बेहद खूबसूरत लद्दाख को 7 दिन में ऐसे घूमें, पूरी जानकारी यहाँ मिलेगी

Tripoto
Photo of बेहद खूबसूरत लद्दाख को 7 दिन में ऐसे घूमें, पूरी जानकारी यहाँ मिलेगी by Rishabh Dev

लद्दाख भारत की ऐसी जगह है, जहां हर कोई एक बार ज़रूर जाना चाहता है। कोई लद्दाख को घूमने के नज़रिए से जाता है तो कोई लद्दाख को एक रोमांचक यात्रा के रूप में देखता है। नीला आसमान, विशाल बंजर पहाड़ और झील का साफ़-सथुरा पानी, ये सब आपको सिर्फ़ लद्दाख में ही देखने को मिलेगा। लद्दाख को अच्छे से घूमने के लिए एक बेहतर प्लान की ज़रूरत पड़ती है। अगर आपके पास सिर्फ़ 7 दिन का समय है और लद्दाख को अच्छे से घूमना चाहते हैं तो पूरी जानकारी हम आपको दे देते हैं। लद्दाख को 7 दिन में कैसे घूमें, कहां रूके और क्या खा सकते हैं? इसकी पूरी जानकारी हम आपको दिए देते हैं जिससे आपको लद्दाख की यात्रा में कोई परेशानी ना हो।

कैसे पहुँचे?

लद्दाख पहुँचने के वैसे तो कई रास्ते हैं लेकिन ये इस पर निर्भर करता है कि आप किस समय लद्दाख जाने का प्लान बना रहे हैं। अगर आप गर्मियों के समय में लद्दाख जाने का प्लान बना रहे हैं तो हिमाचल के मनाली की तरफ़ से भी आप लद्दाख पहुँच सकते हैं और श्रीनगर से भी जंजहौली होते हुए वाया रोड आ सकते हैं। सर्दियों में आप वाया रोड लद्दाख नहीं जा पाएँगे क्योंकि उस समय पूरा रास्ता बर्फ़ से ढँका होता है। इसके अलावा आप फ़्लाइट से तो किसी भी समय लद्दाख जा सकते हैं। फ़्लाइट से दिल्ली से लद्दाख पहुँचने में 1-2 घंटे का समय लगता है।

परमिट

लद्दाख की 7 दिन की यात्रा में आप ऐसी जगहों पर भी जाएँगे जो बॉर्डर के बहुत पास हैं। ऐसी जगहों पर जाने के लिए इनर लाइन परमिट की ज़रूरत होती। इनर लाइन परमिट के बिना आप इन जगहों को नहीं देख पाएँगे। इनर लाइन परमिट आप ऑफ़लाइन और ऑनलाइन ले सकते हैं। ऑफ़लाइन इनर लाइन परमिट बनवाने के लिए आपको लेह के डीएम ऑफिस जाना पड़ेगा। इसके अलावा आप ऑनलाइन भी इनरलाइन परमिट के लिए आवेदन कर सकते हैं। इनर लाइन परमिट के लिए आपको अपना आवेदन और उसके साथ अपना पहचान पत्र देना होगा।

नेटवर्क

देश के सभी हिस्सों में प्रीपेड सिम चल जाती है लेकिन जम्मू कश्मीर और लद्दाख जैसे इलाक़े में प्रीपेड सिम काम नहीं करती है। इसके लिए आपको पोस्टपेड सिम की आवश्यकता होती है। लद्दाख पहुँचने से पहले अपनी सिम को ही पोस्टपेड कर लीजिए या फिर लेह में नई सिम ख़रीद लीजिए। लद्दाख में इंटरनेट के लिए जियो और एयरटेल की सिम बेहतर मानी जाती है। इसके अलावा रिमोट इलाक़े में बीएसएनएल की सिम ज़्यादा कारगर मानी जाती है।

दिन 1: लेह

फ़्लाइट से लेह पहुँचे या वाया रोड लेह पहुँचे। आपको पूरा एक दिन सिर्फ़ लेह में गुज़ारना है। लेह बेहद ऊँचाई और ठंडी वाली जगह है। ऐसी पहाड़ी ऊँचाई वाली जगहों पर ख़ुद को एडजस्ट करने के लिए एक दिन का समय देना चाहिए। लद्दाख घूमने वालों के लिए ऐसा अनिवार्य भी किया गया है कि आपको लेह आने के बाद 1 दिन यहाँ रूकना ही पड़ेगा। लेह में ठहरने के लिए आपको कोई दिक़्क़त नहीं होगी। यहाँ पर कई सारे होटल हैं और हॉस्टल भी हैं जिनमें आप ठहर सकते हैं।

दिन 2: लेह शहर

लेह में एक दिन आराम करने के बाद आपको लद्दाख को एक्सप्लोर करने के लिए एकदम तैयार हैं। आप अगले दिन लेह शहर को घूमने में बिता सकते हैं। इसकी शुरूआत आप लेह बाज़ार से कर सकते हैं।

1- लेह मार्केट

लेह मार्केट लेह-लद्दाख में पहला ऐसा स्थान है जिसको आप अपनी यात्रा के दौरान देखेंगे क्योंकि यह बिलकुल शहर के बीच में स्थित है। लेह मार्केट को देखे बिना लेह की यात्रा अधूरी मानी जाता है। अगर आप लेह लद्दाख की यात्रा करने जा रहे हैं तो हम आपको यही सलाह देंगे कि आपको इस बाजार का दौरा जरुर करना चाहिए। लेह मार्केट काफ़ी बड़ा है और काफ़ी व्यवस्थित है। यहाँ आपको ज़रूरत का हर सामान मिल जाएगा। लेह मार्केट में तिब्बती रिफ्यजी मार्केट भी है। इसके अलावा कई सारे रेस्टोरेंट और कैफ़े भी हैं। यहां आप लेह के कई तरह के स्थानीय भोजन का भी आनंद ले सकते हैं। रात के समय लेह मार्केट बेहद खूबसूरत दिखाई देता है।

2- लेह पैलेस

लेह मार्केट में मस्जिद के पास से ही एक पैदल रास्ता लेह की पैलेस की ओर जाता है। लेह पैलेस जिसे। ल्हाचेन पालखर के नाम से भी जाना जाता है। लेह पैलेस लेह लद्दाख का एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है और देश की एक ऐतिहासिक समृद्ध सम्पदाओं में से एक है। इस भव्य और आकर्षक संरचना को 17वीं शताब्दी में राजा सेंगगे नामग्याल ने एक शाही महल के रूप में बनवाया था। इस हवेली में राजा और उनका पूरा राजसी परिवार रहता था। लेह पैलेस अपने समय की सबसे ऊँची इमारतों में से एक है। नौ मंजिल की इस इमारत से लेह शहर का पूरा मनोरम दृश्य देखने को मिलता है।

3- शांति स्तूप

लेह पैलेस को देखने को बाद आप शांति स्तूप को देखने के लिए जा सकते हैं। लेह शहर से शांति स्तूप लगभग 4-5 किमी. की दूरी पर है। आप यहाँ लिफ़्ट लेकर या किसी और साधन से शांति स्तूप पहुँच सकते हैं। इसके अलावा आप आप लेह शहर से 500 सीढ़ियां चढ़कर स्तूप तक पहुंच सकते हैं। शांति स्तूप थोड़ी ऊँचाई पर स्थित है। शांति स्तूप लेह लद्दाख का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो एक बौद्ध सफेद गुंबद वाला स्तूप है। शांति स्तूप का निर्माण एक जापानी बौद्ध भिक्षु ग्योम्यो नाकामुरा द्वारा बनाया गया था और 14 वें दलाई लामा द्वारा खुद को विस्थापित किया गया था। यह स्तूप अपने आधार पर बुद्ध के अवशेष रखता है और यहां के आसपास के परिदृश्य का मनोरम दृश्य प्रदान करता है। शांति स्तूप को लेह में एक प्रमुख पर्यटन स्थल माना जाता है जो समुद्र तल से 4,267 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

दिन 3: नुब्रा वैली

लद्दाख यात्रा के तीसरे दिन आपको शहर से पहाड़ों की तरफ़ चलना होगा। अगर आप अकेले हैं को लेह शहर से बाइक किराए पर ले सकते हैं। इसके अलावा आप टैक्सी भी बुक कर सकते हैं। लेह से नुब्रा वैली की दूरी लगभग 160 किमी. है। लद्दाख इतनी ज्यादा ऊँचाई पर स्थित है कि यहाँ गाड़ी बहुत ज़्यादा तेज़ नहीं चल पाती है। लेह से नुब्रा पहुँचने में कम से कम 5-6 घंटे का समय लगेगा। लेह से नुब्रा वैली का रास्ता एकदम रोमांचक है। रास्ते में आप खारदुंग ला से होकर गुजरेंगे। खारदुंग ला समुद्र तल से 5.359 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। खारदुंग ला इस यात्रा का एक बड़ा आकर्षण है। इतनी ऊँचाई पर गाड़ी चलाना आसान बात नहीं है इसलिए थोड़ा संभलकर गाड़ी चलाने की आवश्यकता है।

खारदुंग ला में आपको चारों तरफ़ बर्फ़ से ढँके पहाड़ देखने को मिलेंगे। ऐसा नजारा आप अपनी ज़िंदगी भर नहीं भूल पाएँगे। खारदुंग ला को पार करने के बाद आप नुब्रा वैली की तरफ़ बढ़ पड़ेंगे। किसी भी हालत में आपको दोपहर तक आपको नुब्रा वैली पहुँच ही जाना चाहिए क्योंकि उसके बाद मौसम थोड़ा बिगड़ने लगता है। नुब्रा वैली पहुँचने के बाद एक अच्छे से होटल में ठहरिए और इस जगह का अनुभव अच्छे से करना चाहिए। यहाँ आप ऊँट की सवारी कर सकते हैं और हुंडर ड्यूंस में सूर्यास्त देख सकते हैं।

दिन 4: पैंगोंग लेक

नुब्रा वैली में अगले दिन होटल से चेक आउट करने के बाद डिस्किट मोनेस्ट्री को देखने के लिए निकल पड़िए। नुब्रा से डिस्किट की दूरी लगभग 75 किमी. है। डिस्किट मठ लद्दाख की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी मोनेस्ट्री है। यहाँ पर बुद्ध की 32 मीटर मीटर ऊंची मूर्ति है। मोनेस्ट्री को देखने के बाद पैंगोंग झील को देखने के लिए निकल पड़िए। डिस्किट से पैंगोंग झील लगभग 230 किमी. की दूरी पर है। इस यात्रा को पूरा करने में आपको 6-7 घंटे का समय तो लगेगा ही। रास्ते में आपको श्योक नदी भी मिलेगी। लगभग 6-7 घंटे की लंबी यात्रा के बाद पैंगोंग पहुँचेंगे।

पैंगोंग लेक हिमालय में लेह-लद्दाख के पास स्थित प्रसिद्ध झील है जो 12 किलोमीटर लंबी है। ये झील भारत से तिब्बत तक फैली हुई है। इस झील को पैंगॉन्ग त्सो के रूप में भी जाना जाता है और यह लम्बे समय से लेह लद्दाख का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। लेह लद्दाख की एक खूबसूरत जगह होने के साथ यह कई फिल्मों की शूटिंग का हॉट-स्पॉट होने की वजह से इस झील को काफी लोकप्रियता मिली है। पैंगोंग झील अपनी प्राकृतिक सुंदरता, क्रिस्टल जल और कोमल पहाड़ियाँ क्षेत्र के सुंदर परिदृश्य की वजह से एक लेह-लद्दाख का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। पैंगोंग झील के पास रूकने के लिए कोई होटल तो नहीं मिलेंगे लेकिन लकड़ी के हट और कैंप बने हुए हैं जिनमें आप ठहर सकते हैं।

दिन 5: चांगला

अगले दिन सुबह-सुबह खूबसूरत पैंगोंग लेक को निहारने के बाद लेह की तरफ़ निकल पड़िए। पैंगोंग से लेह आते समय 150 किमी. दूरी तय करने के बाद आप चांगला पहुँचेंगे। चांगला लद्दाख का एक हिमालयी दर्रा है। चांगला समुद्र तल से 5,360 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। आपको यहाँ वैसा ही अनुभव होगा जैसा खारदुंग ला पर हुआ था। यहाँ से दिखाई देने वाले नज़ारे आप कभी भूल नहीं पाएँगे। चांगला से लेह की दूरी 75 किमी. है।

चांगला से लेह के रास्ते में आपको हेमिस नाम की एक जगह मिलेगी। हेमिस में एक मोनेस्ट्री भी है जिसे हेमिस मोनेस्ट्री के नाम से जाना जाता है। हेमिस मोनेस्ट्री लद्दाख की सबसे बड़ी मोनेस्ट्री में से एक है। इस मोनेस्ट्री में आप मंदिर और म्यूज़ियम को तो देख ही सकते हैं। इसके अलावा हेमिस मोनेस्ट्री का मुख्य आकर्षण गुरू रिन्पोचे का बेहद विशाल स्टैच्यू है। हेमिस से लेह 35 की दूरी पर है। हेमिस से लेह पहुँचने में 1 घंटे का समय लगेगा।

दिन 6: लेह

लेह पहुँचने के बाद अगले दिन लेह में एक स्कूटी किराए पर ले लीजिए या कैब बुक कर लीजिए। उसके बाद लेह की कुछ मोनेस्ट्रीज और अन्य जगहों को एक्सप्लोर करने के लिए निकल पड़िए।1-

1- थिकसे मोनेस्ट्री

थिकसे मोनेस्ट्री लद्दाख में एक प्रमुख स्थल है। थिकसे मोनेस्ट्री लेह शहर से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इसे खर्चूंग गोंपा के रूप में भी जाना जाता है। लद्दाख के आस-पास के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेने के लिए ये जगह विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह मोनेस्ट्री तिब्बती बौद्ध धरोहर, कला, और संस्कृति के लिए भी जानी जाती है। थिकसे मोनेस्ट्री पांच मंजिल की है और इसमें बौद्ध स्तूप, धरोहर कक्ष, पूजा कक्ष, पुस्तकालय और धर्मशाला शामिल हैं। यहां एक बुद्ध की विशाल मूर्ति है जिसे आप देख सकते हैं।

2- शे मठ

शे मोनोस्ट्री को शेह महल के नाम से भी जाना जाता है। शे महल शे गाँव की पहाड़ी पर स्थित है। पुराने समय में शे गांव लद्दाख की राजधानी हुआ करता था। शे मोनेस्ट्री लेह शहर से लगभग 15 किमी. की दूरी पर स्थित है। शे महल का निर्माण 1655 ई० में डेल्डन नामग्याल द्वारा करवाया गया था जो सिंगे नामग्याल के पुत्र थे। इस महल को ल्हाचेन पालजीगॉन के नाम से भी जाना जाता है। शे महल के अंदर एक शेय मठ भी बनवाया गया है जिसका निर्माण 1655 ई० में करवाया गया था।

3- स्टकना मोनेस्ट्री

स्टकना मठ लद्दाख घाटी में एक प्रसिद्ध बौद्ध स्थल है। यह मोनेस्ट्री लद्दाख के लेह शहर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। स्टकना मठ को 16वीं सदी में नासिरुद्दीन बुद्धि ने स्थापित किया था। स्टकना मठ के विशाल मैन शाला में धर्मिक अद्भुत चित्रों का भंडार है, जिनमें बौद्ध मंदिर और पूजा कक्ष शामिल हैं। मोनेस्ट्री में आप अद्भुत चौरासी बौद्ध धरोहर में से कुछ देख सकते हैं। स्टकना मठ लद्दाख के धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर के लिए एक शानदार स्थान है और यह लद्दाख यात्रा में आने वाले पर्यटकों को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव का एक अद्भुत अवसर प्रदान करता है।

4- सिंधु-जांस्कर संगम

लेह की मोनेस्ट्री को देखने के बाद सिंधु-जांस्कर नदी का संगम देखने के लिए निकल पड़िए। लेह से सिधु-जांस्कर संगम 35 किमी. की दूरी पर है। सिंधु-जांस्कर संगम श्रीनगर-लेह हाईवे पर निम्मू गाँव के पहले स्थित है। यहाँ पर रिवर राफ़्टिंग भी होती है। सिंधु-जांसकर संगम के रास्ते में आपको पत्थर साहिब गुरूद्वारा भी मिलेगा। पत्थर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन ज़रूर कीजिएगा।

5- मैग्नेटिक हिल

सिंधु-जांस्कर नदी का संगम देखने के बाद लेह वापस लौटते समय मैग्नेटिक हिल को भी देख सकते हैं। लद्दाख के लोकप्रिय मैग्नेटिक हिल को ग्रेविटी हिल भी कहा जाता है जहाँ पर वाहन गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से अपने आप पहाड़ी की तरफ बढ़ते हैं। समुद्र तल से लगभग 14,000 फीट की ऊंचाई पर और लेह शहर से 30 किमी की दूरी पर स्थित है। लद्दाख में मेगनेटिक हिल का रहस्य दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। मैग्नेटिक हिल को देखने के बाद वापस लेह लौट आइए।

दिन 7: लेह से वापसी

अगले दिन आप लेह मार्केट में जाकर शॉपिंग कर सकते हैं। आप लद्दाख यात्रा की याद के तौर पर कुछ ले सकते हैं। बाज़ार में एक बढ़िया रेस्टोरेंट में खाना खा सकते हैं। इसके बाद लेह एयरपोर्ट चले जाइए, वहाँ से आप वापस अपने गंतव्य पर लौट सकते हैं। इस तरह लेह की यात्रा पूरी होती है।

क्या खाएँ?

लेह में आपको खाने में काफ़ी वैरायटी मिल जाएगी। यहाँ आपको देसी-विदेशी और स्थानीय फ़ूड भी मिल जाएगा। लेह में आप थुकपा, मोमो, स्कयू, तिंगमो, चुतागी, ख़मीर, चांग और तिब्बती फ़ूड का आनंद भी ले सकते हैं। लेह में आपको बजट वाले रेस्टोरेंट भी मिल जाएँगे और महँगी से महँगी जगह भी मिल जाएगी। अगली बार लेह जाएँ तो इनमें से किसी डिश का ज़ायक़ा ज़रूर लें।

क्या आपने हाल ही में लद्दाख की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।

रोज़ाना टेलीग्राम पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।

Further Reads