मध्य प्रदेश वो राज्य है, जो देश के बीचों बीच स्थित है। इसलिए इसको भारत का दिल भी कहा जाता हैं।यह जीवंत राज्य अपनी विविध जातीयता, ऐतिहासिक स्मारकों, राष्ट्रीय उद्यानों, कला, संस्कृति, परंपरा, त्योहारों, मंदिरों, महलों, वन्य जीवन और स्वादिष्ट भोजन के लिए जाना जाता है।वैसे तो इस राज्य में घूमने और जानने के लिए बहुत सारी चीज़ें हैं पर क्या आप यहां लगने वाले भूतों के मेले के बारे में जानते हैं। जी आपने सही सुना भूतों का मेला, सुनने में थोडा अजीब लगता हैं परन्तु यह सत्य हैं। मध्य प्रदेश के एक गांव में लगभग 400 सालों से यह मेला लग रहा हैं।
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले से 42 किमी दूर चिचोली तहसील मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर बसे मलाजपुर गांव में यह भूतों का मेला लगता है। यहां के महंत लोगों की प्रेत-बाधा दूर करते हैं। इससे दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। इसमें आदिवासी समुदाय के लोगों की संख्या अधिक रहती है।
ऐसा माना जाता हैं कि सन 1770 में गुरु साहब बाबा नाम का साधु यहां बैठ कर लोगों की हर तरीके की समस्या का समाधान निकलता था, क्योंकि लोगों को लगता था बाबा के पास चमत्कारी शक्तियां थी।गांव के लोग उनको भगवान मानते थे, उन्होंने एक पेड़ के नीचे समाधि ले ली थी। जहां बाद में गांव वालो ने उनकी याद में एक मन्दिर बनवा दिया था और उनकी याद में हर साल यह भूतों का मेला आयोजित करने लगे।यहां हर साल पौष मास की पूर्णिमा पर एक माह के लिए मेला लगता है।इस दौरान गुरु बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।यहां पर भूतों-प्रेतों से मुक्ति, मानसिक बीमारी, निसंतान दंपति और सर्पदंश से पीड़ित मरीज इलाज करवाने आते है।मेले में मध्यप्रदेश के कई जिलों के साथ ही राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और अपनी समस्या का समाधान लेते हैं।
गुरू साहब बाबा के दरबार में झाड़ू से लोगों को प्रेत बाधा से मुक्त करते हैं।मान्यता है कि बाबा की समाधि पर आते ही प्रेत बाधा से मुक्ति मिल जाती है और अपनी मन्नत पूरी होने पर तुला दान करते हैं।बाबा की समाधि के पूरे चक्कर लगाने के पहले ही बाबा के हाथ-पैर जोड़ कर मिन्नत मांगने वाला व्यक्ति का सर पटक कर कर माफी मांगने के लिए पेट के बल पर लोटने का सिलसिला तब तक चलता है जब तब कि उसके शरीर से वह तथाकथित भूत यानी कि अदृश्य आत्मा निकल नहीं जाती।
गुरू साहब बाबा के समाधि के पास ही एक नदी हैं,बंधारा नदी। पहले पीड़ित को इस नदी में स्नान करवाया जाता हैं फिर बाबा के समाधि पे लाया जाता हैं यहीं यहां की मान्यता हैं।जहां अंकित गुरु साहब बाबा के श्री चरणों पर नमन करते ही पीड़ित व्यक्ति झूमने लगता है। उसकी सांसों में अचानक तेजी आ जाती है, आँखें एक निश्चित दिशा की ओर स्थिर हो जाती है और उसके हाथ- पैर ऐंठने लगते हैं। उस व्यक्ति में इतनी अधिक शक्ति आ जाती है कि आसपास या साथ में लेकर आये व्यक्तियों को उसे संभालना पड़ता है।
अब इस बात में सचाई हैं या नहीं ये बात तो यहां लोगों जमावड़ा देख के ही पता चल जाता हैं,पर लोगों को बाबा के प्रति श्रद्धा और विश्वास बहुत हैं शायद इसलिए वो अपनी परेशानी ले कर बाबा के पास आ जाते हैं।
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