“सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहां
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहां”
ख़्वाजा मीर दर्द का या शेर हर शख्स को वक्त रहते दुनिया की खूबसूरती दीदार करने के लिए प्रोत्साहित करता है। लेकिन कभी वक्त की किल्लत या फिर बीमारी का हवाला देकर हम अपनी कितनी ही छुट्टियां घर पर ही बिता देते हैं।
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अक्सर हम इंस्पिरेशन के लिए फिल्म स्टार , खिलाड़ी या जाने माने लोगों के बारे में पढ़ना पसंद करते हैं, लेकिन हमारे आस पास कई ऐसी कहानियां भी हैं जिन्हें और ठीक से समझने,जानने और उनसे प्रेरणा लेने की ज़रूरत है।
अपनी शारीरिक परेशानी को दरकिनार करते हुए मुंबई की परविंदर चावला ने जिस तरह चुनौतियों का सामना करते हुए अपने घूमने के शौक को बरकरार रखा है उससे कई लोग प्रेरणा ले सकते हैं। हमने बात की मुंबई की 51 साल वर्षीय परविंदर चावला उर्फ पम्मी से जिनकी जिंदगी उस वक्त एक व्हीलचेयर में सिमट गई जब वो सिर्फ 25 साल की थी। बावजूद इसके आज वो एक सोलो ट्रैवलर हैं..
ज़िन्दगी को खुलकर जीने में विश्वास रखने वाली परविंदर से हमने बात की और समझा उन्हें थोड़ा करीब से-
कैसे आर्थराइटिस ने बदल दी ज़िन्दगी-
मैं 15 साल की थी जब मेरे परिवार को पता चला कि मुझे रूमेटॉइड आर्थराइटिस है। फिर 22 साल में बिस्तर पकड़ लिया और कुछ ट्रीटमेंट के बाद जब 25 साल में स्थिति थोड़ी सुधरी तो मैंने अपनी ज़िन्दगी को एक नए तरीके से जीने की सोची। घूमने का शौक तो पहले से ही था..बस यूं समझ लीजिए कि मैंने ठान ली कि व्हीलचेयर में ही सही लेकिन अब रुकना नहीं हैं और अपने हर शौक को पूरा करना है। व्हीलचचेयर पर रहते हुए भी मैं एक सामान्य ज़िन्दगी जीने की पूरी कोशिश करती हूं।
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कैसी रही सोलो ट्रैवलिंग की जर्नी-
मैंने अपने सोलो ट्रिप की शुरुआत की थी बाली से और फिर ज़िन्दगी इतनी खूबसूरत लगने लगी कि मैंने यह तय किया कि अब रुकना नहीं है। मेरी कज़िन भूमिका चावला जो एक फिल्म अभिनेत्री हैं, उन्होंने मुझे एक ओटोमेटिड व्हीलचेयर गिफ्ट की और उसके बाद मैंने अपनी कमज़ोरी को अपनी ताकत बनाया। चाइना से इजिप्ट तक साल 2019 तक मैंने 59 देशों की सैर कर ली है जिसमें 90% मैंने सोलो यानि अकेले ही ये ट्रैवलिंग की।
ट्रैवलिंग के दौरान क्या क्या है पसंद-
चाहे साइट सींग हो या पैराग्लाइडिंग, जिपलाइन एडवेंचर हो याृ बोटिंग, मैं अपनी कमज़ोरी को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहती और हर रोमांचक एक्टिविटी,एडवेंचर का भरपूर आनंद उठाती हूं।
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ट्रैवलिंग के दौरान किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा-
भगवान पर मेरा अडिग विश्वास है जो ऐसे हालातों में भी मुझे बस बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करता है। दिक्कतें आती ज़रूर हैं लेकिन विदेशों में बसों या सड़क पर ट्रैवल करना मेरी आटोमेटिड व्हीलचेयर पर थोड़ा आसान हो जाता है। हर प्लानिंग मुझे सोच समझकर और बजट को ध्यान में रखकर करनी पड़ती है क्योंकि मोनेटरी लिमिटेशन रहती है। बजट होटलों में ठहरती हूं और इधर-उधर जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सहारा लेती हूं। जो भी पैसा बचता है उसे घूमने में खर्च करना मेरी स्ट्रेटजी रहती है। बाहर निकलने से पहले ये रिसर्च कर लेती हू् कि वो जगह व्हीलचेयर फ्रेंडली है भी या नहीं। कई जगह ऐसी होती हैं जहां व्हील चेयर को पुश करने की ज़रूरत होती है,तो लोगों से मदद मांगती हूं और भगवान की दया से आज तक अपने सफर को आसानी से तय कर पाई हूं और आगे भी कर लूंगी यह विश्वास है।
अपने देश में घूमने का कैसा एक्सपीरियंस रहा-
2019 से विदेश नहीं जा पा रही लेकिन मेरा अपना देश इतना खूबसूरत है तो इस दौरान जब भी हालात नॉर्मल थे मैंने मुंबई से दिल्ली तक ड्राइव करने का निश्चय किया और बाद में मुंबई से रामेश्वरम तक ड्राइव किया। ये मेरे लिए यादगार ट्रिप रहा। इंसान में इच्छा शक्ति और विश्वास होना बहुत ज़रूरी है। वैष्णो देवी ,केदारनाथ, कश्मीर की वादियां ये कुछ कठिन जगहें थी ….लेकिन प्रकृति और भगवान को इतने पास से महसूस कर पाई, इसके लिए मैं अपने आप को भाग्यशाली समझती हूं।
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फायनेन्शियल तौर पर किन दिक्कतों का सामना करती हैं और आगे की क्या प्लानिंग है?
2019 में मैं ईजिप्ट गई और अब मैं यही चाहती हूं कि दुनिया के हर देश के वीज़ा का स्टैंप मेरे पासपोर्ट में लगा हो। हां आर्थिक रूप से कई दिक्कतों का सामना कर रही हूे और कोशिश यही है कि कोई ऐसी जॉब या स्पांसर मिल सके ताकि अपने इस पैशन को बरकरार रख सकूं।
अपने एक्सपीरियंस से कोई संदेश जो देना चाहती हैं?
मैंने इन कई सालों में अकेले ट्रेवल करके यह महसूस किया कि जिंदगी कभी रुकनी नहीं चाहिए। हां हम परेशान हो सकते हैं , बीमार हो सकते हैं लेकिन अपने पैशन को फॉलो करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए। महिलाओं को तो मैं यह ज़रूर कहना चाहूंगी कि अपनी ज़िदगी में एक सोलो ट्रिप तो ज़रूर करें। हां कई परेशानियां आएंगी, कई चैलेंजेज़ से आपको खुद निपटना पड़ेगा लेकिन इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और नज़रिया बदलेगा।
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