ताज़ा सूचनाओं में वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है कि हिमालय क्षेत्र में एक तीव्र भूकंप के होने की सम्भावना है जिसका रिक्टर स्केल पर 8.5 या इससे ज़्यादा माप हो सकता है। हाल ही में किए गए एक स्टडी के अनुसार इस जानलेवा भूकंप का केंद्र मध्य हिमालय होगा और यह निकट भविष्य में कभी भी हो सकता है और भारी तबाही ला सकता है। अपनी तीव्रता के कारण यह भूकंप लाखों लोगों के जान-माल को नुकसान पहुँचाने कि क्षमता रखता है।
रिक्टर स्केल पर 8.1 की तीव्रता वाले ऐसे ही एक भूकंप ने नेपाल में वर्ष 2015 में 9000 लोगों की जान ले ली थी। वर्ष 2001 में 7.7 की तीव्रता वाले भूकंप ने गुजरात में 13000 से ज़्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था।
यह स्टडी क्या कहती है?
यह स्टडी भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और गूगल अर्थ द्वारा जारी किए गए भूगर्भीय तथ्यों और मानचित्रों एवं स्पेस एजेंसी इसरो के कार्टोसैट-1 सैटलाइट से प्राप्त तस्वीरों पर आधारित है।
इस स्टडी को कर रहे रिसर्चर्स के अनुसार मध्य हिमालयी क्षेत्र ने 14वीं या 15वीं शताब्दी में इससे भी प्रलयंकारी भूकंप देख रखा है। उनका दावा है कि वर्ष 1315 और 1440 के बीच में यहाँ एक बहुत विनाशकारी भूकंप हुआ था।
इस भूकंप ने धरती पर 600किमी लम्बी एक गहरी दरार बना दी थी जो कि दिल्ली और लखनऊ के बीच की दूरी से भी ज़्यादा है।
हालाँकि मध्य हिमालयी क्षेत्र में बीते वर्षों में कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा नहीं आई है पर यह क्षेत्र हमेशा कम तीव्रता वाले भूकंप के झटके अनुभव करता रहता है।
"हिमालय के इस क्षेत्र में एक 8.5 या इससे ज़्यादा की तीव्रता वाला भूकंप अपेक्षित है चूँकि यह लम्बे समय से नहीं हुआ", मुख्य शोधकर्ता, सी पी राजेंद्रन ने आईएएनएस को बताया।
पूर्व चेतावनी
यह पहली बार नहीं है जब वैज्ञानिकों ने भूकंप के बारे में लोगों को चेता है, पिछले वर्ष भी वैज्ञानिकों के एक समूह ने राज्य सरकार को उत्तराखंड की आधारभूत संरचना को भूकंप प्रतिरोधी बनाने की माँग की थी।
उत्तराखंड आपदा शमन एवं प्रबंधन केंद्र के प्रमुख पीयूष रौटेला ने भी संकेत दिया है कि एक बड़ा भूकंप इस क्षेत्र में काफ़ी समय से अपेक्षित है। उनके अनुसार लगातार हो रही छोटी कम्पंने इसी का संकेत देती हैं।
"लगातार हो रहे इन कम तीव्रता वाले झटकों को आम घटना मान कर नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए बल्कि हमें इन्हें एक बड़े भूकंप का सूचक मानना चाहिए जो लम्बे समय से हिमाचल प्रदेश को घेरे मध्य हिमालयी भूकम्पीय क्षेत्र में बकाया है।"
इस भूकंप के बारे में कई शोधकर्ता और वैज्ञानिक काफ़ी बार आगाह कर चुके हैं। वर्ष 2016 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोलोराडो बोल्डर्स के भूगर्भीय विज्ञान विभाग ने एक स्टडी में मध्य हिमालय में बढ़ते हुए तनाव के बारे में बताया था जो कि नेपाल के 2015 के भूकंप में भी निकल नहीं पाया था।
रॉजर बिल्हम, यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोलोराडो के एक अमेरिकी भूभौतिक विज्ञानी, जिनके किए गए शोध हिमालयी क्षेत्रों में भूकंप की जानकारी का आधार बने हैं, भारतीय शोधकर्ताओं के इन जाँच-परिणामों का पूरी तरह से समर्थन करते हैं।
"वे निर्विवादित रूप से सही हैं जब वे ये अनुमान कर रहे हैं कि अभी एक बड़ा भूकंप हो सकता है जिसकी तीव्रता 8.5 होगी।" उन्होंने कहा
पर्यटकों को चेतावनी!
जबकि इस नई खोज पर कोई भी आधिकारिक चेतावनी नहीं दी गई है, ये बेहतर होगा कि इस क्षेत्र में कुछ समय के लिए पर्यटन न किया जाए।
हिमालय पर्वत पर्यटन के लिए एक विशेष क्षेत्र है जो अंतहीन रोमांच और अद्वितीय खूबसूरती की पेशकश रखता है। जबकि यहाँ के सुन्दर बर्फ लदे पर्वतों के आकर्षण से बच पाना तक़रीबन नामुमकिन है, यह सुनिश्चित कर लें कि आप भूकंप की इन सूचनाओं को अनदेखा नहीं कर रहे हैं और सोच समझ कर ही यहाँ का पर्यटन करें।
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