भारत में बैकपैकिंग की बढ़ती लोकप्रियता की क्या है वजह? जानिए यहाँ

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आजकल भारत में बैकपैकिंग का जादू सबसे सिर पर चढ़कर बोल रहा है। हर कोई कंधे पर बैग लटकाकर बस भटकने निकल जाना चाहता है। फिर चाहे कोई 16 साल का नौजवान हो या 60 साल का कोई व्यक्ति। हर किसी पर घुमक्कड़ी का कुछ ऐसा नशा हुआ है कि अब सबको नई जगह एक्सप्लोर करने की भूख लग गई है। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि जब घूमने के तमाम अन्य तरीके भी हैं तो हर दूसरा व्यक्ति बैकपैकिंग को अपना साथी क्यों चुन रहा है? भारत और बैकपैकिंग का ऐसा क्या संबंध है कि सब लोग इसी तरीके से घुमक्कड़ी का स्वाद चखना चाहते हैं? अगर आप पहले बैकपैकिंग कर चुके हैं तो आप इस सवाल का जवाब बखूबी जानते होंगे। लेकिन यदि आपने अबतक मुसाफिरी का मजा प्लेन की एसी टिकट लेकर लिया है तो आपको भारत में बैकपैकिंग के जुनून को जरूर समझना चाहिए।

1. कम बजट

अगर दुनिया की बाकी जगहों से तुलना की जाए तो भारत में बैकपैकिंग करना सबसे किफायती और मजेदार अनुभव माना जाता है। ऐसा केवल हमारा मानना नहीं हैं बल्कि ऐसा भारत में बैकपैकिंग करने वाले हर घुमक्कड़ का कहना है। भारत वो देश है जहाँ आप कम से कम बजट में भी घूमने का मजा ले सकते हैं। यहाँ घूमने, खाने और रहने के लिए आपको बेहद सस्ते दामों में भी चीजें मिल जाएंगी जिससे आप काफी पैसे बचा सकते हैं। अगर आप दिन के 500 रुपए भी बजट मानकर चलते हैं तो आप उसमें भी घुमक्कड़ी का आनंद ले सकते हैं। घुमक्कड़ी में सस्ती चीजों से दोस्ती करने में कोई बुराई नहीं है। आखिरकार इन्हीं छोटी-छोटी चीजों में पैसे बचाकर क्या पता आप एक और नई जगह घूमने के लिए तैयार हो जाएँ।

2. अनुभवों का पिटारा

हिमालय पहाड़ों में ट्रेक करने से लेकर केरल के बैकवॉटर्स में बोटिंग करने तक। राजस्थान के रेगिस्तानों में कैंप करने से लेकर मेघालय के लिविंग रूट ब्रिज पर चलने तक। भारत में हर जगह आपको कुछ नया एक्सपीरियंस करने के लिए मिलेगा। क्योंकि आप बैकपैकिंग करते हुए घुमक्कड़ी का मजा ले रहे होंगे इसलिए आपके लिए नए और विचित्र अनुभवों की कमी नहीं होगी। पैसे बचाने के लिए कभी आपको ट्रेन के जनरल डब्बे में सफर करना होगा तो कभी बसों का सहारा लेना होगा। ऐसी जगहों पर आपको अलग-अलग लोगों से बातचीत करने का मौका भी मिलेगा। इससे आप सफर करते हुए भी अलग-अलग कल्चर के बारे में जान सकते हैं। यकीन मानिए भारत के हर हिस्से में आपको कुछ ना कुछ नया सीखने के लिए मिलेगा।

3. मुसाफिर की पहचान

फर्ज कीजिए आपके सामने एक व्यक्ति अपने कंधों पर एक बड़ा बैग टांगे खड़ा है। उसने ढीले-ढाले कपड़े पहने हैं और वो आसपास के लोगों से चीजें पूछ रहा है। आपके दिमाग में सबसे पहला जवाब क्या आएगा कि कौन है वो व्यक्ति? देखने से तो ऐसा लग रहा है कि ये इस शहर में नया है और ये जगह जगह भटकता रहता है। आपका जवाब बेशक कुछ इन्हीं पैमानों पर आधारित होगा। भारत में अब मुसाफिरों कि पहचान उनके पहनावे और कंधों पर बैकपैक से होने लगी है। बैकपैकिंग करते समय आपको यकीनन सुविधाएँ कम मिलती हैं। कभी कभी आपको पैसे बचाने के लिए किसी बस स्टैंड की बेंच पर भी सोना पड़ सकता है। लेकिन यदि आपके अंदर घुमक्कड़ी का जुनून है तो आपको इसमें भी कोई परेशानी नहीं होगी।

4. समय की बचत

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श्रेय: ट्रिप सैवी

बैकपैकिंग का एक उसूल होता है। आपको कम सामान में गुजारा करना होता है। आपको अपनी जरूरत की सभी चीजों को एक या दो बैग में पैक करना होता है। क्योंकि आपका सारा सामान बैग में रहता है इसलिए आपके पास कहीं भी कैसे भी सफर करने की आजादी होती है। घुमक्कड़ी में सबसे ज्यादा कीमत आपके समय की होती है। आप अपनी ट्रिप कैसे प्लान करते हैं जिससे आप कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा चीजें देख लें। ऐसे में यदि आपका आधे से ज्यादा समय सामान खोलने और बन्द करने में लग जाएगा तो आपके पास घूमने के लिए बेशक कम समय रहेगा। भारत में एक जगह पर देखने और करने के लिए बहुत सारी चीजें होती हैं। बैकपैकिंग से ना केवल आपका समय बचता है बल्कि आपको इधर उधर घूमने में भी आसानी होती है।

5. सेल्फ डिस्कवर 

घुमक्कड़ी अपने आप को समझने का सबसे आसान तरीका है। आपको सारे निर्णय खुद लेने होते हैं। कब कहाँ और कैसे जैसे सवालों के जवाब भी आपको खुद ढूंढ ने होते हैं। भारत में बैकपैकिंग करने से आपको ऐसे ही कुछ करने का मौका मिलेगा। भारत में हर थोड़ी दूर पर आपको कुछ ना कुछ नया देखने और समझने के लिए मिलता है। आपको नई चुनौतियों का सामना करना होता है। ऐसे में यदि आप बैकपैकिंग ट्रिप पर हैं तो आपको ये सारे निर्णय खुद लेने होते हैं। बैकपैकिंग कम से कम चीजों के साथ रहना सिखाती है। कम संसाधनों के साथ रहने का हुनर आपको भारत में बैकपैकिंग करके मिलेगा।

6. लोकल

ठेठ घुमक्कड़ जब भी किसी ट्रिप पर जाता है तो उसका सबसे पहला फोकस स्थानीय संस्कृति को समझने पर होता है। आप यकीन नहीं करेंगे कि अगर आप बैकपैकिंग करते हुए भारत घूम रहे हैं तो ये करना और भी आसान हो जाता है। भारत में हर थोड़ी दूर चलने पर कल्चर बदल जाता है। अलग-अलग लोग, उनका रहन-सहन और उनके खाने को तरीके को समझने और नजदीक से जानने के लिए सबसे अच्छा उपाय है बैकपैकिंग। स्थानीय लोग घुमक्कड़ों को अक्सर लोग अपनों की तरह मानते हैं। बैकपैकिंग करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि आपको लोकल लोगों के साथ रहने का मौला मिलता है जो घुमक्कड़ी की सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है।

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