दोस्तों,आज आपको हम ये बताने जा रहे हैं,कि आखिर क्यों इन 5 फूड्स के नाम शहरों के नाम से जाना जाता हैं,क्या आपने कभी सोचा या फिर जानना चाहा है कि आखिर क्यों इन शहरों के नाम से कुछ फूड्स को जाना जाता है। चलिए इस रोचक सफर को और इसके पीछे की कहानी को जानते हैं।
1.हैदराबादी बिरयानी
दोस्तों,पहले तो हम हैदराबादी बिरयानी कि बात करते हैं,क्या कभी आपने ये जानने की कोशिश की है कि हैदराबाद की इस व्यंजन को शहर के नाम से ही क्यों जाना जाता है। अगर नहीं, तो आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं। जैसा कि आपको तो ये पता ही होगा ,कि हैदराबाद को निजामों का शहर माना जाता है। जैसे कि बात ये है बिरयानी को सबसे पहले हैदराबाद के निजाम शासकों की रसोई में बनाया गया था इसके बाद यह व्यंजन हैदराबादी बिरयानी के नाम से पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया।
2.मुरादाबादी दाल
अगर आप भी उत्तर प्रदेश के किसी होटल में जायेंगे, तो मेन्यू कार्ड में आपको मुरादाबादी दाल ज़रूर देखने को मिल जाएगी। इस व्यंजन का नाम मुरादाबाद शहर के नाम पर पड़ा है। क्यों कि ऐसा माना जाता है, कि इस व्यंजन को अफगान शासक मुराद बख्श ने अपने रसोई में सबसे पहले बनवाया था। आपकी जानकारी के लिए ये भी बता दें, कि मुरादाबाद शहर को मुराद बख्श ने ही 17 वीं शताब्दी के आस–पास बसाया था।
3-बीकानेरी भुजिया
दोस्तों,यह एक स्नैक है जिसे राजस्थान के बीकानेर शहर के नाम से जाना जाता है। इस भुजिया के बारे में कहाँ जाता है कि साल 1877 में पहली बार उस समय के मौजूदा शासक महाराज डूंगर के शासनकाल में इस भुजिया को पहली बार बनाया गया था,जिसके बाद यह पूरे भारत में बीकानेरी भुजिया के नाम से प्रसिद्ध हो गई।
4.आगरा का पेठा
दोस्तों, अगर आप आगरा में है और पेठा नहीं खाया तो फिर कुछ नहीं खाया। जी हां खैर, पेठा के बारे में कहाँ जाता है कि इस व्यंजन को सबसे पहले मुगल शासक शाहजहां ने बनवाया था। और इसके बारे में ये भी कहा जाता है कि शाहजहां की बेग़म मुमताज को पेठा बहुत ही पसंद था। और ये भी कहा जाता है कि खुद मुमताज अपने हाथों से शाहजहां के लिए पेठा बनाती और खिलाया करती थीं।
5.इंदौरी पोहा
पोहा के बारे में क्या कहें दोस्तों,कहाँ जाता है कि इस व्यंजन को सबसे पहले होल्कर और सिंधिया वंश ने अपने लिए बनवाया था, जो बाद में यहीं का हो गया। वैसे पोहा महाराष्ट्र में भी खूब ज्यादा पसंद किया जाता है। और पोहा के बारे में एक और मिथक यह है कि इंदौर में पोहा साल 1949-50 के करीब में बना और यह यहीं का हो गया। और बने हुए पोहे को खाने की बात ही अलग है।
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