मुम्बई की सड़कों पर अब नहीं चलेंगी डबल डेकर बसें, 86 साल का रहा है इन बसों का सुनहरा इतिहास

Tripoto
18th Sep 2023
Photo of मुम्बई की सड़कों पर अब नहीं चलेंगी डबल डेकर बसें, 86 साल का रहा है इन बसों का सुनहरा इतिहास by Pooja Tomar Kshatrani
Day 1

हर एक शहर की अपनी अलग पहचान होती है, ऐसे ही मुंबई की पहचान थी डीजल से चलने वाली डबल डेकर बस, जो कि अपना 86 साल का सफर करने के बाद अब बंद हो गई हैं। मुंबई वासियों को अब सड़को पर ये बसें नजर नहीं आएंगी। बता दें कि मुंबईकरों ने बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट एंटरप्राइज की आखिरी डीजल से चलने वाली डबल-डेकर बस को अलविदा कह दिया है और इसी के साथ ये बसें इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई है।

सोशल मीडिया पर लोगों ने इन बसों से जुड़ी इमोशनल यादों को साझा किया। बिजनसमैन आनंद महिंद्रा ने भी ट्वीट कर बस का फोटो शेयर करते हुए कहा, 'मुंबई पुलिस, मैं अपने बचपन की सबसे खास यादें चोरी होने की रिपोर्ट कराना चाहता हूं।'

क्यों बंद किया जा रहा है इन बसों को?

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दरअसल, ये बसें डीजल पर चलती हैं और डीजल वाली गाड़ियों की लाइफ 15 साल होती हैं। इन सात बसों के 15 साल पूरे हो रहे हैं, इसलिए अब इन्हें हटाया जा रहा है। 2030 तक डीजल से चलने वाली सभी बसों को इलेक्ट्रिक, CNG बसों से रिप्लेस किया जाएगा।

बता दें कि उनकी जगह पर अब नयी चमकदार लाल और काले रंग की बैटरी चलित (ईवी) डबल डेकर बस इस साल फरवरी से ही चलनी शुरू हो गई हैं और साथ ही BEST ने बताया है कि 2024 जुलाई के महीने में मुंबई में लगभग 900 एयर कंडीशनर वाली डबल-डेकर बस चलाई जाएंगी, जो पूरी तरह से इलेक्ट्रिक होंगी।

यादगार के तौर पर म्यूजियम में रखी जाएगी एक बस

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मुंबई की इन डबल डेकर बसों का सफर यहां खत्म नहीं होगा। इन्हे मुंबई की हॉल ऑफ फेम में शामिल किया जा रहा है। BEST की एक डीजल डबल डेकर बस को शहर के कल्चर को दिखाने के लिए म्यूजियम या डिपो में रखा जाएगा।

फूल-माला से सजी आखिरी बस को लोगों ने नम आखों से किया विदा

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फूलों की मालाओं और गुब्बारों से सजी, डीजल से चलने वाली आखिरी डबल डेकर शुक्रवार की सुबह बेस्ट के मरोल डिपो से बाहर निकली और पूरे दिन लोगों का ध्यान खींचती रही। बस के अंदर और बाहर लोग फोटो और सेल्फी खींचते नजर आए। कुछ बस प्रेमी डबल डेकर को उसकी अंतिम यात्रा पर विदाई देने के लिए अंधेरी ईस्ट में मौजूद थे।

बाॅलीबुड का इन बसों से रहा है एक खास रिशता

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मुंबई के हिंदी फिल्म उद्योग के साथ लंबे समय से इसके लगाव को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर के दैनिक जीवन के साथ यह कितती घुलमिल गई थी। उदाहरण के लिए, तारे जमीन पर के दृश्य में सिंगल डेकर बस का उपयोग करने से ईशान के उस अनुभव एवं रोमांच को व्यक्त नहीं किया जा सकता है जिसे डबल डेकर के जरिये स्पष्ट तौर पर दिखाया गया।

शान (1980) के गाने ‘जानू मेरी जान’ को अगर सिंगल डेकर बस के साथ फिल्माया जाता जो दृश्य उतना शानदार नहीं दिखता।

BEST की डबल डेकर बसें केवल रोमांटिक किस्सों तक ही सीमित नहीं है। इनने 70 के दशक के अंत तक मुंबई के मध्य वर्ग के संघर्षों के साथ अपनी एक अलग जगह बनाई है।

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