लद्दाख की सबसे लोकप्रिय मोनेस्ट्रीज, इनको देखे बिना है यात्रा अधूरी

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Photo of लद्दाख की सबसे लोकप्रिय मोनेस्ट्रीज, इनको देखे बिना है यात्रा अधूरी by Rishabh Dev

पहाड़ अपने आप में एक अलग दुनिया होते हैं। शांत खड़े पहाड़ अपने में बहुत कुछ समेटे रहते हैं। इन पहाड़ों से गुजरती हैं जीवनदायिनी नदियाँ। जंगल और खूबसूरत झरने भी इन पहाड़ों की ही देन हैं। हम इन्हीं सुंदर पहाड़ों को देखने के लिए बार-बार पहाड़ों की तरफ़ जाते हैं। भारत में वैसे तो कई पहाड़ी राज्य हैं लेकिन लद्दाख उन सबमें सबसे निराला है। लद्दाख पहाड़ों के अलावा अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए भी जाना जाता है। आपको लद्दाख के कल्चर और धर्म को अच्छे से जानना है तो आपको यहाँ की मोनेस्ट्रीज की सैर करनी चाहिए। हम आपको लद्दाख की मोनेस्ट्रीज के बारे में बताने जा रहे हैं। जब भी लद्दाख जाएँ तो इन मोनेस्ट्रीज को देखना ना भूलें।

लद्दाख की चुनिंदा मोनेस्ट्रीज:

1- थिकसे मोनेस्ट्री

थिकसे मोनेस्ट्री लद्दाख में एक प्रमुख स्थल है। थिकसे मोनेस्ट्री लेह शहर से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इसे खर्चूंग गोंपा के रूप में भी जाना जाता है।थिकसे मोनेस्ट्री एक बड़ा और खूबसूरत काम्प्लेक्स है। लद्दाख के आस-पास के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेने के लिए ये जगह विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह मोनेस्ट्री तिब्बती बौद्ध धरोहर, कला, और संस्कृति के लिए भी जानी जाती है। थिकसे मोनेस्ट्री पांच मंजिल की है और इसमें बौद्ध स्तूप, धरोहर कक्ष, पूजा कक्ष, पुस्तकालय और धर्मशाला शामिल हैं। यहां एक बुद्ध की विशाल मूर्ति है जिसे आप देख सकते हैं।

2- शे मोनेस्ट्री

शे मोनोस्ट्री को शेह महल के नाम से भी जाना जाता है। शे महल शे गाँव की पहाड़ी पर स्थित है। पुराने समय में शे गाँव लद्दाख की राजधानी हुआ करता था। शे मोनेस्ट्री लेह शहर से लगभग 15 किमी. की दूरी पर स्थित है। शे महल का निर्माण 1655 ई० में डेल्डन नामग्याल द्वारा करवाया गया था जो सिंगे नामग्याल के पुत्र थे। इस महल को ल्हाचेन पालजीगॉन के नाम से भी जाना जाता है। शे महल के अंदर एक शेय मठ भी बनवाया गया है जिसका निर्माण 1655 ई० में करवाया गया था। इस मठ को भी डेल्डन नामग्याल ने अपने पिता स्व० सिंगे नामग्याल की याद में डेल्थन नामग्याल के निर्देश पर बनवाया था।

3- हेमिस मठ

लेह शहर से हेमिस लगभग 40 किमी. की दूरी पर है। लद्दाख में मौजूद हेमिस मठ ज्यादा बड़ा नहीं है लेकिन यह निश्चित रूप से भारत का सबसे पुराना मठ है। ऐसा कहा जाता है कि मठ 11वीं शताब्दी से अस्तित्व में था और 1652 में फिर से इसे स्थापित किया गया था। मठ प्रसिद्ध और प्राचीन अवशेषों और पवित्र थांगकाओं का घर है। जून-जुलाई में हर साल यहां वार्षिक हेमिस महोत्सव आयोजित किया जाता है। इस उत्सव के दौरान पर्यटक मठ में रह सकते हैं और नकाबपोश नृत्य उत्सव का आनंद ले सकते हैं। उस दौरान आर हेमिस मोनेस्ट्री की सुंदरता को और अच्छे से जान पाएँगे।

4- अलची मोनेस्ट्री

अलची मोनेस्ट्री लद्दाख में एक प्रमुख बौद्ध स्थल है। यह लद्दाख घाटी के दक्षिणी हिस्से में स्थित है और लेह से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर है। अलची मोनेस्ट्री को लद्दाख के सबसे प्राचीन गोम्पा में से एक माना जाता है और इसका संबंध भारतीय बौद्ध विरासत से है। इस मोनेस्ट्री को पृथ्वीराज राजा ने 11वीं सदी में बनवाया था। अलची मोनेस्ट्री तीन मंजिली है और इसमें बौद्ध स्तूप, धरोहर कक्ष, पूजा कक्ष, पुस्तकालय और धर्मशाला शामिल हैं। अलची मोनेस्ट्री का सौंदर्यिक दृश्य, शांति, और धार्मिक विषयों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए लद्दाख यात्रा के दौरान एक शानदार जगह है।

5- मुलबेख मठ

मुलबेख मठ लद्दाख का बेहद शानदार मठ है। मठ बिल्कुल हाइवे के किनारे ही एक सीधी खड़ी चट्टान पर बना है जो सड़क से करीब 650 फीट ऊंची है। वास्तव में यहां दो मठ हैं पहला, दरुकपा या रेड हेट संप्रदाय और दूसरा, गेलुगपा या येलो हैट संप्रदाय से जुड़ा है। मुलबेख मठ का प्रसिद्ध होने का प्रमुख कारण 30 फीट ऊंची मैत्रेय बुद्ध या भविष्य के बुद्ध की प्रतिमा है। जिस चट्टान पर मठ बना है वो उसके ऊपर चूना पत्थर की चट्टान से बनी मूर्ति है। चट्टान के पास स्थित सूचना बोर्ड के मुताबिक इस मूर्ति का निर्माण पहली सदी में कुषाण काल के दौरान हुआ था। भविष्य के बुद्ध की मूर्ति को चंबा भी कहा जाता है इसी कारण इस मठ को प्राय मलबेख चंबा भी कहते है।

6- स्टकना मोनेस्ट्री

स्टकना मठ लद्दाख घाटी में एक प्रसिद्ध बौद्ध स्थल है। यह मोनेस्ट्री लद्दाख के लेह शहर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। स्टकना मठ को 16वीं सदी में नासिरुद्दीन बुद्धि ने स्थापित किया था। स्टकना मठ का नाम "स्टकना" उस समय से आता है जब एक स्वर्गीय बोन बुद्धि योगी वहां पर अपने ध्यानासन में बैठे थे। "स्टकना" शब्द तिब्बती भाषा में "तिकटा" का समानार्थी है, जो बस्तियों या ध्यानासनों के लिए इस्तेमाल होता है।स्टकना मठ के विशाल मैन शाला में धर्मिक अद्भुत चित्रों का भंडार है, जिनमें बौद्ध मंदिर और पूजा कक्ष शामिल हैं। मोनेस्ट्री में आप अद्भुत चौरासी बौद्ध धरोहर में से कुछ देख सकते हैं। स्टकना मठ लद्दाख के धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर के लिए एक शानदार स्थान है और यह लद्दाख यात्रा में आने वाले पर्यटकों को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव का एक अद्भुत अवसर प्रदान करता है।

7- डिस्किट मठ

डिस्किट नुब्रा घाटी का प्रशासनिक केंद्र है और यह प्राचीन मठों के लिए लोकप्रिय है। 14वीं शताब्दी के इस मठ को नुब्रा घाटी में सबसे बड़ा और सबसे पुराना मठ माना जाता है। इसे डिस्कॉम गोम्पा के रूप में भी जाना जाता है। मठ का सबसे प्रमुख आकर्षण विशाल मैत्रेय बुद्ध की प्रतिमा है जो इसके शीर्ष में मौजूद है। इसका उद्घाटन दलाई लामा ने किया था। प्रतिमा के पास से नुब्रा घाटी का भव्य मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। मठ की स्थापना 14वीं शताब्दी में चांगजेन त्सेरब ज़ंगपो ने की थी और यह श्योक नदी के मैदान के ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित है। अगली बार लद्दाख जाएँ तो इन मोनेस्ट्रीज को देखना बिल्कुल ना भूलें।

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