भारत में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं जो नास्तिकों को भी अपना दीवाना बना लेते हैं, या यू कहें अपने रंग में रंग देते हैं। उन्हीं में से एक है मथुरा-वृन्दावन।
मथुरा-वृंदावन के मंदिर यू तो दुनिया भर में मशहूर हैं। देश-विदेश से करोड़ों लोग यहाँ दर्शन करने के लिए आते हैं। कुछ लोग खुद की तलाश में या फिर आध्यात्म से जुड़ने के लिए यहाँ के मंदिरों में दर्शन करने आते हैं। मथुरा शहर यमुना नदी के तट पर बसा हुआ है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा की ही एक कारागार में हुआ था इसलिए हिंदुओं के लिए इस शहर को मदीना की तरह माना जाता है।
मथुरा भारत के सबसे बड़े पवित्र स्थलों में आता है। यहाँ हर गली-गली आपको मंदिर मिल जाएँगे। मथुरा-वृंदावन का माहौल में कुछ अलग ही जादू है। यकीन मानिए अगर कोई नास्तिक भी इस धार्मिक धरती पर आता है तो वो भी भक्ति की दुनिया में रम जाता है। अब मैं सीधे उन पाँच मंदिरों के बारे में आपको बताती हूँ जिनके मैंने दर्शन किए।
मथुरा-वृंदावन के वो 5 मंदिर जिनके दर्शन ज़रूर करें
बांके बिहारी मंदिर- ये मंदिर अपने आप में ही अनोखा है और कई रहस्यों के अपने में समेटे हुए है। वृंदावन में मौजूद मंदिर तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास ने बनवाया था। लेकिन लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर में मौजूद भगवान कृष्ण की मूर्ति को बनवाया नहीं गया था बल्कि ये मूर्ति अपने आप प्रकट हुई है। भगवान कृष्ण के भक्त इस मान्यता को ही सच मानते हैं, और मूर्ति के दर्शन करने के लिए घंटों-घंटों कतारों में खड़े रहते हैं। भगवान कृष्ण को बांके बिहारी नाम स्वामी हरिदास ने दिया था इसलिए इस मंदिर को बांके बिहारी मंदिर के नाम से जानते है। ये भी कहा जाता है कि स्वामी हरिदास कृष्ण भगवान के भक्त थे। इनकी साधना के कारण ही मंदिर में मूर्ति प्रकट हुई थी। इसलिए भक्तों में बांके बिहारी मंदिर को लेकर एक अलग ही उत्साह रहता है।
इस्कॉन टेंपल- इसको श्री कृष्ण बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस्कॉन टेंपल के प्रवेश गेट के दोनों तरफ मोर बनाए गए हैं जो मंदिर में आपका स्वागत करते हैं। इस्कॉन टेंपल को सफ़ेद मार्बल से बनाया गया है। यही इस मंदिर की खूबसूरती है। मथुरा-वृंदावन की मेरी यात्रा में यही इकलौता मंदिर था, जहाँ प्रसाद मिला। बाकि सभी मंदिरों में पैसे देकर अर्पित प्रसाद मिलता है। दूसरी खास बात ये है कि इस मंदिर में विदेशी लोग भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन होकर गीत गाते और नृत्स करते आसानी से नज़र आ जाएँगे। विदेशी महिलाओं को ढोलक बजाते और हरे रामा, हरे कृष्णा का जाप करते देखना काफ़ी दिलचस्प बात है।
प्रेम मंदिर- ये वृंदावन का सबसे लोकप्रिय मंदिर है और बांके बिहारी मंदिर से 2 किलोमीटर दूर है। सफेद पत्थर से बने प्रेम मंदिर को बनने में 11 साल लगे थे। प्रेम मंदिर अपनी नक्काशी, लाइटिंग और म्यूज़िकल शो के लिए मशहूर है। देश के कोने-कोने से लोग सिर्फ इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं। रात में मंदिर की भव्यता काफ़ी बढ़ जाती है क्योंकि प्रेम मंदिर रात में जगमग रोशनी से नहाता है। रात मे मंदिर के अंदर झाकियाँ भी निकाली जाती है। साथ ही मंदिर परिसर भी बहुत खूबसूरत है। यहाँ के बगीचे में श्रद्धालु आराम के साथ मौज-मस्ती भी करते है। कुल मिलाकर कहें तो ये मंदिर पर्यटन का भी केंद्र है।
कृष्ण जन्मभूमि- कृष्ण जन्मभूमि मंदिर मथुरा का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है। मंदिर में एक कारागार है, जिसको लेकर मान्यता है कि यहीं पर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था लेकिन इस मंदिर की एक और खास बात ये है कि इसके आधे हिस्से में ईदगाह बनी है जिसको लेकर एक तबके का मानना है कि 1660 में मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर को नुकसान पहुँचाया और ईदगाह का निर्माण कराय। लेकिन आज मंदिर की आरती की गूंज मस्जिद तक सुनाई देती है और नमाज़ को मंदिर परिसर में खड़े होकर सुनना अद्भुत अहसास है। इस मंदिर में मोबाइल, कैमरा और कोई भी डिजीटल सामान अंदर ले जाना मना है। अगर आपके पास ये सब सामान क्लोक रूम में रख सकते हैं।
श्री द्वारकाधीश मंदिर- ये मंदिर मथुरा के बीचों-बीच और यमुना नदी के किनारे बसा है। मंदिर अपनी आरती के लिए काफी मशहूर है। यहाँ पर होने वाली आरती काफी दर्शनीय होती है। साथ ही इस मंदिर की चित्रकारी भी बहुत लाजवाब है। मथुरा का ये सबसे रंग बिरंगा मंदिर भी माना जाता है। जन्माष्टमी के समय इस मंदिर में भक्तों की संख्या सबसे ज्यादा रहती है क्योंकि इसकी साज सजावट देखते ही बनती है। इस मंदिर के पास सराफा बाजार भी है जहाँ से सोना-चांदी समेत कई पारंपरिक चीज़ों की ख़रीददारी कर सकते हैं।
मथुरा-वृंदावन की दो दिन कि इस यात्रा में कई मंदिर और सभी घाट छूट गए।कुछ छूट जाने पर वहाँ वापिस जाने का बहाना भी मिल जाता है। अगली बार जाऊँगी और सभी घाट पर घूमूँगी और अपने अनुभव आपको भी बताउँगी
फिलहाल बता दूँ कि यहाँ के मंदिर सुबह 6 से 12 और शाम 4 से लेकर करीब 8 बजे तक दर्शन के लिए खुलते हैं। तो अगर आप जब भी मथुरा जाए जो मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने के समय का खास ख्याल रखें.
फिर मिलेंगे किसी और जगह की रोचक कहानियों के साथ
तब तक आप रखें अपना ख्याल
नमस्कार