छठवां दिन - श्रीनगर से द्रास - 157 km
लद्दाख यात्रा का छठवां दिन हमारा शुरू हुआ श्रीनगर के मशहूर लाल चौक को देखते हुए | श्रीनगर से जैसे ही हम सोनमर्ग की तरफ बढ़े हमारे साथ में सिंध नदी हाईवे के किनारे चल रही थी| सिंध नदी के किनारे बने एक खूबसूरत छोटे से ढाबे में हमने गरमा गरम पकोड़े खाए| नदी किनारे जाकर नदी के ठंडे ठंडे पानी से अपने हाथ और मुंह धोना यही ऐसे एक्सपीरियंस होते हैं जिनके लिए हम इतनी लंबी यात्राएं करते हैं|
इसके बाद हमने सोनमर्ग को पार किया और बढ़ चले जोजिला पास की तरफ जो हमारी इस यात्रा का पहला हाई पास होने वाला था| जोजिला पास पहुंचते ही मम्मी की चेहरे की खुशी देखने लायक थी| यह दूसरी बार था जब मम्मी जोजिला पास पर पहुंची थी | 2018 में मैंने और मम्मी ने लद्दाख का टूर किया था और यह हमारा दूसरा टूर था| हमेशा यह कहा जाता है कि हाईपास पर हमें ज्यादा देर तक नहीं रुकना चाहिए लेकिन ना ना करते हुए भी हम जोजिला पास की खूबसूरती निहारते रहे और तकरीबन 1 घंटे तक वहां रहे| जोजिला पास क्रॉस करने के बाद थोड़ा सा और आगे जाकर लद्दाख का बॉर्डर आ जाता है|
लद्दाख का बॉर्डर पार करते ही वहां पर कुछ टेंट लगे थे जहां पर सभी टूरिस्ट का एंटीजन टेस्ट हो रहा था | मेरा और मम्मी हम दोनों का एंटीजन टेस्ट हुआ हालांकि यह सिर्फ एक खानापूर्ति ही थी क्योंकि हमें कोई भी रिपोर्ट नहीं दी गई|
आज का हमारा अगला पॉइंट था कारगिल युद्ध स्मारक| कारगिल युद्ध में शहीद हुए भारतीय फौजियों की याद में स्मारक को बनाया गया है | द्रास की पहाड़ियों के बिल्कुल सामने बना युद्ध स्मारक और उसमें बुलंदी के साथ लहराता हुआ हमारे देश का तिरंगा दृश्य अद्भुत था| देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हमने लगभग 2 घंटे स्मारक में बिताए और उसके बाद द्रास के एक होमस्टे में अपना आज का दिन खत्म किया|