#मेरी_कच्छ_भुज_यात्रा
#कच्छ_के_गांव_अमरापुर_की_यात्रा
#भाग_6
नमस्कार दोस्तों धोलावीरा यात्रा के दौरान मुझे रापर और धोलावीरा के बीच में बसे एक खूबसूरत गांव अमरापुर जाने का मौका मिला । अमरापुर गांव मेरे लिए बहुत खास है कयोंकि यहां मेरे फेसबुक पर बने मित्र Nareja Firoj भाई रहते है । पिछले तीन चार महीनों से फोन पर फिरोज भाई से धोलावीरा के बारे में बात हो रही थी। अभी पिछले महीने धोलावीरा मयूजियिम बंद था तो भाई ने अभी थोड़ा रूक जाईये । जब धोलके वीरा मयूजियिम खुले तब ही आना धोलावीरा । जैसे ही धोलावीरा मयूजियिम खुला भाई ने बताया और मैं भी चल पड़ा धोलावीरा देखने और भाई से मिलने उनके गांव अमरापुर की ओर । गांव अमरापुर रापर शहर से 60 किमी दूर और धोलावीरा से 30 किमी पहले , कच्छ के रण को पार करके वहां से 5 किमी आगे , रापर - धोलावीरा सड़क पर बसा हुआ है। मैंने दो तीन पहले ही फिरोज भाई को बता दिया था कि मैं धोलावीरा आ रहा हूँ तो भाई भी मेरा इंतजार कर रहे थे। एक रात पहले जब मैं रापर पहुंचा तो भाई से बात हुई उन्होंने अपने गांव का पता और नाम बता दिया। जैसे ही हम मोटरसाइकिल से रापर से धोलावीरा वाली रोड़ पर चढ़े तो फोन का नैटवर्क गायब हो गया। उस दिन मैंने घर में भी फोन किसी दूसरे के फोन से किया । खैर रापर से सुबह 7 बजे चल कर हम 60 किमी दूर तक मोटरसाइकिल चलाकर 9 बजे के आसपास फिरोज भाई के गांव अमरापुर पहुंच गए । अमरापुर पहुंच कर मोबाइल नैटवर्क गायब था , भाई भी फोन कर रहे थे और हमारा तो फोन लग ही नहीं सकता था। खैर हमने गांव में पहुंच कर वहां किसी वयक्ति से फिरोज भाई के घर का रास्ता पूछा और जल्दी ही हम फिरोज भाई के घर पहुंच गए। कच्छ के किसी गांव में कच्छ के दोस्त के घर को देखना बहुत ही आनंदित कर रहा था । भाई के घर पहुंच कर हमने हाथ मूंह धोकर , चाय पानी पिया । कुछ समय आराम किया कच्छ और धोलावीरा के बारे में बातें की । फिरोज भाई के पिता जी भी घर में ही थे । फिरोज भाई के पिता जी ने हमें अपने घर में ही इकट्ठे किए हुए फौसिल ( जीवाश्म) दिखाए । इन फौसिल के बारे में उन्होंने बहुत अच्छी जानकारी दी , इन में से एक डायानासोर की हड्डी भी थी । फिरोज भाई के पिता गुजरात फोरिसट डिपार्टमेंट से रिटायर्ड हुए हैं यह सारे फौसिल उन्होंने बहुत मेहनत से इकट्ठा किए हैं । आने वाले समय में फिरोज भाई का गांव में कैंप साईट बनाने का विचार हैं जिसमें यह फौसिल को एक गैलरी के रूप में प्रदर्शित करेंगे । फिरोज भाई भी धोलावीरा में टूर करवाते है । बहुत सारे राईडर ग्रुप फिरोज भाई के पास धोलावीरा टूर करने जाते हैं । मेरे खास मित्र हैं फिरोज भाई , उनसे मिलना यादगार हो गया कच्छ के गांव अमरापुर में । धोलावीरा से वापसी करते हुए भी भाई से मिलना हुआ था तब उन्होंने हमारी मदद की थी जब कच्छ के उजाड़ ईलाके में हमारी मोटरसाइकिल पैंचर हो गई थी ।