#मेरी_कच्छ_भुज_यात्रा
#छिप्पर_पुवाईट
#कच्छ_का_आफबीट_टूरिस्ट_पलेस
#भाग_7
नमस्कार दोस्तों
कच्छ के धोलावीरा यात्रा के इस बार हम यात्रा करेंगे , कच्छ के इस आफबीट और लाजवाब टूरिस्ट पलेस छिप्पर पुवाईट की । गुजराती भाषा में छिप्पर का मतलब होता हैं चट्टान , यहां पर एक पहाड़ी पर पहुंच कर पहाड़ से बाहर की ओर निकली हुई बड़ी चट्टान हैं जिसे छिप्पर पुवाईट कहा जाता हैं। इस छिप्पर ( चट्टान ) पर खड़े होकर टूरिस्ट फोटोशूट करते हैं कयोंकि यहां पर फोटोज बहुत खूबसूरत आती हैं कयोंकि बैकग्राउंड में बहुत गहरी खाई हैं और दूर दूर तक दिखाई देता कच्छ का विशाल रण हैं जो फोटोज की खूबसूरती को चार चांद लगा देता है।
जब मैं धोलावीरा यात्रा पर निकलता तो Nareja Firoj भाई से बात हुई थी फोन पर उन्होंने ही मुझे छिप्पर पुवाईट के बारे में बताया । फिरोज भाई अपनी फेसबुक पर भी टूरिस्टों के साथ छिप्पर पुवाईट की फोटोज डालते रहते थे । मेरे मन में भी था छिप्पर पुवाईट की खूबसूरती को देखू और फोटो खिचवाई जाए यहां पर। धोलावीरा फौसिल पार्क देखने के बाद दोपहर एक बजे के आसपास हम अमरापुर गांव के बाद पांच किलोमीटर रापर की तरफ जाकर एक जगह पर रूके और किसी वयक्ति से छिप्पर पुवाईट के बारे में पूछा ,उसने हमें समझाया आगे एक पुल आएगा वहां से कच्चे रास्ते वाला एक मैदान आऐगा । वहां से सीधे सीधे कच्चे रास्ते पर चलते जाना आप छिप्पर पुवाईट पहुंच जायोगे । यहां से तीन किलोमीटर दूर हैं । हम मोटरसाइकिल लेकर आगे बढ़ गए लेकिन हमें रास्ते का पता नहीं चला , कयोंकि वहां पर छिप्पर पुवाईट का कोई बोर्ड वगैरह नहीं लगा हुआ। सड़क पर कोई नहीं मिला जो हमें रास्ता बता सके । कुछ दूर चलकर हमें सड़क की एक तरफ बिजली घर दिखाई दिया । हमने सोचा बिजली घर में जाते है वहां कोई मदद कर देगा रास्ता बता देगा छिप्पर पुवाईट। बिजली घर पहुंच गए, बिजलीघर के अधिकारी बहुत अच्छे थे , उन्होंने बताया बिजली घर के पीछे एक खुला मैदान हैं , उसके बाद एक कच्चा रास्ता है उसी को पकड़ कर चलो छिप्पर पुवाईट पहुंच जायेंगे। उन्होंने हमें बिजली घर से दूर से दिखाई देती हुई पहाड़ियों को दिखाया जिसमें छिप्पर पुवाईट हैं। उनका धन्यवाद करके हम बिजली घर के पीछे मैदान को पार करते हुए कच्चे रास्ते पर मोटरसाइकिल से चलने लगे। कुछ देर बाद रास्ता ऊंचाई वाला और पत्थरीला हो गया। बडे़ बड़े और छोटे छोटे पत्थर के टुकड़ों वाला लेकिन धीरे धीरे मैं मोटरसाइकिल चलाता रहा। दोपहर का समय था , गर्मी भी बहुत थी लेकिन फिर भी चल रहे थे छिप्पर पुवाईट को ढूंढने । कुछ चढ़ाई चढ़ने के बाद झाडियों के झुंड में कच्चे रास्ते को पार करते हुए हम एक ऊंचे समतल मैदान पर पहुंच गए। अब छिप्पर पुवाईट हमारी आखों के सामने था । पीछे दूर दूर तक दिखाई देता कच्छ का विशाल रण का मैदान था जो एक गहरी घाटी में दिखाई दे रहा था। नजारा बहुत जबरदस्त था । छिप्पर पुवाईट पर कुछ गडरिए भी थे जो अपनी भेड़ बकरी चराने के लिए वहां बैठे थे। उनसे भी हमने बातचीत की। उन्होंने ने बताया झाडियों में बनी हुई पगडण्डी से आप इस पहाड़ी से गहरी घाटी में उतर सकते हो और फिर कच्छ का रण देखकर वापिस आ सकते हो । दो तीन घंटे लगेंगे आने जाने में , लेकिन हमारे पास समय कम था कयोंकि दो बजने वाले थे। छिप्पर पुवाईट पर हमने कुछ फोटोज खिचवाई। कुछ देर तक छिप्पर पुवाईट की बेमिसाल खूबसूरती का आनंद लिया। छिप्पर पुवाईट के बारे में कहीं भी आपको जयादा लिखा हुआ नहीं मिलेगा । यह धोलावीरा के पास घूमने वाली एक आफबीट जगह है जो बहुत लाजवाब हैं । आप जब भी धोलावीरा जाए तो छिप्पर पुवाईट भी जरूर देखकर आना। छिप्पर पुवाईट अमरापुर गांव से 7 किमी , धोलावीरा से 37 किमी और रापर से 60 किमी दूर , रापर - धोलावीरा सड़क से तीन किलोमीटर साईड में हैं । वापसी में जब छिप्पर पुवाईट से रापर वाली रोड़ पर जा रहे थे तो पत्थरीले रास्ते में एक पत्थर से टकराकर मोटरसाइकिल का पिछला टायर पंचर हो गया। दो किमी मोटरसाइकिल पैदल लेकर सड़क पर पहुंच गए । फिर फिरोज भाई को फोन किया उन्होंने अमरापुर गांव में एक बंदे की मदद से मोटरसाइकिल का पंचर लगवाने में मदद की । अमरापुर में फिरोज भाई से मिलकर दुबारा हम फिर अपनी अगली मंजिल के लिए रवाना हो गए।