हडप्पा सभ्यता के महानगर धोलावीरा की यात्रा भाग-5

Tripoto
5th Sep 2021
Day 1

#मेरी_कच्छ_भुज_यात्रा
#वुड_फौसिल_पार्क_धोलावीरा
#भाग_5

नमस्कार दोस्तों
धोलावीरा यात्रा के पांचवें भाग में आपका स्वागत है । सनसैट पुवाईट देखने के बाद एक किमी धोलावीरा की तरफ चलने के बाद हम सड़क से एक छोटी सी पगडण्डी की ओर मुड़ गए। यहां पर गुजरात टूरिज्म का बोर्ड लगा था जिसके ऊपर लिखा था वुड फौसिल पार्क इसका मतलब है लकड़ी जीवाश्म पार्क । उसी पगडण्डी पर हम मोटरसाइकिल से आगे बढ़ते रहे , एक किमी के बाद इस फौसिल पार्क का गेट आया। वहां पर खड़े हुए सुरक्षा गार्ड ने हमारा नाम एक रजिस्टर पर लिखा । हमारे मोटरसाइकिल का नंबर नोट किया और हमसे पूछा कहां से आए हो ???
हमने बताया राजकोट से आए हैं धोलावीरा देखने !!
फिर उसने बोला आप जाईये दो किमी बाद फौसिल दिखेंगे । रास्ता थोड़ा खराब ही हैं । टूटे फूटे सुनसान वीरान रास्ते पर मैं और मेरा सटूडैंट रणजीत चल रहे थे। फौसिल पार्क का यह ईलाका बिल्कुल वीरान हैं । आपको यहां कुछ भी नहीं मिलेगा । हमारे पास पानी की बोतल थी जिससे हम पानी पी रहे थे , थोड़े थोड़े समय के बाद कयोंकि यहां गर्मी बहुत जयादा थी । कुछ ही देर में एक कच्चे रास्ते से कुछ चढ़ाई से नीचे ऊतर कर हम एक वियू पुवाईट पर पहुंचे । जहां से सीढियों को ऊतर कर हम फौसिल के पास पहुंच गए। यह फौसिल पार्क कच्छ के रण के किनारे पर है। फौसिल के पीछे कच्छ के रण का अद्भुत नजारा दिख रहा था। धोलावीरा तो 4500 साल पुराना हैं लेकिन फौसिल पार्क तो लाखों करोड़ों साल पुराने फौसिल को संभाल कर रखा हुआ है ।
जैसे हम फौसिल पार्क को देख रहे है लेकिन मुझे भी फौसिल के बारे में जयादा नहीं पता , कि फौसिल कया होता हैं । दसवीं , बारवीं की कक्षा में साईंस की कक्षा में फौसिल के बारे में टीचर पढ़ाया करते थे लेकिन उस समय भी यह बात अच्छी तरह समझ नहीं आई थी । आज फौसिल को अपनी आखों के सामने देखकर और उसके बारे में पढ़कर शायद समझ आ जाए।
वैसे फौसिल को हिन्दी में जीवाश्म कहते हैं । जीवाश्म किसी भी  विलुप्त पौधे या जीव जंतु के किसी समय के जीवित होने के प्रमाण को कहते है। जब किसी जीव की मृत्यु हो जाती हैं और वह मिट्टी में दब जाता हैं उसके नरम भाग गल जाते हैं और कठोर भाग करोड़ों साल बाद पत्थर में तब्दील हो जाते है जिसे हम जीवाश्म कहते है।अगर कभी कच्छ में धोलावीरा घूमने का मौका मिले तो इस यूनिक डेस्टिनेशन को जरूर देखें।

पत्थर बन चुके लाखों साल पुराने फौसिल

Photo of Dholavira by Dr. Yadwinder Singh

वुड फौसिल पार्क का गेट

Photo of Dholavira by Dr. Yadwinder Singh

शायद यह भी किसी लकड़ी का फौसिल है।

Photo of Dholavira by Dr. Yadwinder Singh

फौसिल पार्क में मेरी एक तसवीर

Photo of Dholavira by Dr. Yadwinder Singh

वुड फौसिल को देखते हुए

Photo of Dholavira by Dr. Yadwinder Singh

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