हिमाचल के वो पहाड़ी रास्ते जिनके बारे में गूगल और इंस्टाग्राम को भी नहीं पता है

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हम अपना इंस्टाग्राम खोलते हैं और ट्रैवल ब्लॉगर्स को ट्रेक पर जाते हुए देखते हैं, हम तुरंत उन्हें इन जगहों पर जाने का मन बनाने लगते हैं। लेकिन अब ऐसा लगता है कि इन लोगों के पास भी नई जगहें नहीं बची हैं और वे बार-बार त्रिउंड, जिभी और कसोल जैसी जगहों की यात्रा कर रहे हैं। अब आप नई जगहों को एक्सप्लोर करने की अपनी इच्छा को कैसे पूरा करेंगे? हमारे पास ऐसे ट्रेक्स की एक सूची है जो अभी तक ट्रैवल ब्लॉगर्स के रडार पर नहीं हैं। इसलिए यदि आप इनमें से किसी भी ट्रेक पर जाने का प्लान बनाते हैं तो प्रकृति के साथ-साथ शांति की भी गारंटी है।

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1. चोबिया पास ट्रेक

यह पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला में दूसरा सबसे ऊँचा दर्रा है, जो ज्यादातर गद्दी जनजाति द्वारा लाहौल और स्पीति तक पहुँचने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ट्रेक हडसर, भरमौर से शुरू होता है और इसमें लगभग 5-6 दिन लगते हैं। लाहौल के उदयपुर पहुँचने से पहले आपको घाटी, सुरम्य बस्तियों, क्रॉस धाराओं से गुजरना पड़ता है और बड़े पत्थरों पर भी चढ़ना पड़ता है। यह ट्रेक अकेले नहीं किया जा सकता है इसलिए आप हडसर में गाइड ले सकते हैं। लेकिन अगर आप एक अनोखे तरह का अनुभव चाहते हैं तो आपको इसे गद्दी समुदाय के लोगों के साथ करना चाहिए।

कठिनाई: कठिन / मध्यम

ऊँचाई: 16,500 फीट

सबसे सही समय: जून से सितंबर के अंत तक। बर्फबारी के कारण सर्दियों में ये ट्रेक करना बहुत मुश्किल हो जाता है।

2. कलिहानी पास ट्रेक

बड़ा भंगल के प्रवेश द्वार के रूप में भी जाना जाता है, यह ट्रेक शायद ही कभी कट्टर ट्रेकिंग उत्साही लोगों के अलावा किसी अन्य पहाड़ प्रेमी द्वारा किया जाता है। यह 8-10 दिन का ट्रेक ब्यास कुंड ट्रेक करने वालों की चाहत रखने के लिए सही है। यह मनाली में शुरू होता है और मनाली में ही खत्म होता है। खूबसूरत घास के मैदानों को पार करने और आड़े तिरछे लकीरनुमा रास्तों पर चलने के साथ साथ आपको हनुमान टिब्बा, इंद्रासन और देव टिब्बा के असाधारण दृश्य देखने को मिलते हैं। इस ट्रेक पर कुछ कठिन रास्ते और खड़ी चढ़ाई हैं, इसलिए रोमांचक सफर के लिए तैयार रहें।

कठिनाई: मध्यम

ऊँचाई: 15,498 फ़ीट

सबसे सही समय: मई से सिंतबर। बर्फबारी के कारण इस ट्रेक को करना असंभव हो जाता है।

3. जालसू पास ट्रेक

यह दर्रा चंबा को कांगड़ा से जोड़ता है। अन्य हिमालयी दर्रों जैसे इन्द्रहर और मिन्कियानी की तुलना में, जालसू दर्रा को पार करना बहुत आसान है। पगडंडी के चारों ओर छोटे-छोटे फूलों से भरे घास के मैदानों की उपस्थिति के कारण इसे हिमाचल प्रदेश की फूलों की घाटी के रूप में भी जाना जाता है। इस ट्रेक को चंबा या कांगड़ा की ओर से किया जा सकता है। ज़्यादातर पर्वतारोही इसे चंबा से करना पसंद करते हैं क्योंकि यह दोनों मार्गों की तुलना में अधिक आसान है। ट्रेक होली, चंबा से शुरू होता है और पालमपुर के पास उत्तरला में खत्म होता है।

कठिनाई: आसान / मध्यम

ऊँचाई: 11,300 फीट

सबसे सही समय: जालसू दर्रे को अप्रैल की शुरुआत और अक्टूबर के अंत के बीच पार किया जा सकता है। अगर आप फूलों को खिलते हुए देखना चाहते हैं तो जुलाई या अगस्त में जरूर करें।

4. मंतलाई झील ट्रेक

पार्वती घाटी में स्थित ये ट्रेक असल में पार्वती नदी का शुरुआती पॉइंट है। ये ट्रेक पुल्गा से शुरू होता है जो खीरगंगा ट्रेक के लिए शुरुआती बिंदु भी है। ये ट्रेक पगडंडीनुमा रास्ते, झरने, घने जंगल, घास के मैदान, नदी पार और बोल्डर से भरपूर इलाके से होकर गुजरती है। इसमें लगभग 6-7 दिन लगते हैं और इस ट्रेक पर जाने के लिए आपको एक अच्छी शारीरिक स्थिति में होना काफी आवश्यक है।

कठिनाई: मध्यम/चुनौतीपूर्ण

ऊँचाई: 13,500 फीट

सबसे सही समय: जून से अक्टूबर के बीच। साल के बाकी समय ये रास्ता बर्फ से ढका रहता है।

5. मियार घाटी ट्रेक

मियार घाटी की पहचान मुख्य रूप से असीमित घास के मैदान, फूलों से भारी घाटियाँ और एक हिमनद धारा है। ये 5 दिवसीय ट्रेक मियार घाटी के अंतिम गाँव खंजर से शुरू होता है, जो गाँव से पहले अंतिम मोटर योग्य बिंदु शुक्तो से 30 मिनट की दूरी पर है। इस ट्रेक पर आप घास के मैदानों, फूलों की क्यारियों, पहाड़ की धाराओं, मोराइन और शिलाखंडों को पार करते हैं।

कठिनाई: आसान / मध्यम

ऊँचाई: 11,500 फीट

सबसे सही समय: यह जून से अक्टूबर के बीच। साल के बाकी समय ये रास्ता बर्फ से ढका रहता है।

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