उड़ीसा भारत के उन राज्यों में से एक है जिसको कम एक्सप्लोर किया गया है। उड़ीसा अपने प्राचीन मंदिरों, खूबसूरत समुद्र तट, तटीय शहर-कस्बे, सुंदर गाँव, ऐतिहासिक जगहें, कला, घने जंगल और मंत्रमुग्ध करने वाले झरनों के लिए जाना जाता है। उड़ीसा कुछ जगहें बहुत लोकप्रिय हैं जिनमें भुबनेश्वर, कोणार्क और पुरी शामिल है। वहीं उड़ीसा की कुछ जगहों के बारे में लोगों को कम पता है। आइए आज आपको बताते हैं कि आप उड़ीसा को 7 दिन में कैसे घूम सकते हैं और उड़ीसा की किन जगहों पर जा सकते हैं।
उड़ीसा भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक शानदार राज्य है। उड़ीसा के उत्तर के झारखंड, उत्तर पूर्व में पश्चिम बंगाल, दक्षिण में आंध्र प्रदेश, पश्चिम में छत्तीसगढ़ और पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। उड़ीसा का प्राचीन नाम कलिंग है, जिस पर 261 ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक ने आक्रमण किया था। आइए आज उसी ऐतिहासिक राष्ट्र उड़ीसा की सैर पर चलते हैं।
दिन 1: भुबनेश्वर
सबसे पहले उड़ीसा की राजधानी भुबनेश्वर पहुँचे। आप भुबनेश्वर फ़्लाइट और ट्रेन किसी भी आ सकते हैं। भुबनेश्वर पहुँचने के बाद अपने होटल में चेक इन कीजिए। इसके बाद कुछ देर आराम करने के बाद भुबनेश्वर शहर को घूमने के लिए निकल पड़िए। भुबनेश्वर में आप खंडागिरी उदयगिरी की गुफाएँ जा सकते हैं। इसके अलावा केदार गौरी मंदिर, लिंगराज मंदिर और साई बाबा मंदिर भी ज़रूर जाना चाहिए। इसके बाद एक बढ़िया रेस्टोरेंट में डिनर कीजिए और फिर वापस अपने होटल में लौट आइए।
दिन 2: भुबनेश्वर - कोणार्क - पुरी
अगले दिन सुबह-सुबह उठिए और नाश्ता करने के बाद कोणार्क के लिए निकल पड़िए। भुबनेश्वर से कोणार्क लगभग 65 किमी. की दूरी पर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर आर्किटेक्चर का एक बेजोड़ नमूना है। 13वीं शताब्दी में बने इस मंदिर को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया गया है। चन्द्रभागा बीच पर कुछ समय बिताने के बाद पुरी के लिए निकल पड़िए। कोणार्क से पुरी लगभग 38 किमी. की दूरी पर है। पुरी पहुँचने के बाद एक होटल में चेक इन करें। थोड़ी देर आराम करने के बाद प्राचीन जगन्नाथ पुरी मंदिर को देखने के लिए निकल पड़िए। जगन्नाथ पुरी को पूरी दुनिया का भगवान कहा जाता है। इसके बाद शाम के समय पुरी के समुद्री तट पर शानदार समय बिताइए और रात को खाना खाने के बाद अपने होटल लौट आइए।
दिन 3: पुरी
पुरी उड़ीसा की सबसे लोकप्रिय जगहों में से एक है। पुरी के लिए आपको एक दिन पूरा रखना ही चाहिए। पुरी में अगले दिन नाश्ता करने के बाद घूमने के लिए निकल पड़िए। पुरी जगन्नाथ मंदिर के अलावा बहुत सारे मंदिर हैं जिनको आप देख सकते हैं। पुरी में आप गौरांग मंदिर, लोकनाथ मंदिर, अस्तशंभू मंदिर, दक्षिणकाली मंदिर और सिद्ध मंदिर को देख सकते हैं। पुरी को मंदिरों को शहर भी कहा जा सकता है। इस शहर का माहौल ही कुछ अलग है, आपको इस धार्मिक नगरी में घूमकर मज़ा आएगा।
दिन 4: पुरी - चिल्का - गोपालपुर
अगले दिन पुरी में नाश्ता करने के बाद चिल्का लेक की तरफ़ बढ़ जाइए। पुरी से चिल्का लेक की दूरी लगभग 105 किमी. है। चिल्का झील भारतीय उपमहाद्वीप में खारे पानी की सबसे बड़ी झील है। यहाँ पर आपको सर्दियों में बड़ी संख्या में माइग्रेट पक्षी देखने को मिलेंगे। एक प्रकार से सर्दियों में चिल्का झील पक्षियों का घर है। चिल्का में कुछ देर गुज़ारने के बाद गोपालपुर की तरफ़ निकल पड़िए। चिल्का लेक से गोपालपुर की दूरी लगभग 90 किमी. है। गोपालपुर अपने शानदार समुद्र तट के लिए जाना जाता है। गोपालपुर में अपनी शानदार शाम को समुद्र तट पर और भी शानदार बनाइए। कुछ देर यहाँ ठहरिए और रात के समय अपने होटल में आराम करने के लिए चले जाइए।
दिन 5: गोपालपुर
बेहद लज़ीज़ नाश्ता करने के बाद अगले दिन गोपालपुर की सड़कों पर घूमने के लिए निकल पड़िए। गोपालपुर में कई सारी शानदार जगहें हैं जिनको आपको ज़रूर देखना चाहिए। आपको गोपालपुर के रूषिकुल्य कछुआ द्वीप को ज़रूर देखना चाहिए। इस आइलैंड पर बड़ी संख्या में कछुओं को देखकर आप हैरान रह जाएँगे। यहाँ पर आप माँ तारा तारिणी मंदिर को भी देख सकते हैं। इसके बाद शाम के समय गोपालपुर के बीच पर समय बिता सकते हैं। रात को आपको गोपालपुर में ही रूकना चाहिए।
दिन 6: गोपालपुर- भुबनेश्वर
अगले दिन गोपालपुर में ब्रेकाफास्ट कीजिए और फिर होटल से चेक आउट कर दीजिए। इसके बाद निकल पड़िए भुबनेश्वर की तरफ़। खोरधा उड़ीसा की एक और शानदार जगह है। गोपालपुर से भुबनेश्वर के रास्ते में खोरधा भी पड़ेगा। खोरधा रूकते हुए भुबनेश्वर पहुँचिए। भुबनेश्वर में सबसे पहले एक होटल में चेक इन करिए और इसके बाद निकल पड़िए भुबनेश्वर को घूमने के लिए। भुबनेश्वर पहुँचने के बाद नंदकानन जू को देखने ज़रूर जाएँ। यहाँ आपको सफ़ेद टाइगर देखने को मिल जाएँगे। इसके बाद शाम के समय आरती में ज़रूर शामिल होने जाएँ।
दिन 7: भुबनेश्वर
भुबनेश्वर में पहले दिन कई सारी जगहों को तो देख ही चुकें होंगे। बाक़ी जगहों को आप इस दिन देख सकते हैं। आप भुबनेश्वर में जंगल सफ़ारी का आनंद लीजिए। इसके बाद अपना सामान कीजिए और ट्रेन या फ़्लाइट से वापसी के लिए निकल पड़िए। इन 7 दिनों में आप पूरे उड़ीसा को तो नहीं घूम सकते लेकिन इन जगहों को घूमकर उड़ीसा को ज़रूर अच्छे से जान पाएँगे।
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