मुझे बेहद दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि कुल्लू मनाली अब वो जगह नहीं रही, जहाँ आप ठंडी हवा के बीच, कम भीड़ में सुकून भरी छुट्टियाँ बिता सकते। जहाँ इतनी शांति थी, कि मंद मंद बहती हवा के लरजते सुकून को आप अपने भीतर महसूस कर सकते।
कुल्लू मनाली अब भी एक ग़ज़ब का टूरिस्ट स्पॉट है, लेकिन हम शांति और सुकून पसंद लोगों को इसके नज़दीक कुछ दूसरे स्वर्ग मिल गए हैं। ऐसी 8 जगहें, जहाँ आपको फिर से वही रस मिलेगा, जिसकी खोज में आप पहाड़ों पर आते हैं।
शानगढ़
हिमालय के पहाड़ों पर हिमालयन राष्ट्रीय पार्क पर बसा हुआ नया ख़ज़ाना है शानगढ़। देवदार के घने पेड़ों से घिरी इस नज़ाकत भरी जन्नत में आएँ, खो जाएँ, ख़ुद से बातें करें। पहाड़ों की सुंदरता आपको बाँध कर रखती है, और कई बार तो आप यहाँ ख़ूबसूरत इंद्रधनुष भी देख पाते हैं। अपने आप में आत्मनिर्भर यह गाँव शानदार आर्किटेक्चर, प्राकृतिक झरनों और सुंदरता से भरा हुआ है।
शानगढ़ में क्या करें- स्कीइंग, बर्फ़ पर ट्रेकिंग, बाइकिंग, कैंपिंग, पैराग्लाइडिंग, पंछी दर्शन इत्यादि।
सिराज घाटी पर बसने वाला शोजा, जिभी और जलोड़ी पास के बीच स्थित है। हरी हरी घास के पहाड़ पर लरजती सफ़ेद बर्फ़ और घने घने देवदार के पेड़ आपकी शाम बनाने के लिए काफ़ी हैं। गुज़रते हर लम्हे के साथ आप इस जगह की शांति और सुंदरता के कायल हो जाएँगे।
एक और ख़ास बात जो आपको यहाँ के गाँवों में देखने मिलेगी, वो है लोगों में एक क़िस्म की सादगी, जो आपको बेहद आकर्षित करेगी। इतना ज़्यादा, कि आपके ज़हन में एक बार के लिए यहीं पर हमेशा के लिए बस जाने का ख़्याल आएगा।
शोजा में कहाँ जाएँ, क्या देखें- तीर्थन घाटी, रघुपुर क़िला
चैनी कोठी अपने प्राचीन और आर्किटेक्चर के लिए प्रसिद्ध मंदिरों वाले टॉवर के कारण जाना जाता है। इन मंदिर टॉवरों का उपयोग किसी ज़माने में आस-पास के इलाक़ों की निगरानी के लिए किया जाता था। अगर आप इन मंदिर टॉवरों के सबसे ऊपर चोटी पर चले जाएँगे, तो आपको चोटी से पूरे गाँव के आकर्षक नज़ारे देखने को मिलेंगे।
यहाँ पर रहने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है और यहाँ के सभी घर पारंपरिक आर्किटेक्चर के बने हैं। आपको यहाँ आने के लिए श्रृंग ऋषि मंदिर तक ट्रेक करके आना पड़ेगा। श्रृंग ऋषि किसी ज़माने में बंजार घाटी के राजा हुआ करते थे, जिनके नाम पर यहाँ के मंदिर का नाम रखा गया है।
यहाँ पर क्या करें: श्रृंग ऋषि मंदिर देखें, मंदिर टॉवर देखने जाएँ।
फ़ोटोग्राफ़रों के लिए यह जगह जन्नत है। यहाँ की सबसे आकर्षक जगहों में देखने के लिए बाहू नाग मंदिर है, जिसके लिए आपको आकर्षक ट्रेक पूरा करना होता है। देवदार के जंगलों के बीच से होता हुआ यह ट्रेक आपको कई देसी गाँव और नई अनछुई जगहों की सैर कराता है। अगर आप पक्के ट्रेकर नहीं हैं, तो यह ट्रेक आपके लिए थोड़ा थकाने वाला हो सकता है, लेकिन इस बात की भी गारंटी है, कि आपको यहाँ के नज़ारे पूरी थकान मिटा देंगे।
बाहू में क्या करें: मंदिर दर्शन को जाएँ और यहाँ के छोटे से तालाब में बैठकर अपने पाँव की थकान मिटाएँ।
गड़ागुशैनी
नोट- गुशैनी गाँव और गड़ागुशैनी दोनों अलग अलग जगहें हैं।
तीर्थन घाटी के पहाड़ों और जंगलों की ख़ूबसूरती के बीच एक ख़ूबसूरत सा गाँव बसता है गड़ागुशैनी। आप जब भी यहाँ आएँ, तो यहाँ के हरे हरे घास के मैदानों और चीड़ के पेड़ों वाले जंगलों को देखना न भूलें। यहाँ की ख़ूबसूरती देखकर आप इसके दीवाने न हो जाएँ तो कहना।
गड़ागुशैनी में क्या करें: कुल्लू मनाली के नज़दीक इस ख़ूबसूरत सी जगह को देखने जाएँ, यहाँ के प्राकृतिक और अनछुए नज़ारों का आनंद उठाएँ।
सेराज
सेराज उर्दू का लफ़्ज़ है जिसका मानी है सूरज, या फिर प्रकाश की किरण। पंछियों की चहचहाहट, घने गर्वीले पहाड़, घास पर फैली हुई ओस की मोती जैसी बूँदे आपको किसी आकर्षक म्यूज़िकल कॉन्सर्ट की याद दिलाती हैं।
एक बात जो कि इस गाँव में बेहद ख़ास है। यहाँ के ग्रामीण लोग अपने गाँव के प्राकृतिक रंग को बनाए रखने के लिए इको फ्रेंडली चीज़ों का उपयोग करने पर ज़ोर देते हैं।
सेराज में क्या करें: पोहलानी देवी मंदिर, सेराज घाटी, कीलॉन्ग म्यूज़ियम, देत नाग मंदिर देखने जाएँ।
साच
सेब के खेतों से सजा सारची गाँव अपने लकड़ी के आर्किटेक्चर वाले घरों के लिए प्रसिद्ध है। चीड़ के पेड़, देवदार के घने पेड़ से ढके पहाड़ आपको बहुत पसंद आएँगे।
सारची में क्या करें: यहाँ के घरों का आर्किटेक्चर देखने जाएँ, सब्जियों वाले पेड़ और सैंचुरी देखें।
बथाड
जिभी के नज़दीक बथाड भी एक ख़ूबसूरत सा गाँव है जहाँ जाकर आपको जीवन का असली आनंद आएगा।
अगर मौक़ा मिले तो सर्दियों के मौसम में यहाँ आएँ और पेड़ों पर लटकती बर्फ़ को देखने का सुख पाएँ।
बथाड में क्या करें: बर्फ़ के बीच खेलें, पारंपरिक खाने और चाय का आनंद लें
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