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भारत ऐतहासिक जगहों से भरा हुआ है। अप्रैल 2021 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की अस्थाई लिस्ट में भारत की 6 जगहों को शामिल किया है। यूनेस्को की गाइडलाइन के अनुसार, किसी भी धरोहर को वर्ल्ड हेरीटेज लिस्ट में शामिल करने से पहले उसे 1 साल तक अस्थायी लिस्ट में रखा जाता है। कुल मिलाकर ये अस्थाई लिस्ट विश्व धरोहर स्थल में शामिल होने का एक कदम है। अब तक भारत के 48 धरोहर स्थल हैं जो यूनेस्को की इस लिस्ट में हैं। आप उनकी ऑफिशियल वेबसाइट पर जगह पूरी लिस्ट देख सकते हैं।
संस्कृति मंत्रालय के ट्वीट के अनुसार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भारत की 9 जगहों को अस्थायी सूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। जिसमें से 6 साइटों को सेलेक्ट किया गया है। आइए उन 6 जगहों के बारे में जानते हैं ।
1. नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेताघाट
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भेड़ाघाट, जिसे भारत के ग्रांड कैन्यन के रूप में जाना जाता है। भेड़ाघाट मध्य प्रदेश के जबलपुर से सिर्फ 25 किमी. की दूरी पर है। भेड़ाघाट नर्मदा के दोनों ओर अपनी संगमरमर की चट्टानों और अलग-अलग रूपों के लिए जाना जाता है। नर्मदा घाटी में जबलपुर के भेड़ाघाट-लमेताघाट क्षेत्र में कई डायनासोर के जीवाश्म पाए गए हैं। नर्मदा घाटी को भूवैज्ञानिक, भू-तकनीकी, जलविद्युत और जीवाश्म विज्ञान की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत और दुनिया भर के विशेषज्ञों ने भेड़ाघाट-लमेताघाट के विविध पहलुओं का अध्ययन किया है।
कैसे पहुँचे?
जबलपुर से भेड़ाघाट आसानी से पहुँचा जा सकता है। जबलपुर भारत के सभी प्रमुख शहरों से हवाई या रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जबलपुर से भेड़ाघाट पहुँचने के लिए आप टैक्सी किराये पर ले सकते हैं। इसके अलावा बस से भी भेड़ाघाट पहुँचा जा सकता है।
आस-पास घूमने के लिए जगहें:
आप भेड़ाघाट जा रहे हैं तो नाव की सवारी जरुर करनी चाहिए। आप यहाँ देखेंगे कि संगमरमर के पहाड़ कई रूप में दिखाई देत हैं जो वाकई आश्चर्यजनक है। साथ ही आपको धौधर वाटरफॉल, चौसठ योगिनी मंदिर और बंदर कुदनी भी जाना चाहिए।
कहाँ ठहरें?
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आप भेड़ाघाट में एमपीटी मार्बल रॉक्स मोटल में ठहर सकते हैं। यहाँ पर एक पॉकेट फ्रेंडली होटल है। यहाँ कमरे और टेंट दोनों आपको मिल जाएंगे। एक रात ठहरने के लिए आपको 3,500 रुपए देने होंगे। आप इस बारे में यहाँ देख सकते हैं।
2. हीरे बेनाकल
कर्नाटक की हीरे बेनाकल ने 2,800 साल पुराने महापाषाण स्थल ने यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की अस्थायी सूची में जगह बनाई है। हीरे बेनाकल सबसे बड़ी प्रागैतिहासिक महापाषाण बस्तियों में से एक है जहाँ कुछ अंत्येष्टि स्मारक अभी भी बचे हुए हैं। इस जगह के पास में ही फेमस हंपी है लेकिन इस जगह के बारे में कम लोग ही जानते हैं। इस जगह पर लगभग 400 मेगालिथिक मकबरे हैं जो लगभग तीन वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं। इतिहासकारों के अनुसार 2200 से 2800 साल पहले हिरे बेनाकल के महापाषाण कलियुग में बने थे।
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कैसे पहुँचें?
हीरे बेनाकल कर्नाटक के कोप्पल जिले में गंगावती शहर से 10 किमी पश्चिम में स्थित है। होसपेट निकटतम रेलवे स्टेशन है। हम्पी से 1 दिन की यात्रा के लिए बेनाकल जाया जा सकता है। कोई भी होसपेट या हम्पी से बस से गंगावती पहुँच सकता है और फिर बेनाकल के लिए ऑटो बुक करके पहुँच सकता है।
घूमने की जगहें:
जब आप हिरे बेनाकल की योजना बना रहे हैं तो आपको अपनी योजना में हम्पी को भी शामिल करना चाहिए। इसके अलावा आप तुंगभद्रा बांध, मातंगा हिल और विट्ठल मंदिर भी देख सकते हैं।
कहाँ ठहरें?
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आप होसपेट या हम्पी में ठहर सकते हैं। इन शहरों में आपको ढेरों होटल मिल जाएंगे। आप अपने बजट के अनुसार इनमें से कोई भी चुन सकते हैं। इसके अलावा आप हम्पी में केएसटीडीसी होटल मयूरा भुवनेश्वरी कमलापुर को भी चुन सकते हैं जो विश्व विरासत स्थल क्षेत्र के भीतर स्थित एकमात्र होटल है। एक रात ठहरने के लिए 2,000 रुपए खर्च करने होंगे। इस बार में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
3. वाराणसी का प्रतिष्ठित रिवरफ्रंट
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खुदाई, ऐतिहासिक दस्तावेजों और वैज्ञानिक विश्लेषण के अनुसार ये माना जाता है कि वाराणसी दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है। वाराणसी अपने घाटों, मंदिरों, धर्म, अध्यात्म, भारतीय संस्कृति और सांस्कृतिक परंपराओं के लिए जाना जाता है। इस बनारस में गंगा नदी का 6.5 किमी लंबा रिवरफ्रंट है। ये शहर के पूर्वी किनारे का निर्माण करता है जिसका अपना एक अनूठा इतिहास है।
कैसे पहुँचे?
वाराणसी एयरपोर्ट भारत के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। बनारस रेल मार्ग से भी कनेक्टेड है। इस शहर में वाराणसी रेलवे स्टेशन और काशी रेलवे स्टेशन दो प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं।
घूमने की जगहें:
वाराणसी में 84 घाट हैं। उनमें से सबसे प्रसिद्ध 5 घाट अस्सी, दशाश्वमेध, मणिकर्णिका, पंचगंगा और आदि केशव हैं। जब आप वाराणसी में हैं तो आपको दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का अनुभव जरूर लेना चाहिए। इसके अलावा आप सारनाथ की योजना भी बना सकते हैं।
कहाँ ठहरें?
वाराणसी में ठहरने के लिए होटलों की भरमार है। आप अपने बजट के हिसाब से इनमें ठहर सकते हैं। आप शिवला घाट पर स्थित सूर्योदय हवेली में ठहर सकते हैं। जो 20वीं शताब्दी में बनी थी। बनारस के घाट का शानदार द्श्य देखने के लिए अच्छी जगह है। इसका किराया 5,000 रुपए है। बुकिंग के लिए इस लिंक पर जाएं।
4. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
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सतपुड़ा ‘सात तह’ से बना है जो नर्मदा और ताप्ती नदी के बीच एक त्रिकोणीय वाटरशेड बनाता है। यह वनों के सबसे पुराने वन भंडारों में से एक है। यहाँ हिमालय क्षेत्र की 26 और नीलगिरि की 42 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व बाघ संरक्षण के लिए जाना जाता है। यहाँ आपको भारी संख्या में
कैसे पहुँचे?
सतपुड़ा भोपाल से लगभग 180 किलोमीटर और जबलपुर से 250 किलोमीटर की दूरी पर है। दोनों शहरों में एयरपोर्ट है जो भारत के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। निकटतम रेलवे स्टेशन इटारसी में है। सतपुड़ा से इटारसी सिर्फ 70 किलोमीटर दूर है।
घूमने के स्थान:
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 5 एंट्री प्वाइंट हैं: पचमढ़ी, मढ़ाई, चूर्ण, सेहरा और पाठा। यहाँ आप जीप सफारी, कैंपिंग, ट्रेकिंग और बोटिंग कर सकते हैं। आप पैदल भी जंगल की सैर कर सकते हैं। आप गाइड के साथ सतपुड़ा नेशनल पार्क की सैर अच्छे से कर सकते हैं। आपको एक बार सतपुड़ा जरूर जाना चाहिए।
कहाँ ठहरें?
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एमपी टूरिज्म का बाइसन रिज़ॉर्ट सतपुड़ा नेशनल पार्क के एंट्री प्वाइंट पर स्थित है। यहाँ जलाशय के पीछे के पानी में स्थित यह खूबसूरत वाटरफ्रंट रिजॉर्ट अपने बेहतरीन कॉटेज और माहौल के लिए फेमस है। इसका किराया लगभग 4,000 रुपए है। इस प्रापर्टी के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
5. कांचीपुरम के मंदिर
तमिलनाडु में कांचीपुरम के मंदिर सबसे पुराने मंदिरों में से एक हैं जो अपने शानदार आर्किटेक्चर के लिए जाने जाते हैं। अतुल्य भारत ने उल्लेख किया है कि छठी शताब्दी में पल्लवों के उदय के साथ कांचीपुरम ने अपना राजनीतिक महत्व हासिल करना शुरू कर दिया। यह अगली दो शताब्दियों तक पल्लवों की राजधानी रहा। चोलों के अधीन होने पर ये एक माध्यमिक राजधानी बनी रही। 13वीं शताब्दी में चोल शासन के अंत के बाद और आज तक इसने संस्कृति, धर्म और पवित्रता के केंद्र के रूप में अपनी श्रेष्ठता कभी नहीं खोई। यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट में आने वाले मंदिर इस प्रकार हैं:
1. राजसिंहेश्वरम या कैलासनाथ मंदिर
2. पीरवत्नेश्वर मंदिर
3. इरावथनेश्वर मंदिर
4. परमेश्वर विन्नगरम या वैकुंठपेरुमल मंदिर
5. मुक्तेश्वर मंदिर
6. अरुलाला या वरदराज पेरुमल मंदिर
7. एकम्बरेश्वर मंदिर (तिरुकाचीकमबम)
8. ज्वारहरेश्वर मंदिर
9. पांडव दूथा पेरुमल मंदिर
10. यथोथकारी पेरुमल मंदिर
11. उलागलैंड पेरुमल मंदिर
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कैसे पहुँचे?
कांचीपुरम से निकटतम हवाई अड्डा चेन्नई है जो लगभग 64 किमी दूर है। आप एयरपोर्ट से कांचीपुरम टैक्सी से पहुँच सकते हैं। तमिलनाडु के कई शहरों से आपको कांचीपुरम के लिए बसें मिल जाएंगी। कांचीपुरम का अपना रेलवे स्टेशन है। इसके अलावा आप पहले चेन्नई जाएं और फिर कांचीपुरम पहुँचे।
घूमने की जगहें:
कांचीपुरम के मंदिरों को देखने के बाद भी यदि आपके पास समय है तो कांची कुदिल, वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्य और आलमपराई किला भी देख सकते हैं।
कहाँ ठहरें?
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कांचीपुरम में ठहरने के कई सारे विकल्प हैं। आप जीआरटी होटल्स द्वारा रीजेंसी कांचीपुरम को चुन सकते हैं। इसका किराया 3100 रुपए से शुरू होता है। बुकिंग के लिए आप यहाँ क्लिक करें।
6. महाराष्ट्र में मराठा सैन्य वास्तुकला
पुरातत्व निदेशालय और महाराष्ट्र ने राज्य के कई किलों को उनकी खासियत और इतिहास के आधार पर चुना है। महाराष्ट्र शायद एकमात्र ऐसा राज्य है जिसमें लगभग सभी प्रकार के आर्किटेक्चर, भूमि, समुद्र और पहाड़ी किले हैं। महाराष्ट्र के चुने गये 14 किले इस प्रकार हैं:
अ) रायगढ़ किला: मूल रूप से इसे रैरी कहा जाता है। यह सह्याद्री पहाड़ी के एक बड़े हिस्से पर स्थित है और एक घाटी द्वारा मुख्य सीमा से अलग किया गया है। यह मराठा साम्राज्य की राजधानी का किला था और शिवाजी के राज्याभिषेक के दौरान इसका पुनर्निर्माण किया गया था।
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ब) राजगढ़ किला: यह रायगढ़ किले में स्थानांतरित होने से पहले पुणे जिले में मराठा साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। पहाड़ी किला लगभग 26 वर्षों तक शिवाजी के संरक्षण में रहा।
स) शिवनेरी किला: यह किला पुणे जिले के जुन्नार के पास बना है। ये बहमनी/निजामशाही वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। ये किला शिवाजी का जन्मस्थान है।
द) तोरणा किला: यह 1646 में पुणे जिले में मराठा साम्राज्य की शुरुआत का प्रतीक है। कहा जाता है कि इस किले पर शिवाजी ने तब कब्जा कर लिया था जब वह सिर्फ सोलह वर्ष के थे।
इ) लोहागढ़ किला: 14वीं शताब्दी में पेशवा काल में बना मराठा पहाड़ी किला वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह लोनावाला के करीब है और सुरम्य घाटी के लिए जाना जाता है।
फ) साल्हेर किला: नासिक के दोल्हारी रेंज में स्थित यह सह्याद्री रेंज के सबसे ऊंचे किलों में से एक है। मराठों और मुगलों के बीच 1672 की लड़ाई साल्हेर में ही लड़ी गई थी।
ग) मुल्हेर किला: इसे जीत का प्रतीक माना जाता है क्योंकि मुल्हेर के आत्मसमर्पण के समय तीसरे मराठा युद्ध को समाप्त करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान था। नासिक का यह पहाड़ी किला पूर्व में मोरा और पश्चिम में हटगड से घिरा है।
ह) रंगना किला: यह कोल्हापुर से 112 किमी. दूर स्थित है। ये किला कोल्हापुर और सिंधुदुर्ग की सीमा पर स्थित है। दक्कन अभियान के दौरान औरंगजेब ने भूदरगढ़ और समांगद के साथ मिलकर इस किले पर कब्जा करने की कोशिश की थी लेकिन नहीं कर पाया था।
ई) अंकाई टंकई किला: ये दो अलग-अलग किले हैं जो एक आम किले की दीवार के साथ एक-दूसरे से जुड़ी पहाड़ियों पर बने हैं। अंकाई और टंकाई नासिक जिले में स्थित हैं।
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ज) कासा किला: इसे पद्मदुर्ग किले के रूप में भी जाना जाता है, यह मुरुद के तट पर एक चट्टानी द्वीप पर बनाया गया है।
क) सिंधु दुर्ग: एक समुद्री किला है। इसे सैन्य रक्षा में एक शानदार रचना माना जाता है और इसे शिवाजी द्वारा 1668 में बनवाया गया था।
ल) अलीबाग किला: शिवाजी ने नौसैनिक अड्डे के रूप में प्रदर्शित किए जाने वाले किलों में से एक के रूप में इसे चुना था। इसे कुलबा किले के नाम से भी जाना जाता है।
म) सुवर्ण दुर्ग: यह एक द्वीप किला है जिसे शिवाजी ने 1660 में मरम्मत और सुदृढ़ किया था।
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न) खंडेरी किला: यह एक बेहद महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इसने शिवाजी की सेना और सिद्धियों की नौसैनिक सेना के बीच कई लड़ाई देखी। इस किले को 1679 में बनाया गया था लेकिन आधिकारिक तौर पर 1998 में इसका नाम कान्होजी आंग्रे द्वीप रखा गया था। ये किला मुंबई से 20 किमी. दूर दक्षिण में स्थित है।
ये सभी किले एक जगह पर स्थित नहीं हैं इसलिए यहाँ पहुँचने के बारे में नहीं बता रहा हूं। उस बारे में एक अलग आर्टिकल में बताया जाएगा।
भविष्य में भारत की ज्यादा से ज्यादा जगहें यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की संभावित सूची में शामिल होंगी और वर्ल्ड हेरीटेज की सूची में भी शामिल होंगी। आपको इन जगहों को जरूर एक्सप्लोर करना चाहिए।
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