साल में 2 बार जब तक मैं हिमालय पर ट्रेकिंग नहीं करता तब तक ऐसा लगता है पूरा साल बर्बाद हो गया। रात भर गंगोत्री ग्लेशियर के किनारे कैंपिंग करने के बाद सुबह सुबह सामने दिख रहे शिवलिंग पर्वत का नजारा मन को मोह लेने वाला था।
आज का रास्ता कल से ज्यादा खतरों से भरा हुआ था। अब तो ग्लेशियर में चलने की आदत सी हो गयी थी। ग्लेशियर में बहुत सारी क्रिवास भी थी। लेकिन रास्ते से दूर जिनमें गिरने का खतरा कम था।
9 बजे हमने चलना शुरू किया था और करीब 2 घंटे में हमने ग्लेशियर पार कर लिया अब हम नन्दन वन की चढाई में थे। थोड़ा ऊपर चढ़ने के बाद पूरा गंगोत्री ग्लेशियर दिखाई दे रहा था। हमारे सामने था शिवलिंग पर्वत उसके पीछे मेरु पर्वत। हमारे बाई तरफ था केदारनाथ और केदारडोम पर्वत। हमारे पीछे थी भागीरथी चोटी।हम चारो ओर से बड़े बड़े पर्वतों से घिरे हुए थे। आज गोचाला पास वाली फीलिंग आ रही थी चारों ओर से पर्वतों से घिरे हम।
12 बजे हम लोग नन्दनवन पहुँच गये। आज हमने नन्दनवन में ही अपने टेंट लगा लिए और आज दिन था लम्बे आराम का। लंच करने के बाद हम लोग एक वाक पर गये। उच्च पहाड़ी इलाकों में शरीर को वातावरण में ढालना बहुत जरुरी है जिसमें ऊचाई पर वाक करना और फिर सोने के लिए नीचे आना बहुत काम करता है।
डिनर करने के बाद जब टेंट से बाहर निकालकर निगाहें ऊपर की ओर गयी तो पूरा आसमान तारों से भरा हुआ दिखाई दिया। पूरा एक घंटा रात्रि फोटोग्राफी करी वो भी शानदार वाली। उसके बाद हम लोग आराम करने के लिए अपने अपने टेंट में आ गये। नन्दनवन काफी खूबसूरत जगह थी। आगे की कहानी अगले भाग में........