हमारे देश में ऐसे कई मंदिर या धार्मिक स्थल हैं, जहां महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं होती। लेकिन पिछले कुछ सालों से विरोध की उठती आवाजों ने और हाई कोर्ट ने भी महिलाओं को उनका हक दिलाया है।
हाजी अली, शनि शिंगणापुर और सबरीमाला जैसी धार्मिक जगह, इन्हीं वजहों से खबरों में रही थी थीं। लेकिन आपको ये बात सुनकर भी हैरानी होगी कि भारत में ऐसे भी मंदिर हैं, जहां पुरुषों की एंट्री बिलकुल बिल्कुल बैन है या किसी खास समय पर ही उन्हें मंदिर में जाने की अनुमति होती है।
आइए एक-एक करके उन 5 मंदिरों के बारे में आपको बताते हैं।
1. अट्टुकुल भगवती मंदिर, केरल
आपको शायद यह पता न हो, लेकिन केरल के इस मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है, क्योंकि यहां एक साथ 30 लाख से अधिक महिलाएं पोंगल उत्सव में भाग लेने आई थी थीं। इस मंदिर में यह त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर में विशेष रूप से भद्रकाली देवी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भद्रकाली माता पोंगल के दौरान दस दिन तक मंदिर में निवास करती हैं। मंदिर में पुरुषों का आना मना है।
2. चक्कुलाथुकावु मंदिर, केरल
केरल में मौजूद चक्कुलाथुकावु मंदिर में मां दुर्गा की पूजा होती है। यहां हर साल पोंगल के दिन नारी पूजा की जाती है। यह 10 दिनों तक चलता है और इस दौरान पुरुषों का यहां आना बिलकुल मना होता है। पूजा के आखिरी दिन के मौके पर पुरुष, पुजारी महिलाओं के पैर धोते हैं।
3. ब्रह्मदेव का मंदिर राजस्थान
यह मंदिर राजस्थान के पुष्कर में मौजूद है। भगवान ब्रह्मा का मंदिर आपको पूरे भारत में सिर्फ और सिर्फ यही यहीं मिलेगा। इस मंदिर को 14वीं शताब्दी में बनाया गया था, जहां शादीशुदा पुरुषों का आना बिलकुल मना है। ऐसा माना जाता है कि देवी सरस्वती के श्राप की वजह से यहां कोई भी शादीशुदा पुरुष नहीं जा सकता।
4. संतोषी माता मन्दिर- राजस्थान
संतोषी मां का व्रत महिलाएं और कुंवारी लड़कियां ही रखती हैं. इस समय उन्हें खट्टी चीज़ें खाने की अनुमति नहीं होती. बेशक पुरुष संतोषी मां की पूजा तो कर सकते हैं लेकिन शुक्रवार को संतोषी मां के किसी भी मंदिर में उनका प्रवेश वर्जित होता है.
5. कामाख्या मंदिर गुवाहाटी
5 यह मंदिर असम के गुवाहाटी में स्थित है। कामाख्या मंदिर नीलांचल पर्वत पर बना हुआ है। माता के सभी शक्तिपीठों में कामाख्या शक्तिपीठ का स्थान सबसे ऊपर है। माता के माहवारी के दिनों में यहां उत्सव मनाया जाता है। इन दिनों पुरुषों की एंट्री बिलकुल बैन होती है और यहां की पुजारी भी इस दौरान एक महिला होती है।
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