भारत विविधताओं से भरा हुआ है। देश के हर राज्य की एक अलग पहचान, संस्कृति और वेशभूषा है। दक्षिण भारत को काफी कल्चर रिच माना जाता है। जब आप यहाँ घूमेंगे तो ये बात आपको समझ भी आएगी। केरल को देवताओं का देश माना जाता है। यहाँ हर त्यौहार एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। केरल के मंदिर देखने लायक हैं और इन मंदिरों में होने वाले उत्सव इस जगह की शोभा बढ़ाते हैं। हम आपको केरल के कुछ ऐसे ही उत्सवों के बारे में बताने जा रहे हैं।
1- अल्पासी उत्सवम
अल्पासी उत्सवम केरल का एक प्रमुख उत्सव है जो तिरुवंतपुरम के पद्मनाभस्वामी मंदिर में मनाया जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित ये मंदिर उन चुनिंदा मंदिरों में से एक है जहाँ भगवान विष्णु की सोने की स्थिति में पूजा की जाती है। अल्पासी उत्सव हर साल अक्टूबर में 9 दिनों तक चलता है। इस उत्सव में हर दिन एक अलग प्रकार का परंपरा निभाई जाती है। जुलूस के साथ शुरू होने वाला ये उत्सव पल्लीवेत्ता की रस्म के साथ खत्म होता है। केरल में इस उत्सव को देखना तो बनता है।
कब: 14 अक्टूबर 2023
कहाँ: पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुवंतपुरम।
2- चेट्टीकुलंगरा केट्टुकाज़्चा
केरल के कई सारे उत्सव हैं जिनके बारे में उत्तर भारत के लोगों को कम पता है। ऐसा ही एक उत्सव है चेट्टीकुलंगरा केट्टुकाच्चा। इस उत्सव में 6 मंदिरों को एक स्वरूप बनाया जाता है और रात के समय ढोल नगाड़ों के साथ जुलूस निकाला जाता है। उस जुलूस का माहौल देखना गजब अनुभव होता है। इस उत्सव को लोग बड़ी खुशी के साथ मनाते हैं। चेट्टीकुलंगरा केट्टुकाज़्चा उत्सव को हर साल सर्दियों में मनाया जाता है।
कब: 25 फरवरी 2023
कहाँ: चेट्टीकुलंगरा देवी मंदिर।
3- गुरुवायुर अनायोत्तम
आपने स्पेन की बुल रेस के बारे में तो सुना होगा, ये उसका भारतीय स्वरूप है। गुरुवायुर अनायोत्तम उत्सव में हाथी के लोग दौड़ते हैं और जीतने वाले को सम्मानित किया जाता है। ये उत्सव थ्रिशूर के गुरुवायुर मंदिर में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण मंदिर में हाथी दौड़ के साथ इस उत्सव की शुरूआत होती है। अगले 6 दिनों तक हर दिन हाथी का जुलूस निकाला जाता है। 10 दिन के इस उत्सव के आखिरी दिन हजारों लोग तालाब में डुबकी लगाते हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने वाले लोग पापों से मुक्त हो जाते हैं।
कब: 3 मार्च 2023
कहाँ: गुरुवायुर मंदिर, थ्रिसूर।
4- अट्टुकल पोंगल
अट्टुकल पोंगल हर साल तिरुवंतपुरम के अट्टुकल मंदिर में मनाया जाने वाला 10 दिनों का उत्सव है। केरल का ये मंदिर भद्रकाली देवी को समर्पित है। इस त्यौहार को महिलाओं की सबसे बड़ी सभी के रूप में जाना जाता है। पहले इस उत्सव में पुरूषों का आना मना था लेकिन अब इस त्यौहार में पूरुष भी शामिल हो सकते हैं। अट्टूकल फेस्टिवल में पारंपरिक पोंगल पकवान तैयार किए जाते हैं। माना जाता है कि अट्टुकल देवी इस उत्सव में शामिल होने वाली महिलाओं की मनोकामनाएँ पूरी करती है।
कब: 07 मार्च, 2023
कहाँ: अट्टुकल भगवती मंदिर, तिरुवंतपुरम।
5- वैकोम अष्टमी
केरल के वैकौम में भगवान शिव को समर्पित वैकोम महादेव मंदिर है। यहाँ पर भगवान शिव को प्यार से वैक्कथप्पन कहा जाता है। माना जाता है इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग त्रेता युग से है। ये मंदिर केरल के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में वाषिकोत्सव के 12वें दिन को वैकाठष्टमी कहा जाता है। इस दिन मंदिर से एक भव्य जुलूस निकाला जाता है। इस जुलूस में पारंपरिक नृत्य, संगीत और भगवान शिव को एक हाथी पर ले जाया जाता है। अगर मौका मिले तो इस उत्सव में जरूर शामिल हों।
कब: 16 नवंबर 2023
कहाँ: वैकोम महादेव मंदिर, वैकोम केरल।
6- थ्रिसूर पूरम
पूरम केरल के सबसे बड़े उत्सव में से एक है जिसे थ्रिसूर पूरम के नाम से भी जाना जाता है। इस उत्सव में सजे थजे 30 हाथियों एक दूसरे के सामने खड़े होते हैं। इससे सुंदर नजारा आपको और कहीं नहीं मिलेगा। उत्सव में शामिल होने वाले लोग पारंपरिक संगीत पर जमकर थिरकते हैं। इस उत्सव में परमेक्कावु देवी मंदिर, थिरुवमबाडी श्री कृष्ण मंदिर और त्रिशूर के वडकुनाथन मंदिर के पीठासीन देवता भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस उत्सव में मंदिरों की एक प्रतियोगिता भी होती है।
कब: 1 मई 2023
कहाँ: वडक्कुन्नथन मंदिर थ्रिसूर।
7- नेनमारा वल्लंगी वेला
केरल के पलक्कड़ जिले में हर साल नेनमारा वल्लंग वेला उत्सव मनाया जाता है। नेम्मारा और वल्लंगी पलक्कड़ जिले के दो पड़ोसी शहर हैं। इस उत्सव में दोनों शहर अपने हाथियों को सजाकर जुलूस निकालते हुए बढ़ते हैं। एक बार जब वे मंदिर पहुँच जाते हैं तो दोनों पक्ष पारंपरिक प्रदर्शन दिखाते हैं और लोग उत्साहवर्धन करते हैं। इस उत्सव में कई पारंपरिक प्रदर्शन देखने को मिलते हैं। अगर आपको केरल की संस्कृति और परंपरा को समझना है तो इस उत्सव में शामिल होना ना भूलें।
कब: अप्रैल 2023
कहाँ: नेल्लिकुलंगारा भगवती मंदिर, नेम्मारा पलक्कड़।
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