वेस्ट टू वंडर पार्क, जैसा कि नाम से ही आपको पता चल गया होगा कि बेकार सामानों से अजूबे। इस पार्क में आपको दुनिया के सात अजूबे देखने को मिलेंगे और पार्क का प्रवेश द्वार काफी अच्छा और आकर्षित है। प्रवेश द्वार के बाँए में आपको टिकट घर की सुविधा मिलेगी। रविवार के दिन प्रवेश शुल्क ₹100 है और अन्य दिन ₹50 है। वेस्ट टू वंडर पार्क सोमवार व अन्य सरकारी अवकाश के दिन बन्द रहता है।
वेस्ट टू वंडर पार्क में सातों अजूबो को बेकार लोहे के टुकड़ों से बनाया गया है अर्थात् सातों अजूबे लोहे धातु से बनी है। आपको देखने में यह अजूबे बेशक असल अजूबों की नकल लगे पर जब आप इनको देंखेगे तो आपको यह असल जैसे ही लगेंगे क्योंकि इन सभी अजूबों की संरचना हूबहू असल सात अजूबों जैसी है। पार्क के अंदर प्रवेश करते ही सबसे पहले आपको गीज़ा का महान पिरामिड देखने को मिलेगा।
गीज़ा का महान पिरामिड का निर्माण 2560 वर्ष ईसा पूर्व मिस्र के शासक खुफु के चौथे वंश के द्वारा अपनी कब्र के तौर पर किया था। इसको बनने में 23 साल का लंबा वक्त लगा था। इन पिरामिडो का निर्माण शासक वंश को दफ़नाने के लिए बनाया जाता था और उनके शवों के साथ खाद्य पदार्थ, पेयजल, धातु, सोना-चाँदी, वस्त्र, पालतू व प्रिय जानवर, व कभी-कभी उनके प्रिय दास/दासियो को भी शवों के साथ दफ़नाया जाता था क्योंकि उन दिनों वहाँ के लोगों का यह मानना था कि यह सभी वस्तुएँ इनके काम आएगी और इन शवों को ममी कहा जाता है। गीज़ा के महान पिरामिड की ऊँचाई 450 फीट है। अद्भुत बात तो यह है कि उन समय ना तो कोई टेक्नॉलिजी थी और ना ही गणितीय व खगोलीय विद्या का अर्जन था तो कैसे 23 साल में 450 फीट ऊँचा चौकोरीय पिरामिड का निर्माण कर दिया?
गीज़ा का महान पिरामिड के बाद आपको वेस्ट टू वंडर पार्क में पीसा की झुकी मिनार देखने को मिलेगी।
पीसा की झुकी मिनार को 'लीनिंग टॉवर ऑफ़ पीसा' भी कहा जाता है। पीसा की ये झुकी मिनार इटली में स्थित है। इस मिनार का निर्माण सन् 1173 में आरंभ हुआ था और सना 1372 में समाप्त हुआ तो इस हिसाब से पीसा की मिनार को बनने में पूरे 200 साल लगे। पीसा के मिनार की ऊँचाई 183 फीट है और यह ऊध्वार्धर से 4 डिग्री झुकी हुई है। पीसा की मिनार में काले संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है और इसमें 8 मंज़िले हैं। पीसा की मिनार का झुका होना कोई सोची-समझी रचना नहीं थी बल्कि बनने के उपरांत यह मिनार धीरे-धीरे झुकने लगी और इसी कारण यह दुनिया के सात अजूबों में शामिल हो गया।
पीसा की झुकी मिनार के बाद अब आपको वेस्ट टू वंडर पार्क में एफ़िल टॉवर देखने को मिलेगा।
एफ़िल टॉवर फ्रांस की राजधानी पैरिस में स्थित एक लौह टॉवर है। एफ़िल टॉवर का निर्माण सन् 1887 में आरंभ हुआ था और सन् 1889 में निर्माण समाप्त हुआ। एफ़िल टॉवर को बनने में कुल समय 2 साल 2 महीने 5 दिन लगे। एफ़िल टॉवर की कुल ऊँचाई 324 मीटर है और इसमें 3 मंज़िले है। एफ़िल टॉवर की रचना गुइस्ताव एफ़िल ने की था तथा टॉवर का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया है।
दरअसल फ्रांस सरकार वैश्विक मेले में एक प्रवेश द्वार के लिए एक टॉवर बनाना चाहती थी, तब करीब 100 से ज़्यादा अभियंता को इसका डिज़ाइन तैयार करने का कार्य दिया गया पर गुइस्ताव एफ़िल का डिजाइन टॉवर के लिए चयनित हुआ। टॉवर को पूरा लोहे धातु से बनाया गया है तथा चारों ओर से यह टॉवर 'A' तरह से दिखाई देता है और इन चार दिशाओं को उत्तर स्तंभ, दक्षिण स्तंभ, पूरब स्तंभ और पश्चिम स्तंभ। एफ़िल टॉवर पर 3 मंज़िले है तथा टॉवर पर चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ और लिफ्ट दोनों चीजों की व्यवस्था है, जिससे ऊपर से बाकी पैरिस की इमारतें भी देखी जा सके। साथ ही, एफ़िल टॉवर पर खान-पान के लिए रेस्तरां का भी प्रबंध है। प्रत्येक वर्ष यहाँ पर पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है तथा सबसे ज़्यादा महँगा पर्यटक स्थल है और पर्यटकों के प्रवेश के लिए यह 365 दिन खुला रहता है।
एफ़िल टॉवर के बाद आपको वेस्ट टू वंडर पार्क में कोलोसियम का दृश्य देखने को मिलेगा।
कोलोसियम इटली देश के एक राज्य रोम में स्थित है। कोलोसियम लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है एलिप्टिकल एम्पीथिएटर। इस एलिप्टिकल एम्पीथिएटर का निर्माण शासक वेस्पियन ने 70वीं-72वीं ईस्वी के मध्य प्रारंभ किया और 80वीं ईस्वी में इसको सम्राट टाइटस ने पूरा किया। 81 और 96 के बीच इसमें डोमिशियन के शासन में कुछ परिवर्तन करवाए गए। अंडाकार कोलोसियम की क्षमता 50,000 है अर्थात् एक वक्त में 50,000 लोग प्रदर्शन का लुत्फ उठा सकते हैं जोकि उस ज़माने की अपेक्षा काफी अधिक थी। इस भवन में मात्र मनोरंजन के लिए ख़ूनी युद्ध हुआ करते थे। कभी-कभी तो मनुष्यों को बाघ जैसे ख़तरनाक जानवरों से भी युद्ध करना पड़ता था और इसी युद्ध के कारण कहा जाता है कि 5 लाख पशुओं और 10 लाख मनुष्यों की मृत्यु हो गई थी। इस भवन में पौराणिक कथाओं के आधार पर नाटक भी खेले जाते थे। पूरे वर्ष में दो बार भव्य आयोजन होते थे और रोमनवासी इन खेलो को बहुत पसंद करते थे। आज 21वीं सदी में भूकंप और पत्थर चोरी होने के कारण यह केवल एक खंडहर बनकर रह गया लेकिन पर्यटकों के लिए इसे सजा-सँवारकर एक पर्यटक स्थल बन गया है।
कोलोसियम के बाद वेस्ट टू वंडर पार्क में आपको क्राइस्ट द रिडीमर का दृश्य देखने को मिलेगा।
क्राइस्ट द रिडीमर ब्राज़ील के रियो-डी-जेनेरो में स्थापित ईसा मसीह की एक विशाल प्रतिमा है, जिसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैचू माना जाता है। इस प्रतिमा का आधार 31 फ़ीट है तथा लम्बाई 130 फ़ीट व चौड़ाई 98 फ़ीट है। इस प्रतिमा का वज़न 635 टन है और तिजुका फॉरेस्ट नेशनल पार्क में कोर्कोवाडो पर्वत की चोटी पर स्थित है (2300 फ़ीट), जहाँ से पूरा शहर दिखाई देता है। ईसाई धर्म के एक प्रतीक के रूप में यह प्रतिमा ब्राज़ील और रियो की एक पहचान बन गयी है। यह मज़बूत कांक्रीट और सोपस्टोन से बनी है और इसका निर्माण 1922 से 1931 के बीच किया गया है।
स्थानीय इंजीनियर हीटर डा सिल्वा कोस्टा ने प्रतिमा को रूपांकित किया तथा प्रतिमा का ढ़ाँचा फ्रांसीसी मूर्तिकार पॉल लैंडोव्स्की द्वारा तैयार किया गया है।
क्राइस्ट द रिडीमर के बाद वेस्ट टू वंडर पार्क में आपको स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी का दृश्य देखने को मिलेगा।स्टेचू ऑफ लिबर्टी अमेरिका की राजधानी न्यूयॉर्क हार्बर में स्थित एक विशाल मूर्ति है।
ताँबे की यह मूर्ति 151 फ़ीट लंबी है, लेकिन चौकी और आधारशिला मिलाकर यह 305 फ़ीट ऊँची है अर्थात इस मूर्ति की आधार से लेकर शीर्ष तक की कुल ऊँचाई 305 फ़ीट है। इस मूर्ति में कुल 22 मंजिल है तथा मूर्ति के ताज तक पहुँचने के लिए 354 घुमावदार सीढ़ियाँ बनी हुई है। अमेरिकन क्रांति के दौरान अमेरिका और फ्रांस की दोस्ती के प्रतीक के रूप में यह ताँबे की मूर्ति फ्रांस ने 1886 में अमेरिका को दी थी। 2010 की गणना के अनुसार रोज़ाना इस मूर्ति को देखने 12 से 14 हज़ार पर्यटक आते है।
स्टेचू ऑफ लिबर्टी, एक लिबर्टी की आकृति है जोकि एक रोमन देवी है। मूर्ति के दाहिने हाथ में एक मशाल रहती है और बाएँ हाथ में एक किताब है, जिसपर "JULY IV MDCCLXXVI" (4 जुलाई, 1776) लिखा है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वतंत्रता की घोषणा है।
स्टेचू ऑफ लिबर्टी के बाद वेस्ट टू वंडर पार्क में आपको ताज महल का दृश्य देखने को मिलेगा।
ताज महल भारत देश के एक राज्य उत्तर प्रदेश के एक शहर आगरा में स्थित है। ताज महल का निर्माण मुगल शासक शाहजहाँ ने अपनी बेग़म मुमताज की याद में बनवाया था इसीलिए इसे 'प्यार का प्रतीक' माना जाता है। ताज महल को बनाने में सफ़ेद संगमरमर ईंटों का इस्तेमाल किया गया है। ताज महल का निर्माण कार्य 1632 से 1653 तक चला मतलब ताज महल को बनने में कुल 22 वर्ष लगे। ताज महल मुग़ल वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। ताज महल विभिन्न वास्तुकलाओं का मिश्रण है। ताज महल बनाने में फ़ारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला का मिश्रण है। सन् 1983 में ताज महल को यूनेस्को ने 'विश्व धरोहर स्थल' बनाया। ताज महल का रूपांकन उस्ताद अहमद लाहौरी ने किया था। ताज महल में आपको चार बाग शैली देखने को मिलती है वैसी ही चार बाग शैली वेस्ट टू वंडर पार्क में भी है। भारत में चार बाग शैली का चलन मुगल वंश के संस्थापक बाबर लेकर आए थे। चार बाग शैली फारसी बाग शैली की नकल है। मुग़लों की लगभग सभी मकबरो में चार बाग शैलियों का निर्माण किया गया है। सभी मकबरों में चार बाग शैली मकबरो के केन्द्र में बनाया जाता था लेकिन केवल ताज महल में ही चार बाग को मकबरे के समाप्ति में लगाया गया है। प्रत्येक वर्ष ताज महल को देखने लगभग 2,00,000 पर्यटक आते है और अधिकतर विदेशी पर्यटकों की संख्या है।
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