मेने अपने 13 वर्षीय पुत्र तनिष राठौर के साथ कई यात्रायें करी है हर यात्रा में मेरा मकसद होता है कि हम लोग कम समय में ज्यादा घुमे. मेरी सिंगापुर से मुंबई की वाया चेन्नई फ्लाइट थी एवं चेन्नई एअरपोर्ट पर हमारा 5 घंटे का स्टोपेज था. हमने शहर में घुसने का निर्णय लिया.
सुबह 7:30 बजे हमने तत्काल निर्णय लेकर ऑटो पकड़कर मरीना बीच पर चले गए. ऑटो वाले ने हमसे 200 रूपये लिए. यहाँ के क्रिकेट स्टेडियम को पार करते हुए हम लोग मरीना बीच पर पहुँच गए. यहाँ मरीना बीच के सामने राजकीय स्विमिंग पूल में 50 रुपया प्रति व्यक्ति स्नान करके युनिवेर्सिटी ऑफ़ मद्रास के केन्टीन में हमने सुबह का नाश्ता किया. युनिवेर्सिटी ऑफ़ मद्रास के केन्टीन में पोंगल 15 रूपये प्लेट, डोसा 20 रुपया प्लेट, इडली 16 रुपया प्लेट, चाय 6 रूपये, अन्य 10 रुपया इस तरह कुल 67 रूपये में हमने भरपेट नाश्ता किया.
चेन्नईका इतिहास - चेन्नई को पहले मद्रास के नाम से जाना जाता था. यह भारत के सुदूर दक्षिण में स्थित राज्य तामिलनाडू की राजधानी है. कोरोमंडल तट पर बसा यह शहर एक प्रमुख मेट्रोपॉलिटन और कास्मोपॉलिटन सिटी है.व्यापार, संस्कृति, शिक्षा और अर्थव्यवस्था के नजरिए से यह दक्षिण भारत के साथ-साथ देश का एक महत्वपूर्ण शहर है. वास्तव में चेन्नई को दक्षिण भारत की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर जाना जाता ह.
मरीना समुद्र तट का अपना आनंद है -
मरीना बंगाल की खाड़ी से लगा भारत का सबसे लंबा शहरी और विश्व का दूसरा सबसे लंबा समुद्र तट है. 13 किमी. लंबा यह तट चैन्नई का सबसे प्रमुख आकर्षण है. इस तट पर तैराकी और स्नान प्रतिबंधित है लेकिन यहां पर्यटकों को लुभाने के लिए बहुत आकर्षण हैं.
यहां सूर्यास्त और सूर्योदय का नज़ारा बहुत सुंदर होता है. यहां के तट पर खाने के स्टाॅल और दुकानों पर मिलने वाले सामान बहुत मशहूर हैं. यहां टहलने या घोड़े की सवारी करने का आनंद भी लिया जा सकता है.
यहाँ से घूमकर हम वार मेमोरियल पहुंचे चैन्नई का विक्टरी वाॅर मेमोरियल या क्यूपिड्स बाॅ यहां के दो युुद्ध स्मारकों में से एक है. दूसरा युद्ध स्मारक मद्रास वाॅर सेमेट्री है. यह स्मारक मरीना बीच की शुरुआत में सेंट जाॅर्ज किले के पास है.
इसके बाद हम विवेकानंद हाउस पहुँच गए जहा साल 2013-14 में स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती थी. स्वामी विवेकानंद ने ही पश्चिमी दुनिया को भारतीय दर्शन का परिचय करवाया था. भारतीय समाज में स्वामी विवेकानंद के योगदान के लिए और उन्हें सम्मानित करने के लिए उस स्थान की बात करते हैं जो उनसे बहुत गहराई से जुड़ा है.
विवेकानंद हाउस या विवेकानंद इल्लम चेन्नई का एक संग्रहालय है जो स्वामी विवेकानंद के शिष्यों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है. सन् 1897 की अपनी पश्चिम की यात्रा से लौटने के बाद स्वामी विवेकानंद यहीं रुके थे. इसलिए इस जगह को एक तीर्थ स्थान के तौर पर देखा जाता है.
इसके बाद हम सेंट थामस माउंट पहुँच गए
सेंट थाॅमस माउंट चर्च -
ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो भारत में ईसाई धर्म की शुरुआत सेंट थाॅमस ने की थी. दक्षिण भारतीयों में इस धर्म को सेंट थाॅमस ने ही प्रचारित किया. हालांकि कुछ कठिन परिस्थितियों में उन्हें प्रसिद्ध लिटिल माउंट में शरण लेनी पड़ी.
कुछ समय बाद लिटिल माउंट से तीन किमी. दूर वो शहीद हो गए और उस स्थान को आज भी उनके लिए याद किया जाता है और सेंट थाॅमस माउंट कहा जाता है. यह चैन्नई के परंगीमलाई में स्थित है और पर्यटकों और धार्मिक श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र है.
भारत में धार्मिक यात्रा पर आए लोग अन्य चर्चों के साथ इसकी भी यात्रा जरुर करते हैं।.यहां मौजूद तैल चित्र दर्शनीय हैं. यह चित्र सेंट थाॅमस अपने साथ भारत लाए थे. ये चित्र उनके एक साथी ल्यूक ने बनाए थे. इस चर्च को 16वीं सदी में पुनर्निमित किया गया था.
इसके बाद समय की कमी को देखते हुए हमने तत्काल चेन्नई एअरपोर्ट वापसी का निर्णय लिया एवं हमसे बस पकड़ी जिसका शुल्क 30 रुपया प्रति व्यक्ति था.