#मेरी_कच्छ_भुज_यात्रा
#कच्छ_का_रण
#भाग_8
#अंतिम_भाग
नमस्कार दोस्तों धोलावीरा कच्छ यात्रा का यह आखिरी भाग हैं जिसमें मैंने धोलावीरा से अमरापुर गांव फिर छिप्पर पुवाईट को देखने के बाद कच्छ के रण को देखकर अपनी यात्रा पूर्ण की । छिप्पर पुवाईट के बाद अमरापुर में मोटरसाइकिल को पंचर लगाकर हम वापिस रापर की ओर बढ़ने लगे । अमरापुर से पांच किलोमीटर बाद सड़क की दोनों तरफ आपको कच्छ का सफेद रण दिखाई देगा । धोलावीरा , अमरापुर , फौसिल पार्क आदि जगह एक टापू में मौजूद हैं । इस टापू को खादिर बेट कहा जाता है । खादिर बेट को चारों तरफ से कच्छ के विशाल रण ने घेरा हुआ है। जब आप धोलावीरा जायोगे तो रापर से 55 किमी दूर , अमरापुर गांव से 5 किमी पहले कच्छ के रण को पार करने के बाद ही आप खादिर बेट में प्रवेश करोगे। हमने धोलावीरा से रापर वापिस आते हुए कच्छ के रण को घूमा। सड़क के दोनों तरफ आपको सफेद रण का अद्भुत नजारा दिखाई देगा। सड़क के एक तरफ दो वियू पुवाईट बने हुए हैं। हमने भी सड़क से साईड में उतरने के बाद वियू पुवाईट के सामने मोटरसाइकिल को लगा दिया । फिर हम कच्छ के रण में नीचे उतर गए। पहले मैं सोच रहा था शायद पानी भी हो लेकिन सतह बिल्कुल ठोस और सफेद थी। हर तरफ सफेद चादर बिछी हुई थी जैसे पहाड़ियों पर ताजी बर्फ पड़ी हो। बहुत अद्भुत नजारा था , ऐसा लग रहा था जैसे चांद की सतह पर चल रहा हूँ। कुछ कदम तक कच्छ के सफेद रण पर पैदल चला । कुछ फोटोज खींचे और छोटी सी वीडियो भी बनाई । बहुत ही आनंद आ रहा था कयोंकि मैं दुनिया की भीड़भाड़ से दूर कच्छ के सफेद रण को घूम रहा था ।
#कच्छ_का_रण
दोस्तों कच्छ का विशाल रण गुजरात के कच्छ जिले में 7500 किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। रण का अर्थ होता हैं मारूथल । रण असल में नमक का मारूथल हैं । भारत में आपको तीन तरह के मारूथल देखने के लिए मिलेंगे ।
1. ठंडा मारूथल ( लेह , लद्दाख , सपिती घाटी )
2. गर्म मारूथल ( थार मारूथल ) राजस्थान के बीकानेर , जैसलमेर, बाड़मेर आदि ।
3. नमक का मारूथल ( कच्छ का रण ) गुजरात ।
कच्छ का रण दुनिया का सबसे बड़ा नमक का मारूथल है। इसमें समुद्र का पानी आ जाता हैं फिर धीरे धीरे धूप से सूख जाता है लेकिन नमक नीचे रह जाता हैं ।यहां जमीन पर नमक की एक सफेद ठोस सतह बन जाती हैं जिसे हम कच्छ का सफेद रण कहते हैं। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। कच्छ में आपको बहुत सारे करोड़ों साल पुराने फौसिल भी मिलते हैं। कच्छ में देखने के लिए बहुत कुछ है , सच ही कहते है कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा । मैं कच्छ में दो बार जा आया हूँ , तीसरी बार सरदियों में रण उतसव देखने जायूंगा । कच्छ के रण को देखकर हम रापर पहुंच गए। रापर से मोटरसाइकिल चलाते हुए मोरबी, वांकानेर होते हुए हम वापिस राजकोट आ गए । इस तरह मैंने अपनी हडप्पा के महानगर धोलावीरा की यात्रा को समाप्त किया। धोलावीरा कच्छ का एक खूबसूरत जगह हैं जो आफबीट डैसटीनेशन में आती है।
![Photo of Dholavira by Dr. Yadwinder Singh](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1609956/SpotDocument/1654652632_1654652632498.jpg.webp)
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