लखनऊ के पास में है ये 7 वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी, यहाँ एक बार जाना तो बनता है

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नवाबों का शहर लखनऊ अपनी तहज़ीब और नज़ाकत के लिए जाना जाता है। लखनऊ को अवध - ए - शान भी कहा जाता है। लखनऊ की पुरानी गलियों में और लोगों की ज़ुबानों से आपको एक प्यारा-सा लखनऊ देखने को मिलेगा। लखनऊ के आसपास भी कई सारी जगहें हैं जो देखने लायक़ हैं। अगर आपको प्रकृति से प्यार है तो लखनऊ की आसपास की वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी को देखने जाना चाहिए। लखनऊ के आसपास कई सारी वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी हैं जिनको एक बार जरूर देखें।

लखनऊ के आसपास वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी:

1- दुधवा नेशनल पार्क

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले में स्थित दुधवा नेशनल पार्क लखनऊ से लगभग 200 किमी. की दूरी पर है। दुधवा नेशनल पार्क कई जानवरों का घर है। इन जानवरों में दलदली हिरण, भौंकने वाले हिरण, सांभर हिरण, रैल, सियार, हॉग हिरण, आलसी भालू और जंगली बिल्ली शामिल है। दुधवा नेशनल पार्क में दुनिया में पाए जाने वाले लगभग आधे बारासिंघा मौजूद हैं। दुधवा नेशनल पार्क में आप जीप सफ़ारी भी कर सकते हैं। दुधवा नेशनल पार्क में सफ़ारी करने का समय सुबह 7:00 बजे से 10:00 बजे और शाम 3:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक रहेगा। वीकेंड पर आप लखनऊ से दुधवा नेशनल पार्क की यात्रा पर जा सकते हैं।

2- किशनपुर वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी

किशनपुर वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी दुधवा टाइगर रिज़र्व का एक हिस्सा हैं। किशनपुर वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी लखीमपुरी खीरी ज़िले के भीरा शहर से 13 किमी. की दूरी पर स्थित है। लखनऊ से किशनपुर वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी की दूरी लगभग 200 किमी. है। कुछ घंटों में आप लखनऊ से किशनपुर वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी आ सकते हैं। किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य मुख्य रूप से बाघ, तेंदुए, अजगर, हिरण, घड़ियाल, जंगली सूअर और दलदली हिरण जैसी प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है। इस अभयारण्य में चीतल, बारासिंघा के झुंड दिखाई देते हैं।

3- कतर्नियाघाट वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी

कतर्नियाघाट वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी लखनऊ से लगभग 200 किमी. की दूरी पर बहराइच ज़िले में स्थित है। कतर्नियाघाट वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी लुप्तप्राय जानवरों की कई प्रजातियों का घर है। अगर आप रोमांच का आनंद लेना चाहते हैं तो आपके लिए कतर्नियाघाट वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी एक अच्छी जगह है। यहाँ पर आपको घड़ियाल, मगरमच्छ, बाघ, गैंडा, डॉल्फ़िन, जंगली खरगोश, हाथी, जैकाल और हिरण जैसे जानवर देखने को मिलेंगे। लखनऊ से कतर्नियाघाट वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी आने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा। यक़ीन मानिए इस सैंक्चुरी में आकर आप निराश नहीं होंगे।

4- पीलीभीत वाइल्डलाफ सैंक्चुरी

पीलीभीत टाइगर रिजर्व उत्तर प्रदेश की सबसे फ़ेमस जगहों में से एक है। पीलीभीत वाइल्डलाफ सैंक्चुरी लखनऊ से लगभग 240 किमी. की दूरी पर स्थित है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व पीलीभीत ज़िले और शाहजहांपुर ज़िले में पड़ता है। पीलीभीत वाइल्डलाफ सैंक्चुरी 800 वर्ग किमी. में फैला हुआ है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व को भारत की कुछ दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों जैसे बाघ, तेंदुआ और दलदल हिरण के संरक्षण के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। पीलीभीत वाइल्डलाफ सैंक्चुरी में आप जीप सफ़ारी का भी आनंद ले सकते हैं। आपको एक बार तो यहाँ ज़रूर आना चाहिए।

5- चंबल वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी

चंबल वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी लखनऊ से लगभग 260 किमी. की दूरी पर स्थित है। चंबल वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी चंबल नदी के किनारे स्थित एक नदी अभयारण्य है। भारत में घड़ियाल और डॉल्फिन देखने के लिए चंबल सैंक्चुरी काफ़ी प्रसिद्ध है। बड़ी संख्या में सैलानी इसे देखने के लिए आते हैं। चंबल नदी देश की सबसे स्वच्छ नदियों में से एक है। भारत में पाए जाने वाली कछुए की 26 प्रजातियों में से चंबल वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी कछुए की 8 प्रजातियों का संरक्षण करता है। यहाँ आप मनमोहक गतिविधियों का आनंद उठा सकते हैं।

6- सुहेलदेव वन्यजीव अभ्यारण्य

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सुहेलदेव वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी बलरामपुर और श्रावस्ती ज़िले में स्थित है व लखनऊ से लगभग से लगभग 200 की दूरी पर है। सुहेलदेव वन्यजीव अभ्यारण्य उत्तर प्रदेश के सबसे प्रमुख वाइल्डलाइस सैंक्चुरी में से एक है। सुहेलदेव वन्यजीव अभ्यारण्य लगभग 452 वर्ग किमी. में फैला हुआ है। यहाँ पर कई सारे जानवर भी हैं, जिनमें प्रमुख रूप में तेंदुआ, भालू, भेड़िया और सियार शामिल हैं। सुहेलदेव वन्यजीव अभ्यारण्य में आपको पक्षियों की सारी प्रजातियाँ देखने को मिल जाएँगी। वीकेंड पर कुछ ही घटों में यहाँ पहुँचकर आप इस जगह को देख सकते हैं।

7- नवाबगंज वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 40 किमी. की दूरी पर स्थित नवाबगंज पक्षी अभ्यारण्य उन्नाव ज़िले में पड़ता है। नवाबगंज बर्ड सैंक्चुरी विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षियों और प्रजातियों का घर है। इस सैंक्चुरी में आप सफ़ेद आइबिस, पेटेंट स्टॉर्क और सारस क्रेन भी शामिल हैं। 2015 में नवाबगंज पक्षी अभ्यारण्य का नाम बदलकर चन्द्रशेखर आज़ाद पक्षी अभ्यारण्य रखा गया। नवाबगंज बर्ड सैंक्चुरी में 250 से अधिक प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों का संरक्षण किया जाता है।

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