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पंजाब के बिल्कुल उत्तर में जम्मू कश्मीर के साथ लगता हुआ पठानकोट जिला पंजाब का सबसे छोटा जिला है। पठानकोट के उत्तर में रावी नदी और दक्षिण में बयास नदी हैं। मुझे पठानकोट जिला बहुत पसंद हैं, एक तो यह जिला पहाड़ों के पैरों में बसा है। आप इस जिले में मुकतेशवर महादेव मंदिर, गुरुद्वारा बारठ साहिब और रणजीत सागर डैम और शाहपुर कंडी किला देख सकते हो। आज हम बात करेंगे पठानकोट शहर से 25 किमी दूर रावी नदी के किनारे पर बने हुए मुक्तेश्वर महादेव मंदिर की।
यह मंदिर शाहपुर कंडी डैम रोड पर रावी नदी के किनारे पर एक पहाड़ी पर हैं। इस मंदिर का संबंध महाभारत काल के पाडवों से हैं, पाडवों ने यहाँ 6 महीने गुजारे है।
उन्होंने यहां गुफाओं का निर्माण किया है, जिसमें शिवलिंग सथापित हैं। इस जगह को छोटा हरिद्वार भी कहते हैं।
यहाँ पहुंच कर आपको 250 सीढियों को उतर कर मंदिर में प्रवेश करना पड़ेगा। ऊपर से रावी नदी का बहुत खूबसूरत दृश्य दिखाई देता हैं। रावी नदी का पानी पंजाब की नदियों में सबसे ठंडा हैं। यहाँ बैशाखी और शिवरात्रि पर मेला लगता है। अगर शाहपुर कंडी डैम बन गया तो मुक्तेश्वर की गुफाओं को रावी नदी के पानी में डूब जाने का खतरा है।आपको यहां आकर बहुत आनंद आयेगा। रावी नदी यहाँ पंजाब और जम्मू कश्मीर की सरहद बनाती हैं। पांडवों को 12 साल का बनवास मिला था, और एक साल का अज्ञातवास। कुल 13 साल का बनवास। पांडव यहां 12 वें साल के अखीर में आए थे। पांडवों ने ही यहां गुफाओं का निर्माण करवाया था। मुकतेशवर महादेव की गुफाएं महाभारत काल से संबंधित हैं और 5500 साल पुरानी है।
यहां एक गुफा भगवान शिव को समर्पित है जहां शिवलिंग बना हुआ है। उसी गुफा में पांडवों के बड़ै भाई युधिष्ठिर की गद्दी और धूना बना हुआ हैं। पास में ही तीन और गुफाएं हैं, जिसमे पांडव धयान कक्ष बना हुआ है। आप जब भी पठानकोट आए तो मुकतेशवर महादेव मंदिर जरूर दर्शन करना।
कैसे पहुंचे- आप को यहां पहुंचने के लिए पठानकोट पहुंचना होगा, पठानकोट बस द्वारा चंडीगढ़, जालंधर, अमृतसर और दिल्ली, जम्मू , मंडी, धर्मशाला , चंबा आदि शहरों से जुड़ा हुआ है। पठानकोट रेलवे स्टेशन भी ट्रेन के साथ देश के सभी बड़े सटेशनों के साथ जुड़ा हुआ है।
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