश में अनेकों धर्मस्थल भी काफी प्रतिष्ठित हैं, यहाँ पर आप प्राकृतिक सौंदर्य में मौज मस्ती के साथ आध्यात्म से भी जुड़ सकते हैं हिमाचल में आपको ऐसे बहुत सारे स्थान मिल जाएंगे जहांँ आप घुमने की इच्छा रखते हैं, पर हम आज ऐसे स्थान की बात करने जा रहे हैं जिसका संबंध शिव शंकर जी के साथ जुड़ा हुआ है।
बाबा बालक नाथ धाम
दियोट सिद्ध उत्तरी भारत में एक दिव्य सिद्ध पीठ है। यह पीठ हिमाचल के हमीरपुर से 45 किलोमीटर दूर दियोट सिद्ध नामक सुरम्य पहाड़ी पर है। इसका प्रबंध हिमाचल सरकार के अधीन है। हमारे देश में अनेकानेक देवी-देवताओं के अलावा नौ नाथ और चौरासी सिद्ध भी हुए हैं जो सहस्त्रों वर्षों तक जीवित रहते हैं और आज भी अपने सूक्ष्म रूप में वे लोक में विचरण करते हैं। नाथों में गुरु गोरखनाथ का नाम आता है। इसी प्रकार 84 सिद्धों में बाबा बालक नाथ जी का नाम आता है।
बालक नाथ जी के बारे में प्रसिद्ध है कि इनका जन्म युगों-युगों में होता रहा है। प्राचीन मान्यता के अनुसार बाबा बालक नाथ जी को भगवान शिव का अंश अवतार ही माना जाता है। श्रद्धालुओं में ऐसी धारणा है कि बाबा बालक नाथ जी 3 वर्ष की अल्पायु में ही अपना घर छोड़ कर चार धाम की यात्रा करते-करते शाहतलाई (जिला बिलासपुर) नामक स्थान पर पहुंचे थे।
शाहतलाई में रहने वाली माई रतनो नामक महिला ने, जिनकी कोई संतान नहीं थी इन्हें अपना धर्म का पुत्र बनाया। बाबा जी ने 12 वर्ष माई रतनो की गऊएं चराईं। एक दिन माता रतनो के ताना मारने पर बाबा जी ने अपने चमत्कार से 12 वर्ष की लस्सी व रोटियां एक पल में लौटा दीं। इस घटना की जब आस-पास के क्षेत्र में चर्चा हुई तो ऋषि-मुनि व अन्य लोग बाबा जी की चमत्कारी शक्ति से बहुत प्रभावित हुए। गुरु गोरख नाथ जी को जब से ज्ञात हुआ कि एक बालक बहुत ही चमत्कारी शक्ति वाला है तो उन्होंने बाबा बालक नाथ जी को अपना चेला बनाना चाहा परंतु बाबा जी के इंकार करने पर गोरखनाथ बहुत क्रोधित हुए।
जब गोरखनाथ ने उन्हें जबरदस्ती चेला बनाना चाहा तो बाबा जी शाहतलाई से उडारी मारकर धौलगिरि पर्वत पर पहुंच गए जहांँ आजकल बाबा जी की पवित्र सुंदर गुफा है। मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही अखंड धूणा सबको आकर्षित करता है। यह धूणा बाबा बालक नाथ जी का तेज स्थल होने के कारण भक्तों की असीम श्रद्धा का केंद्र है। धूणे के पास ही बाबा जी का पुरातन चिमटा है।
बाबा जी की गुफा के सामने ही एक बहुत सुंदर गैलरी का निर्माण किया गया है जहांँ से महिलाएं बाबा जी की सुंदर गुफा में प्रतिष्ठित मूर्ति के दर्शन करती हैं। सेवकजन बाबा जी की गुफा पर रोट का प्रसाद चढ़ाते हैं। बताया जाता है कि जब बाबा जी गुफा में अलोप हुए तो यहां एक (दियोट) दीपक जलता रहता था जिसकी रोशनी रात्रि में दूर-दूर तक जाती थी इसलिए लोग बाबा जी को, ‘दियोट सिद्ध’ के नाम से भी जानते हैं।
लोगों की मान्यता है कि भक्त मन में जो भी इच्छा लेकर जाए वह अवश्य पूरी होती है। बाबा जी अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं इसलिए देश-विदेश व दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा जी के मंदिर में अपने श्रद्धासुमन अर्पित करने आते हैं। 14 मार्च संक्रांति वाले दिन से यहांँ वार्षिक मेला प्रारंभ होता है।
स्थान: यह स्थान हमीरपुर से 45 किलोमीटर की दूरी पर हमीरपुर और बिलासपुर जिला की सीमा पर चकमोह गाँव के दियोटसिद्ध नामक क्षेत्र में स्थित है |
उपयुक्त समय: इस पवित्र स्थान पर वर्ष के दौरान कभी भी आसानी से जाया जा सकता है। रविवार को बाबा जी के शुभ दिन के रूप में माना जाता है, इसलिए आम तौर पर सप्ताहांत पर और विशेष रूप से रविवार को यहाँ पर बहुत भीड़ होती है।
कैसे पहुंचें:
वायु मार्ग द्वारा
हमीरपुर जिले में कोई भी हवाई अड्डा नहीं है, अतः इस स्थान के लिए कोई भी सीधी वायु सेवा / उड़ान उपलब्ध नहीं है। दियोटसिद्ध से सबसे निकटतम हवाई अड्डा धर्मशाला के पास गग्गल (कांगड़ा) है जो यहाँ से लगभग 128 किलोमीटर दूर है।
ट्रेन द्वारा
इस स्थान के लिए कोई भी सीधी ट्रेन सेवा नहीं है। दियोटसिद्ध से निकटतम रेलवे स्टेशन ऊना (ब्रॉड गेज रेलवे लाइन) है। ऊना रेलवे स्टेशन यहाँ से लगभग 55 किमी दूर है।
सड़क द्वारा
यह जगह हिमाचल प्रदेश और अन्य पड़ोसी राज्यों के सभी प्रमुख शहरों से सड़क से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इस जगह पर नियमित बस सेवा उपलब्ध है। टैक्सी सेवा भी यहाँ पर आसानी से उपलब्ध हैं।
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