5 सितंबर शिक्षक दिवस में एक विद्यार्थी और एक शिक्षक की जीवन यात्रा

Tripoto
5th Sep 2022
Day 1

शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवम सभी शिक्षकों को नमन 🙏🙏
हर व्यक्ति को एक शिक्षक की जरूरत होती है और जीवन को सफल बनाने और दिशा देने में शिक्षक का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है. भारत में गुरुकुल परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। हमारे स्थान पर गुरु को माता-पिता से भी ऊपर रखा गया है। इस परंपरा का पालन करते हुए, हम अपने शिक्षकों का सम्मान और आभार व्यक्त करने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाते हैं।

5 सितम्बर को ही क्यों मनाते हैं शिक्षक दिवस?

शिक्षक दिवस हर साल देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर मनाया जाता है। 40 वर्षों तक शिक्षक के रूप में विभिन्न पदों पर रहे डॉ. राधाकृष्णन कई विषयों के विद्वान थे। जब उनके साथियों और शिष्यों ने उनसे उनका जन्मदिन मनाने के बारे में पूछा, तो उन्होंने अपनी इच्छा व्यक्त की कि “मुझे और खुशी होगी अगर इस दिन को मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए।” तभी से राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। देश में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाने की शुरुआत 1962 में हुई थी।

एक व्यक्ति, विद्यार्थी की प्राथमिक शिक्षिका उसकी मां जी होती हैं तब अन्य में पिता जी एवं उसके परिवार के अन्य सदस्य और अन्य लोग तथा विद्यार्थी की प्राथमिक पाठशाला उसका घर है जो उस बालक को प्रारंभिक मूल्यों से परिचित कराते हैं उसके पश्चात् विद्यालय का स्थान आता है जिसमें विषयगत ज्ञान के साथ _साथ नैतिक,सामाजिक,व्यक्तिगत,चारित्रिक, रहन_ सहन,व्यावसायिक आदि पहलुओं की शिक्षा दी जाती है । विद्यालय के क्रम में ही हायर एजुकेशन में देश के प्रतिष्ठित महाविद्यालय जैसे इलाहाबाद विश्व विद्यालय ,दिल्ली विश्व विद्यालय ,वनारस हिन्दू विश्व विद्यालय , अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय आदि में
विद्यार्थी का एक क्षेत्र विशेष की योग्यता की उत्कृष्ठता दिखाई देती है जैसे प्रवक्ता, कवि , सोधकर्ता,लेखक, राजनीतिज्ञ,वकील , राजनेता आदि ।
                         इन सबके साथ शिक्षा केवल विद्यालय या विश्व विद्यालय तक ही सीमित नहीं है शिक्षा कही भी कभी भी किसी भी स्थान,किसी भी समय प्राप्त हो सकती है किसी भी महापुरुष के जीवन चरित्र से या किसी के भी अनुभव से भी शिक्षा ग्रहण की जा सकती है
बस अनुशासनात्मक शिक्षा केवल विद्यालय में ज्यादा मिलती है बाकी अन्य स्थान विशेष में अनुशासनात्मक शिक्षा विद्यालय की तुलना में कम प्राप्त होती है।

अतः

मेरे लिए हर वो सक्स शिक्षक है जिससे भी मैने कुछ सीखा है। 🙏🙏🙏

गुरू की ऊर्जा सूर्य-सी, अम्बर-सा विस्तार।
गुरू की गरिमा से बड़ा, नहीं कहीं आकार।
गुरू का सद्सान्निध्य ही, जग में हैं उपहार।
प्रस्तर को क्षण-क्षण गढ़े, मूरत हो तैयार।।

Photo of 5 सितंबर शिक्षक दिवस में एक विद्यार्थी और एक शिक्षक की जीवन यात्रा by YOGENDRA SINGH

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