भारत में सबसे जायदा तट्टी क्षेत्र वाला प्रांत गुजरात जिसका तट्टी क्षेत्र 1600 किलोमीटर है। गुजरात अपनी बंदरगाहों के लिए भी प्रसिद्ध है। 2014 में परिवार के साथ गुजरात भ्रमण करने का मौका मिला
गुजरात की राजधानी गांधीनगर और अहमदाबाद में फासला केवल 30-35 किलोमीटर का ही है। दोनों बहुत बड़े शहर है। यहा अहमदाबाद गुजरात का सबसे बडा शहर है वही गांधीनगर गुजरात की राजधानी है जो कि चंडीगढ़ की तरह planned city है। गांधीनगर का नाम राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के नाम पर रखा गया है। 649 वर्ग किलोमीटर में फैले गांधीनगर को चंडीगढ़ के बाद भारत का दूसरा नियोजित शहर माना जाता है।चंडीगढ़ को डिज़ाइन करने वाले फ्रेंच वास्तुशिल्प ली कोरबुसियन ने इस शहर को भी डिज़ाइन किया था। जानते है गुजरात के कुछ प्रसिद्ध मंदरों के बारे में:
1.अक्षरधाम:- गांधीनगर का अक्षरधाम मंदिर भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक प्रमुख तीर्थ स्थल हैं। स्वामीनारायण को समर्पित यह मंदिर समकालीन वास्तुकला और शैली का सबसे अच्छा उदाहरण है। हर साल 20 लाख से अधिक लोग इस मंदिर में आते है। मंदिर के प्रमुख आकर्षण स्वामीनारायण की 10 मंजिल लंबी सुनहरी मूर्ति है। इस मंदिर का उद्घाटन 30 अक्टूबर 1992 किया गया था। अक्षरधाम मंदिर 23 एकड़ परिसर के केंद्र में स्थित है, जो राजस्थान से 6,000 मीट्रिक टन गुलाबी बलुआ पत्थर से बनाया गया है। अक्षरधाम मंदिर का मुख्य परिसर 108 फीट ऊंचा है, 131 फीट चौड़ा
और 240 फीट लंबा है।
अक्षरधाम मंदिर सुंदर नक्काशीदार पत्थरों से बना है, जो सुंदर बगीचों और आकर्षक फव्वारों से घिरा है। यह मंदिर गुजरात के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से एक है।
2002 में इस मंदिर पर आतंकवादी हमला हुआ था। जिस में 30 लोगों की मृत्यु व 80 से अधिक घायल हो गए थे।
अक्षरधाम की कडी सुरक्षा की जाती है।
मोबाइल, पर्स, जूते, कोई भी electric device, कैमरा, खाने-पीने का सामान आदि मंदिर परिसर में लेकर जाना मना है।
बाकी सब ठीक है, फोटोग्राफी न कर सकने का दुख जरूर होता है, इतनी सुन्दर जगह हो ओर आप उसे कैमरे में कैद न कर सको कैसा लगेगा आप सब समझ ही सकते हो।
मंदिर परिसर में खाने के लिए कंटीन है, यहा हम ने गुजराती खाना खाया। राजस्थानी खाना तीखा होता है, वही गुजराती खाना मीठा।
सुबह 9 बजे से शाम के 5:15 तक मंदिर खुला रहता है। सोमवार को मंदिर परिसर बंद रहता है।
फोटो स्त्रोत:- गूगल
2.सोमनाथ मंदिर:
पश्चिमी छोर पर गुजरात में स्थित, प्राचीन व ऐतिहासिक मन्दिर है-सोमनाथ मंदिर। इस मंदिर पर मोहम्मद गजनी ने 17 बार हमला किया था।
सोमनाथ मंदिर हिन्दुओं के महत्वपूर्ण मन्दिरों में से एक है। इसे आज भी भारत के 12 शिव जी के ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में माना जाता है।
सोम का अर्थ होता है चंद्रमा। गुजरात की वेरावल बंदरगाह पर स्थित सोमनाथ मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट है। यह मंदिर हिंदू धर्म के उत्थान-पतन के इतिहास का प्रतीक रहा है। अत्यंत वैभवशाली होने के कारण इतिहास में कई बार यह मंदिर तोड़ा तथा पुनर्निर्मितण किया गया।
वर्तमान भवन के पुनर्निर्माण का आरंभ भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया और पहली दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है।
मंदिर प्रांगण में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बड़ा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है।
लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्व बढ़ गया।
सोमनाथजी के मंदिर की व्यवस्था और संचालन का कार्य सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है। सरकार ने ट्रस्ट को जमीन, बाग-बगीचे देकर आय का प्रबन्ध किया है।
3.नागेश्वर मंदिर
नागेक्षृर मंदिर ,भारत के 12 जयोतलिंगो में से एक, गुजरात में दृरिकापुरी से 25 किलोमीटर की दूरी स्थित है। नागेक्षृर अर्थात नागों का ईश्वर शिव जी का ही एक नाम है। इस जयोतलिंग के दर्शनों की शास्त्रों में बहुत महिमा है। भगवान शिव जी की बहुत बड़ी मूर्ति स्थापित है। बहुत बड़ा हाल भी है। खुला मंदिर है।
4.द्वारिका पुरी
द्वारकाधीश श्री कृष्ण जी को सब जानते ही है। बेट-द्वारका श्री कृष्ण जी द्वारा बसाई सवर्ण नगरी, यहा जाने के लिए द्वारका से नौका व बेडा से जाना पडता है। बेडा पूरा भर गया था फिर भी लोग चढ रहे थे, एक बाईक भी बेडे में रखी हुई थी, बेडा डोल रहा था। मम्मी को बहुत डर लग रहा था। बेट-द्वारका के मंदिर बहुत प्राचीन है। हम गोमती घाट भी गए। वहां से द्वारका मंदिर का सुंदर दृश्य भी दिखता है। बेड़ा में सफर करने का अपना ही रोमांच था, थोड़ा डर थोड़ा एडवेंचर था।
5.हथींसिंग जैन मंदिर:- जैसा नाम से ही पता चलता है, यह जैन मंदिर है जो 15 वें जैन तीर्थंकर धर्मनाथ को समर्पित है। हम सब को पता ही है कि जैन धर्म के 24 तीर्थकर हुए है। भगवान महावीर जैन 24 वें तीर्थकर थे जिन को समर्पित दिलवाडा जैन मंदिर माऊट आबू में स्थित है।
इस जैन मंदिर को अहमदाबाद के एक व्यवसायी शेठ हथिसिंग के द्वारा दान 10 लाख रूपयों की लागत से बनाया गया है। इसका निर्माण 1848 ई. र्पू. हुआ था। इसे सफेद पत्थर से बनवाया गया है जो सलत समुदाय के लिए एक उत्कृष्ट शिल्प कौशल का नमूना है। शेठ हथींसिंग की आयु केवल 49 वर्ष होने के कारण इस मंदिर को पूरा उनकी धर्मपत्नी ने आपनी करवाया था। आज भी हथींसिंग पर टरसट इस मंदिर की देखभाल को बखूबी निभा रहा है। समय-समय पर निर्माण कार्य आवश्यकतानुसार किया जाता है।
यह मंदिर दिल्ली गेट के काफी करीब है। इस मंदिर में एक मंडप, स्तंभ के साथ गुंबद और सुंदर नक्काशी वाले 12 खंभे है। मुख्य मंदिर ,जो दो मंजिला अतिअंत सुंदर मंदिर है ,पूर्व में स्थित है और जैन तीर्थकरों के कुल 52 श्राइन ( पूजा करने वाली जगह) है। श्राइन के मुख्य द्वार के सामने कीर्ति स्तंभ/महावीर स्तंभ बना हुआ है जो कि सम्मान का स्तंभ है व 78 मीटर ऊचा है,यह राजस्थान के चित्तौड़ स्तंभ से मिलता है। इस पर की गई नक्काशी मुगल डिजाइन से काफी मिलती जुलती है। इन्हे देखने के बाद मंदिर में प्रवेश होता है।
यह थे गुजरात के पांच भवय मंदिर। कैसे लगी यह यात्रा comment Box में जरूर बताना।
धन्यवाद।