अगर आप उत्तर प्रदेश घूमने का मन बना रहे है तो यहां देखने के लिए सुन्दर जगहों की कमी नही है। जहा ऐतिहासिक, संस्कृति धरोहर से परिपूर्ण है।
जहा स्वतंत्र से लेकर परतंत्र की कहानी कथित हैं। तो पर आज के परिदृष्य में उत्तर प्रदेश में कभी कुछ बदला हुआ है जो पर्यटको को लुभाती हैं। तो आज आपको कुछ महत्त्वपूर्ण स्थानो की चर्चा करने जा रहे हैं जोकि धार्मिक स्थल के साथ साथ आर्ट एंड कल्चर से परिचित कराने जा रहा हुं
*वाराणसी*
वाराणसी धार्मिक स्थलों में शामिल प्रसिद्ध पर्यटन स्थलो में से एक है । यहां घूमने के लिए प्राचीन धरोहर के साथ साथ हिन्दू धर्म में सुप्रसिद्ध स्थल भी हैं। जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालू का आवागमन होता रहता है। वाराणसी के घाट प्रसिद्ध है तो वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर अपनी अलग ही छवि है और अस्सी घाट, सारनाथ जैसे अनेकों स्थल हैं, जहां आप काम बजट में घूम सकते हैं। और साथ ही साथ लोकल खाने का अलग ही स्वाद चख सकते हैं।
वाराणसी सारे माध्यमों में परिपूर्ण है , आप चाहें बस से सफर करे या by ट्रेन, या एयर सारे सुविधाएं मौजुद हैं।
*आगरा*
आगरा का नाम लेते ही ताज महल का खयाल आता है परंतु ऐसा नही है ताज महल के अलावा बहुत कुछ घूमने, देखने के लिए बहुत कुछ है।
आगरा में सुर सरोवर पक्षी अभयारण्य , आगरा का किला, ताज महल जैसे अनेक जगहों पर जाकर इतमीनान से घूम सकते हैं।
आगरा में साधन उपलब्ध है, आप किसी भी माध्यम से आ जा सकते हैं
*संगम नगरी प्रयागराज*
* संगम नगरी प्रयागराज तो महा कुंंभ मेला के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। तो वहीं पर प्रयागराज में और भी कुछ बहुत है घूमने के लिए जो एक दिन में घुमा जा सकता है।
आप यहां संगम घाट, त्रिवेणी घाट और खुसरो बाग, आनन्द भवन और स्वतंत्रता का प्रतीक चंद्र शेखर आज़ाद पार्क पर कभी समय बिता सकते हैं। जहां परिवार सहित पिकनिक प्लान बना सकते हैं।
यहां आने के लिए सारे साधन उपलब्ध है। आप चाहे बस , ट्रेन या फिर एयर सारे साधन उपलब्ध हैं।
*श्री राम नगरी अयोध्या*
अयोध्या जिसे साकेत और रामनगरी भी कहा जाता है। भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक और घार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नगर है। यह पवित्र सरयू नदी के तट पर बसा हुआ है और अयोध्या जिले का मुख्यालय है। इतिहास में इसे 'कोशल जनपद' भी कहा जाता था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या में सूर्यवंशी/रघुवंशी/अर्कवंशी राजाओं का राज हुआ करता था, जिसमें भगवान् श्री राम ने अवतार लिया।
मानव सभ्यता की पहली पुरी होने का पौराणिक गौरव अयोध्या को स्वाभाविक रूप से प्राप्त है। फिर भी रामजन्मभूमि , कनक भवन , हनुमानगढ़ी ,राजद्वार मंदिर ,दशरथमहल , लक्ष्मणकिला , कालेराम मन्दिर , मणिपर्वत , श्रीराम की पैड़ी , नागेश्वरनाथ , क्षीरेश्वरनाथ श्री अनादि पञ्चमुखी महादेव मन्दिर , गुप्तार घाट समेत अनेक मन्दिर यहाँ प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। बिरला मन्दिर , श्रीमणिरामदास जी की छावनी , श्रीरामवल्लभाकुञ्ज , श्रीलक्ष्मणकिला , श्रीसियारामकिला , उदासीन आश्रम रानोपाली तथा हनुमान बाग जैसे अनेक आश्रम आगन्तुकों का केन्द्र हैं।
रेल मार्ग
अयोध्या, लखनऊ पंडित दीनदयाल रेलवे प्रखंड का एक स्टेशन है। लखनऊ से बनारस रूट पर फैजाबाद से आगे अयोध्या जंक्शन है। अयोध्या को एशिया के श्रेष्ठतम रेलवे स्टेशन के रूप में विकसित किये जाने का कार्मुय प्गरगति पर है। उत्तर प्रदेश और देश के लगभग तमाम शहरों से यहां पहुंचा जा सकता है। यहाँ से बस्ती, बनारस एवं रामेश्वरम के लिए भी सीधी ट्रेन है
सड़क मार्ग
उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम की बसें लगभग सभी प्रमुख शहरों से अयोध्या के लिए चलती हैं। अयोध्या 27 व राष्ट्रीय राजमार्ग 330 और राज्य राजमार्ग से जुड़ा हुआ है।
*मथुरा नगरी*
मथुरा भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र रहा है। भारतीय धर्म, दर्शन कला एवं साहित्य के निर्माण तथा विकास में मथुरा का महत्त्वपूर्ण योगदान सदा से रहा है। आज भी महाकवि सूरदास, संगीत के आचार्य स्वामी हरिदास, स्वामी दयानंद के गुरु स्वामी विरजानंद, चैतन्य महाप्रभु आदि से इस नगरी का नाम जुड़ा हुआ है। मथुरा को श्रीकृष्ण जन्म भूमि के नाम से भी जाना जाता है।
मथुरा रेलवे स्टेशन काफ़ी व्यस्त जंक्शन है और दिल्ली से दक्षिण भारत या मुम्बई जाने वाली सभी ट्रेने मथुरा होकर गुजरती हैं। सडक द्वारा भी पहुंचा जा सकता है। आगरा से मात्र 55 किलोमीटर है। वृन्दावन पहुचने के लिये यह वृन्दावन की वेबसाईट काफी सूचना देती हे| और विश्राम घाट के आसपास कई कमखर्च वाली धर्मशालाएं रूकने के लिए उपलब्ध हैं। घूमने के लिए टेक्सी कर सकते हैं,
जिससे मथुरा, वृन्दावन एक दिन में घूमा जा सकता है। अधिकतर मंदिरों में दर्शन सुबह 12बजे तक और सांय 4से 6–7बजे तक खुलते हैं, दर्शनार्थियों को इसी हिसाब से अपना कार्यक्रम बनाना चाहिए। आटो और तांगे भी उपलब्ध है। यमुना में नौका विहार और प्रातःकाल और सांयकाल में विश्राम घाट पर होने वाली यमुना जी की आरती दर्शनीय है। गोकुल की ओर जाने के लिये आधा दिन और लगेगा, उसके बाद गोवर्धन के लिये निकल सकते हैं। गोवर्धन के लिये बस से उपलब्ध है। राधाष्टमी का उत्सव वृन्दावन में धूम से मनाया जाता हे |
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